शहर की हवा में घुल रहा जहर
-पॉल्यूशन लेवल 86.36म्pqm पहुंचा
-ये है इलाहाबाद का एयर पॉल्यूशन लेवल -सोडियम और नाइट्रोजन पहुंचा एक्स्ट्रीम लेवल पर ALLAHABAD: शहर की हवा जहरीली हो चली है। यहां यहां साफ हवा में सांस लेना नामुमकिन हो गया है। यहां पॉल्यूशन लेवल इतना बढ़ गया है कि अब स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा हो गया है। इसलिए अगर आपको स्वस्थ्य रहना है तो ट्रैफिक रुकने के दौरान व्हीकल्स के एक्सीलेटर बढ़ाने वालों को टोकें, ज्यादा धुआं छोड़ने वाले व्हीकल ओनर्स से कहें कि इसकी प्रॉपर जांच कराएं। अभी तो इलाहाबाद का एयर पॉल्यूशन लेवल 86.36 पीक्यूएम (माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर) यानी एक्स्ट्रीम पोजीशन पर पहुंच गया है। पॉल्यूशन लेवल अंडर भ्0 होने पर स्वस्थ वातावरण माना जाता है। जैसे-जैसे लेवल बढ़ता जाता है, साथ ही खतरा भी बढ़ने लगता है। बढ़ रही है बीमारीटीबी एवं चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ। आशुतोष कुमार गुप्ता के मुताबिक, एयर पॉल्यूशन का बॉडी पर वैसे तो तुरंत इफेक्ट नहीं होता है, लेकिन लंबे समय तक पॉल्यूशन से जूझने पर कई गंभीर बीमारियां हो सकती है। इसके कारण हुए रिएक्शन की वजह से अस्थमा, सांस, हार्ट संबंधी व इनफेक्शन तेजी से लोगों को अपना शिकार बना रहा है। लांग टर्म में लंग्स कैंसर, ब्लड कैंसर, इनफर्टिलिटी, टेस्टुकुलर कैंसर और जेनेटिक लेवल पर भी इसका असर होता है। वहीं, सबसे ज्यादा सीओपीडी क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मनरी डिसऑर्डर के मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
कैंसर के एविडेंस मौजूद अगर कोई बिजी ट्रैफिक के भ्00 मीटर से कम दूरी पर रहता है तो उनका एक्सपोजर ज्यादा होगा। उनके बॉडी में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड अंदर जाएगी। इसकी वजह से बॉडी के जेनेटिक लेवल पर असर होता है और सेल्फ रिपेयर की क्षमता कम हो जाती है। अगर यह लंबे समय तक चलता रहे तो लंग्स कैंसर और ब्लड कैंसर का रूप ले सकता है। ट्रैफिक पुलिस को एलर्जी ख्भ् परसेंट ट्रैफिक पुलिसकर्मियों को एलर्जी की परेशानी है, जबकि अन्य ख्भ् पसर्ेंट को एबनॉर्मल ब्लड प्रेशर की बीमारी है। अस्थमा दिवस के मौके पर ट्रैफिक पुलिस के हेल्थ चेकअप में इसका खुलासा हुआ था। डॉक्टरर्स के अनुसार ट्रैफिक पुलिस वाले एयर पॉल्यूशन के सबसे ज्यादा एक्सपोजर में रहते हैं, जहां उन्हें गाडि़यों के धुएं से एलर्जी और इन्फेक्शन का खतरा रहता है। अगर जांच हो तो पॉल्यूशन रहे कंट्रोल में - नियम के मुताबिक व्हीकल्स के लिए प्रदूषण नियंत्रण सर्टिफिकेट का होना जरूरी है -ये सर्टिफिकेट परिवहन विभाग की ओर से निर्धारित की गई एजेंसी के द्वारा निर्धारित शुल्क लेकर जांच के बाद जारी किया जाता है-इसके लिए शहर में लगभग आधा दर्जन प्रदूषण जांच केंद्र संचालित हो रहे हैं
- गाड़ी के साइलेंसर में जांच मीटर स्टिक डालकर उसका पॉल्यूशन लेवल चेक किया जाता है -दो और तीन पहिया (टू और फोर स्ट्रोक) वाहनों के पॉल्यूशन का लेवल मानक के अनुसार ब्.भ् होना चाहिए -जबकि टू व्हीलर्स (टू स्ट्रोक) वाहनों का लेवल फ्.भ् होना चाहिए -अगर जांच मीटर में लेवल इससे ज्यादा आता है तो आपकी गाड़ी अनफिट है -बगैर प्रदूषण सर्टिफिकेट के पकड़े जाने पर कम से कम भ्00 रुपये के चालान का प्रावधान है - इसकी बड़ी वजह है नियमों की अनदेखी कर वाहनों से लेकर बाकी पॉल्यूशन बढ़ाने वाली चीजों पर लगाम न होना हमारी भी है जिम्मेदारी -शहर में हो रहे पॉल्यूशन को कम करने की जिम्मेदारी हम सभी की है -इसके लिए जरूरी है कि हम अपनी गाडि़यों की प्रॉपर केयर करें -हर दो से तीन महीने के अंदर अपनी गाड़ी की सर्विसिंग जरूर कराएं -सर्विसिंग के दौरान गाड़ी का मोबिल जरूर बदलवाएं -हर छह महीने में अपनी गाड़ी के पॉल्यूशन लेवल की जांच कराएं -ग्रीनरी को बढ़ावा दें ताकि कार्बन डाई ऑक्साइड ऑक्सीजन में कन्वर्ट हो सके वर्जन-ये बात सही है कि जिस प्वाइंट पर ज्यादा जाम लगता है, जहां ज्यादा देर तक व्हीकल्स खड़े होते हैं, वहां पर एयर पॉल्यूशन ज्यादा होता है। ज्यादा धुआं छोड़ने वाले व्हीकल्स की जांच की व्यवस्था है। जांच के बाद पॉल्यूशन सर्टिफिकेट जारी किया जाता है। जिन वेहिकल पर सर्टिफिकेट नहीं लगा होता है, उनका चालान किया जाता है।
अल्का धर्मराज सिंह सीओ, ट्रैफिक इलाहाबाद यह है एयर पॉल्यूशन लेवल सल्फर- 80 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर नाइट्रोजन- 80 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर सस्पेंडेड पार्टीकुलेट मैटर-क्00 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर रिस्पाइरेबल सस्पेंडेंड पार्टीकुलेट मैटर-म्0 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर