हिंदी सिनेमा के लिए एक नया एक्सपेरिमेंट है एके वर्सेज एके। उड़ान लूटेरा ट्रैप्ड वाले विक्रमादित्य इस बार लेकर आये हैं एके वर्सेज एके। अनिल कपूर फिल्म में अनिल कपूर हैं अनुराग कश्यप अनुराग कश्यप ही हैं। दोनों अपने-अपने ओरिजिनल रोल में हैं। निर्देशक और एक्टर। नेपोटिज्म से लेकर पॉवर पैसा एक ढलते उम्र के एक्टर का फ्रस्ट्रेशन खुद को तोप समझने वाले निर्देशक और एक एक्टर के बीच के द्वन्द को एक थ्रिलर के रूप में एक प्रयोग के रूप में ये फिल्म अच्छी सोच के साथ आई है लेकिन अफसोस फिल्म का अंत निराश करता है। लेकिन फिल्म की तारीफ़ होनी चाहिए ट्रोल्स की गालियों को सलीके से निर्देशक ने फिल्म में पिरोया है। पढ़ें पूरा रिव्यु

फिल्म : एके वर्सेज एके
कलाकार : अनिल कपूर, अनुराग कश्यप
ओटी टी : नेटफ्लिक्स
निर्देशक : विक्रमादित्य मोटवाने
रेटिंग : तीन स्टार

क्या है कहानी
फिल्म इंडस्ट्री में सबको यही लगता है कि ये इंडस्ट्री उनकी वजह से चलती है, सब एक दूसरे को नीचे गिराने के बारे में सोचते हैं, सबको खुद को महान दिखाना है, विक्रमादित्य ने इसको ही बड़ी चालाकी से अपनी ये एक्सपेरिमेंटल फिल्म में आजमाया है। अनुराग कश्यप और अनिल कपूर में अपने-अपने ओहदे को लेकर झड़प होती है, अनुराग निर्णय लेते हैं कि वह अनिल कपूर को उनकी औकात दिखाएंगे, वह उनकी बेटी सोनम कपूर का अपहरण करते हैं, सुबह होने से 10 घंटे पहले की कहानी है, अनुराग की शर्त है कि अनिल को अपनी बेटी को ढूंढना है, एक फिल्म बन रही है अनुराग पर, इसलिए कैमेरा ऑफ नहीं होगा। एक तरह से रिएलिटी शो की तरह। अब कहानी में ट्विस्ट क्या क्या आते हैं, वह दिलचस्प है। एक अभिनेता दुखी भी रहे तो कैसे उसे अपने फैंस को खुश करना पड़ता है, यह भी इस फिल्म में बखूबी दर्शाया है। फिल्म दोनों की निजी जिंदगी से अधिक आपसी रंजिश पर ही फोकस करती है, केवल अंत आते आते यह आम हिंदी फिल्म हो जाती है। इसके बावजूद यह फिल्म एक्सपेरिमेंट के लिहाज से देखी जानी चाहिए।

क्या है अच्छा
कांसेप्ट बेहद अच्छा है, अलग है। अबतक इस तरह के प्रयोग कम हुए हैं। फिल्म शूट बेहद शानदार तरीके से हुई है, अनिल कपूर और अनुराग कश्यप की केमिस्ट्री अच्छी है। कई डायलॉग अच्छे हैं। खासतौर से अनिल कपूर के चौल में जाकर एंटरटेन करने वाले डायलॉग। अनिल कपूर चैम्बूर से निकल आये, लेकिन चैम्बूर अनिल से नहीं निकला है, इसे भी फिल्म में बखूबी दिखाया है। फिल्म निर्देशन के लिहाज से शानदार बनी है। फिल्म यह भी सच दिखाती है कि इंडस्ट्री में जिसके पास ज्यादा पैसा है, सच का पलड़ा उसकी तरफ ही है।

क्या है बुरा
गालियों के बेवजह की जरूरत नहीं थी। लेकिन अनुराग के होते इसे दरकिनार करना तो मुश्किल ही है।

अभिनय
अनुराग प्रोफेशनल एक्टर नहीं हैं. लेकिन इस फिल्म में उन्होंने निर्देशक का किरदार अच्छे से निभाया है। लेकिन अंत में एकतरफा एक किरदार के पक्ष में होती स्क्रिप्ट के कारण वे कमजोर नजर आये हैं। अनिल कपूर अपने अंदाज में हैं। खूब जोश में काम किया है उन्होंने। सोनम और हर्षवर्धन कपूर भी फिल्म में नजर आये हैं।

वर्डिक्ट
अनिल और अनुराग दोनों के फैंस के लिए पसंद की जाने वाली फिल्म है।

Review By: अनु वर्मा

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari