अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स गोरखपुर की इमरजेंसी में भर्ती का दिखावा करना रोगियों की जान पर भारी पड़ रहा है. रोगियों को तत्काल रेफर करने के कारण हो रही बदनामी से बचने के लिए एम्स प्रशासन अब जान से खेलने लगा है.


गोरखपुर (ब्यूरो)। मंगलवार को नौ घंटे रखने के बाद 22 वर्ष के युवक को तब बाबा राघवदास मेडिकल कालेज रेफर किया गया जब उसकी हालत नाजुक हो चुकी थी। वहां पहुंचने के पहले ही युवक ने दम तोड़ दिया था। बुधवार को भी लापरवाही जारी रही। आठ महीने की बच्ची को इमरजेंसी में रखा गया। दावा है कि उपचार किया गया, लेकिन बच्ची को वीगो तक नहीं लगाया गया। इसके बाद पीडियाट्रिक आइसीयू (पीआइसीयू) न होने का हवाला देते हुए बच्ची को बाबा राघवदास मेडिकल कालेज रेफर कर दिया गया। वहां डाक्टरों ने चोट लगते ही तत्काल न आने पर स्वजन को फटकार लगायी है। कहा है कि बच्ची पहले आ जाती तो उपचार से तेजी से सुधार होता। एम्स थाना क्षेत्र के कुसम्ही निवासी ऋषिकेश श्रमिक हैं। बुधवार दोपहर वह रिश्तेदारी में जाने के लिए पत्नी और आठ महीने की बेटी रूही के साथ बाइक से निकले। कुसुम्ही जंगल के पास सड़क पर ब्रेकर पर बाइक का संतुलन बिगडऩे से मां और बेटी बाइक से गिर गईं। मां को कम चोट लगी लेकिन बेटी सिर के बल सड़क पर गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गई। उसे लेकर स्वजन दोपहर में एम्स की इमरजेंसी पहुंचे। यहां बच्ची को भर्ती कर उपचार शुरू किया गया। शाम 4:30 बजे तक उपचार के बाद अचानक बताया गया कि बच्ची की हालत गंभीर है, इसे पीआइसीयू में भर्ती करना पड़ेगा। ऋषिकेश ने डाक्टरों से पीआइसीयू में भर्ती करने को कहा तब बताया गया कि एम्स में पीआइसीयू है ही नहीं। यह जानने के बाद ऋषिकेश ने सिर पीट लिया। उसने कहा कि जब पीआइसीयू था नहीं तो आप लोगों ने पहले क्यों नहीं बताया। बेटी को प्राथमिक उपचार देने के बाद पहले ही मेडिकल कालेज रेफर कर दिए होते।एंबुलेंस भी नहीं दियाआठ महीने की बच्ची को रेफर करने के बाद एंबुलेंस भी नहीं उपलब्ध कराया गया। पिता बाइक से पत्नी और बच्ची को बैठाकर पास के एक निजी अस्पताल पहुंचा। यहां डाक्टरों ने परीक्षण के बाद मेडिकल कालेज ले जाने को कहा तब बाइक से ही मेडिकल कालेज पहुंचे। ऋषिकेश ने बताया कि मेडिकल कालेज के डाक्टरों ने देर से ले आने पर बहुत डांटा है।मेडिकल कालेज में हुआ सीटी स्कैन
ऋषिकेश ने बताया कि एम्स से आने के बाद मेडिकल कालेज में बेटी का सीटी स्कैन कराया गया। इसके आधार पर तत्काल उपचार शुरू हुआ। एम्स न जाता तो और जल्द ठीक उपचार शुरू हो गया होता। एम्स से उपचार की फोटोकापी थमाकर भेज दिया गया। बताया कि बेटी आंख खोल रही और फिर बंद कर ले रही है।बच्ची दोपहर 2:07 बजे इमरजेंसी में आयी। यहां उपचार के साथ ही प्राथमिकता के आधार पर सीटी स्कैन जांच करायी गई। इसमें सिर में खून के थक्के जमने की जानकारी के बाद उसे पीआइसीयू में भर्ती करना जरूरी था। एम्स में अभी पीआइसीयू नहीं है इसलिए उसे बीआरडी मेडिकल कालेज रेफर किया गया। एम्स की इमरजेंसी में उपचार की पूरी प्रक्रिया बहुत कम समय में पूरी की गई। लापरवाही का आरोप गलत है।डा। विजयलक्ष्मी, मीडिया प्रभारी, एम्स गोरखपुर

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