हाईकोर्ट ने नेशनल पेंशन स्कीम थोपने का आदेश किया रद

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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार बोर्ड व समितियों की सेवा शर्ते तय नहीं कर सकती। ऐसा अधिकार केवल बोर्ड को ही है। इस कमेंट के साथ कोर्ट ने कृषि उत्पादन मंडी समितियों के कर्मचारियों के पक्ष में अहम फैसला दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा राष्ट्रीय पेंशन स्कीम थोपने के आदेश को रद करके उत्तर प्रदेश राज्य कृषि उत्पाद बाजार बोर्ड को रेग्युलेशन 2013 के तहत आठ हफ्ते में पेंशन, ग्रेच्युटी लागू करने का निर्देश दिया है। यह सीपीएफ स्कीम के तहत लागू किया जाएगा।

एनपीएस को दी गयी थी चुनौती

यह आदेश जस्टिस सुनीत कुमार ने देवेंद्र प्रसाद श्रीवास्तव व नौ अन्य की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार की नेशनल पेंशन स्कीम थोपने की वैधता की चुनौती याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। राज्य कृषि उत्पाद बाजार बोर्ड ने 23 अप्रैल 1999 को राज्य सरकार को सीपीएफ स्कीम लागू करने का प्रस्ताव भेजा। इसके तहत एक जनवरी 1999 से मंडी परिषद के कर्मचारियों को पेंशन ग्रेच्युटी देने का फैसला लिया गया। कर्मचारियों का अंशदान 8.33 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत करते हुए राज्य सरकार ने प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया। लेकिन, इसे एक अप्रैल 2005 तक लटकाए रखा गया। बोर्ड को एनपीएस लागू करने को कहा, कर्मचारियों ने सरकार की स्कीम मानने से इन्कार कर दिया। फिर 2013 में रेग्युलेशन बनाकर बोर्ड ने पेंशन ग्रेच्युटी स्कीम लागू करने की सिफारिश की। इसे न मानने पर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल हुई। कोर्ट ने कहा कि बोर्ड की मांग न मानना सरकारी नीति का विषय नहीं है। सरकार ने रेग्युलेशन अस्वीकार कर शक्ति से परे कार्य किया है। बोर्ड पर सरकार अपनी सेवा शर्ते थोप नहीं सकती। सरकार ने स्वयं के 28 मार्च 2005 के शासनादेश की अवहेलना किया है। कोर्ट ने कहा कि सरकार रेग्युलेशन में किसी प्रकार की अवैधानिकता नहीं बता सकी।

Posted By: Inextlive