लोकसभा चुनाव में मोदी और बिहार में नीतीश को जीत दिलाने वाले प्रशांत किशोर राजनीतिक गलियारे का सबसे चर्चित नाम बन गए हैं। जो कांग्रेस अभी तक प्रशांत की काबिलियत पर शक करती थी वही आज उनका हाथ थामने को बेकरार हैं। ताकि उनकी भी नैय्या पार हो जाए।

सभी नेताओं की पहली पसंद
प्रशांत किशोर वो नाम जिन्हें अब अपनी पहचान बताने की जरुरत नहीं है। 2014 के आम चुनाव और हाल ही में बिहार विधानसभा में जबरदस्त कामयाबी के बाद उनकी रणनीति की सभी पार्टियां मुरीद हो चुकी हैं। पश्चिम बंगाल, असम और तमिलनाडु में सत्तासीन दलों को यकीन हो चला है कि वो शख्स उन्हें सभी संकटों से उबार सकता है। वहीं यूपी में अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस को भी प्रशांत किशोर में एक उम्मीद नजर आ रही है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस के कई दिग्गज किशोर की मदद लेने के लिए पार्टी आलाकमान से गुजारिश कर रहे है।
यूपी चुनाव में कांग्रेस के साथ
प्रशांत किशोर और कांग्रेस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के कुछ नेता उनसे लगातार संपर्क में हैं, किशोर से जुड़े एक शख्स का कहना है कि यूपी चुनाव उनके लिए भी एक अलग तरह की चुनौती होगी जिसे निभाने के लिए वो तैयार हो सकते हैं। 2017 में होने वाला यूपी विधानसभा चुनाव का परिणाम देश की नई राजनीतिक दिशा को निर्धारित करेगा। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि प्रशांत किशोर की मदद से यूपी कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में जोश आएगा जिससे मिशन 2017 और मिशन 2019 को आसानी से हासिल किया जा सकेगा।गौरतलब है कि प्रशांत किशोर की अगुवाई वाली सिटिजंस फॉर एकाउंटेबल गवर्नेंस ने 2014 के आम चुनावों में भाजपा के लिए रणनीति बनायी थी जिसका फायदा नरेंद्र मोदी को मिला था।

कौन हैं प्रशांत किशोर

37 साल के प्रशांत किशोर यूनाइटेड नेशन्स (UN) में हेल्थ वर्कर रह चुके हैं। 2011 में भारत लौटने पर उन्होंने राजनीतिक पार्टियों के इलेक्शन कैंपेन और स्ट्रेटजी बनाने का काम अपने हाथ में लिया। बताते हैं कि वे बिहार बार्डर से सटे यूपी के बलिया जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने बीजेपी और नरेंद्र मोदी के साथ मिलकर गुजरात में कैंपेन शुरु किया। 2012 में उन्होंने गुजरात असेंबली इलेक्शन में नरेंद्र मोदी को मुख्यमंत्री बनाने के लिए कैंपेन की कमान अपने हाथों में ली। इसके बाद लोस चुनाव 2015 में भी उन्होंने मोदी को पीएम की कुर्सी दिलवाई।

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari