शुक्रवार को रिलीज हुई फिल्म शंघाई में अभिनेता अभय देओल ने एक आईएएस ऑफिसर की भूमिका निभाई है जो नियमों के हिसाब से चलते हुए अपने काम अच्छे तरीके से करता है लेकिन साथ ही उसे सिस्टम में व्याप्त गलत बातों से घुटन महसूस होती है जो उसे आखिर में कड़ा कदम उठाने में मजबूर करती हैं.


क्या असल जिंदगी में भी कुछ ऐसी बातें हैं जिनसे अभय को घुटन महसूस होती है. बीबीसी ने जब अभय से ये सवाल पूछा तो वो बोले, "जब मैं सड़कों पर बच्चों को भीख मांगते देखता हूं, तो मुझे बड़ी तकलीफ होती है. जब मैं देखता हूं कि तमाम बातें हो रही हैं कि हमारा देश तरक्की कर रहा है और दूसरी तरफ गोदाम में अन्न पड़ा सड़ रहा है, तो मुझे घुटन महसूस होती है. जब मैं देखता हूं कि आज भी आबादी का एक बड़ा हिस्सा भूखे पेट सोता है तो मुझे घुटन होती है."बीबीसी से ये खास बातचीत अभय ने की मध्य प्रदेश के हिल स्टेशन पचमढ़ी में, जहां वो अपनी आने वाली फिल्म चक्रव्यूह की शूटिंग कर रहे हैं. ये फिल्म प्रकाश झा निर्देशित कर रहे हैं और इसमें मनोज वाजपेई और अर्जुन रामपाल की भी अहम भूमिकाएं हैं.
बात 'शंघाई' की करें, तो दिबाकर बनर्जी निर्देशित इस फिल्म को समीक्षकों की जबरदस्त वाहवाही मिली है. हालांकि बॉक्स ऑफिस पर फिल्म जोरदार शुरूआत नहीं कर पाई.


अभय कहते हैं, "दरअसल हमारे यहां के दर्शकों को कहानियों में ड्रामा बहुत पसंद आता है. सारी चीजें आसानी से समझ आ जाएं, और फिल्म के आखिर में अच्छे से हीरो बदला लेने में सफल हो जाए, और ये सब बातें शंघाई में नहीं हैं."हालांकि अभय मानते हैं कि 'शंघाई' एक ऑफबीट नहीं बल्कि मेनस्ट्रीम फिल्म है, लेकिन वो ये भी कहते हैं कि ये फिल्म वक़्त से थोड़ा पहले आ गई. ये समय से आगे की फिल्म है.अभय ने ये भी कहा कि पहले भी ऐसा होता आया है जब मिर्च मसाला, अर्थ और जाने भी दो यारो जैसी फिल्में बनीं तो कामयाब नहीं हुईं. लेकिन बाद में जब अगली पीढ़ी ने उन्हें देखा तो वो खासी पसंद की गईं और उन्हें क्लासिक फिल्मों का दर्जा मिला.

Posted By: Surabhi Yadav