Google से लेकर Facebook और YouTube से लेकर टि्वटर तक ये सभी सर्विसेस आज पूरी दुनिया की धड़कनों में बसती हैं पर क्या आपको मालूम है कि एक साथ करोड़ों लोगों को दी जानेवाली ये डिजिटल सर्विसेज किसी छोटे-मोटे कंप्यूटर से नहीं बल्कि सुपर कंप्यूटर से ऑपरेट होती हैं। आज भले ही दुनिया में काफी संख्या में सुपर कंप्यूटर मौजूद हों लेकिन भारत के पहले सुपर कंप्यूटर की तो बात ही कुछ और है क्‍योंकि भारत का पहला सुपर कंप्यूटर देश के वैज्ञानिकों ने खुद विकसित किया और फिर कई देशों को दिया। देश की आजादी के पर्व इस गणतंत्र दिवस पर आइए जानें भारत के पहले सुपर कंप्यूटर की वो कहानी जिससे हिल उठी थी दुनिया।

भारत के अपने पहले सुपर कंप्यूटर को जानने से पहले जरा यह तो जान लीजिए कि सुपर कंप्यूटर आखिर होता क्या है?

 

क्या है सुपर कंप्यूटर

हम आप भले ही लैपटॉप और स्मार्टफोन अपनी रोजमर्रा की जरूरतों के लिए इस्तेमाल करते हों लेकिन जब बात दुनिया की जरूरत की आती है या कहें कि जब करोड़ों लोगों की जरूरत को कोई एक कंप्यूटर पूरा करें तो वो सुपर कंप्यूटर बन जाता है। अब जरा तकनीकी भाषा में समझते हैं। दरअसल सुपर कंप्यूटर एक ऐसा कंप्यूटर है जो आम जरूरतों को पूरा करने वाले किसी भी कंप्यूटर से हजारों, लाखों गुना ज्यादा क्षमता और स्पीड वाला होता है। सुपर कंप्यूटर की स्पीड ही उसकी पहचान है। किसी भी सुपर कंप्यूटर की स्पीड को कई अरब या खराब कैलकुलेशन प्रति सेकंड की दर से नहीं बल्कि Flops में मापा जाता है। 'फ्लोटिंग पॉइंट ऑपरेशंस प्रति सेकंड' जी हां सुपर कंप्यूटर की क्षमता को मापने का यही आधुनिक पैमाना है। सुपर कंप्यूटर के शुरुआती दौर में जहां Mega Flops में कंप्यूटर की स्पीड मापी जाती थी, वहीं बाद में गीगा Flops और फिर टेरा फ्लॉप और आजकल पीटा Flops में इस कंप्यूटर की क्षमता और स्पीड मापी जाती है। आज के दौर का एक टॉप लेवल सुपर कंप्यूटर 33.86 petaflops की स्पीड पर काम करता है, जिसमें लाखों कोर वाले कई हजार प्रोसेसर लगे हो सकते हैं।

 

 

परम कंप्यूटर को बनाने में लगी कितनी मेहनत
जब Cray सुपर कंप्यूटर को इंपोर्ट करने का मामला खटाई में पड़ गया तो भारत ने अपने स्वदेशी सुपर कंप्यूटर को बनाने का एक प्रोग्राम डेवलप किया यह सुपर कंप्यूटर परमाणु हथियारों के विकास में योगदान दे सकता था। तो सरकार ने इस उद्देश्य को भी ध्यान में रखते हुए साल 1988 में डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स और इसके डायरेक्टर डॉ विजय भटकर की अगुवाई में सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग यानी C-DAC की स्थापना पुणे में की। सीडैक को 3 साल का शुरुआती समय दिया गया और सुपर कंप्यूटर को डेवलप करने के लिए 30 करोड रुपए की शुरुआती फंडिंग की गई। यह लगभग उतना ही समय और पैसा था जोकि अमेरिका से सुपर कंप्यूटर को खरीदने में लगने वाला था। सीडैक के वैज्ञानिकों ने जी जान लगा दी ताकि स्वदेशी टेक्नोलॉजी से यह हाईटेक कंप्यूटर बनाया जा सके। साल 1990 में C-DAC द्वारा सुपर कंप्यूटर का प्रोटोटाइप मॉडल बना लिया गया और1990 में ज्यूरिख में हुए सुपर कंप्यूटिंग शो में यह कंप्यूटर एक बेंच मार्क बनकर उभरा। भारत द्वारा बनाए गए परम 8000 के प्रोटोटाइप ने सुपर कंप्यूटिंग शो में दुनिया के लगभग सभी देशों के कंप्यूटर्स को पीछे छोड़ दिया और अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर काबिज हो गया। इसी के बाद फाइनल रिजल्ट के रूप में 1 जुलाई साल 1991 में सामने आया PARAM 8000 सुपर कंप्यूटर। यह भारत का अपना खुद का बनाया सुपर कंप्यूटर था। परम शब्द संस्कृत लैंग्वेज से लिया गया है जिसका मतलब होता है सुप्रीम यानी कि सबसे ऊपर।

 

PARAM 8000 सुपर कंप्यूटर की ख्याति

64 CPU वाला PARAM 8000 उस दौर के सुपर कंप्यूटर्स में बहुत ही आगे था। भारत के पहले सुपर कंप्यूटर परम 8000 की ख्याति इतनी दूर दूर तक पहुंची कि बिल्कुल इसके जैसा एक दूसरा सुपर कंप्यूटर 1991 में ही ICAD Moscow में रूस के सहयोग से स्थापित किया गया।

 

 

परम सीरीज के कंप्यूटर्स की सबसे लेटेस्ट मशीन 'परम ईशान'

सुपर कंप्यूटिंग की फील्ड में PARAM 8000 नाम की इस आधुनिक मशीन की सफलता से प्रभावित होकर सरकार ने परम सुपर कंप्यूटर की सीरीज को आगे बढ़ाने का कदम उठाया। परम सीरीज के सबसे लेटेस्ट कंप्यूटर का नाम है PARAM ISHAN। साल 2016 में स्थापित किया गया यह कंप्यूटर 250 TFLOPS क्षमता वाला है। आज ये सुपर कंप्यूटर मौसम विज्ञान, सिविल इंज्ीनियरिंग, स्पेस साइंस समेत तमाम फील्ड्स में देश के लिए कमाल का काम कर रहे हैं। आज भले ही दुनिया में टॉप 500 कंप्यूटर में से 9 सुपर कंप्यूटर भारत के गिने जाते हैं, लेकिन PARAM 8000 ने डिजिटल जगत में भारत को जो पहचान और ख्याति दिलाई उसकी बराबरी कोई भी दूसरा सुपर कंप्यूटर नहीं कर सकता।

Posted By: Chandramohan Mishra