श्रीनगर में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के हालात और बिगड़ गए हैं। सुरक्षा की मांग कर रहे छात्रों पर हमले में कई के जख्‍मी होने की खबर है। छात्रों के अभिवावक परेशान हैं। इस बीच एचआरडी मंत्रालय ने मामले की जांच के लिए एक दो सदस्‍यीय टीम भेजने की घोषणा की है।

जलूस निकाल रहे छात्रों पर हमला
खबर है कि श्रीनगर में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान में मंगलवार को स्थायी सुरक्षा की मांग के समर्थन में जुलूस निकाल रहे अन्य राज्यों के छात्रों को पुलिस ने परिसर के भीतर दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। साथ ही आंसू गैस के गोले भी दागे। इसमें तीन दर्जन के करीब छात्र जख्मी हो गए, जबकि संबंधित प्रशासन ने सिर्फ चार छात्रों के चोटिल होने की पुष्टि की है। वहीं इस घटना के बाद कैंपस की सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। कैंपस के मुख्य द्वार के अलावा चारों ओर से सुरक्षा बलों को तैनात कर दिया गया है। उधर इस घटना के बाद छात्रों के अभिभावकों ने नाराजगी जाहिर की है।
श्रीनगर जाएंगे निर्मल सिंह
जम्मू-कश्मीर के डिप्टी सीएम निर्मल सिंह ने कहा है वे आज श्रीनगर जाएंगे और ताजा हालात की जानकारी लेंगे। साथ ही एचआरडी मंत्रालय की दो सदस्यी टीम भी एनआइटी जाएगी। मामले के संबंध में उचित कार्रवाई होगी। इससे पहले मंगलवार रात को निर्मल सिंह ने बताया था कि जब NIT के छात्र मीडिया से मिलने गेट के पास पहुंचने की कोशिश कर रहे थे, तब हल्का लाठी चार्ज हुआ था। उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ की दो कंपनियों को तैनात किया गया है। अब स्थिति सामान्य है।
गृहमंत्री ने की मुख्यमंत्री से बात
वहीं इस मामले पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती से बात की है। उन्होंने ट्वीट कर जानकारी दी है कि मुख्य़मंत्री ने इस मामले में तुरंत कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है। इससे पूर्व सुबह छात्रों और एनआइटी प्रशासन के बीच मौजूदा गतिरोध को टालने के लिए हुई बैठक नाकाम रही और छात्रों ने कक्षाओं के बहिष्कार को जारी रखने का फैसला किया है। इस बीच, प्रशासन ने बाहरी तत्वों का परिसर में प्रवेश बंद कर दिया है। मीडिया को भी भीतर दाखिल नहीं होने दिया गया। मुख्य गेट पर पुलिस को तैनात कर दिया गया है। परिसर के भीतर भी पुलिस और सीआरपीएफ के जवानों की तैनाती बढ़ा दी गई है। पीडि़त छात्रों ने आरोप लगाया है कि वह अपनी आवाज परिसर से बाहर पहुंचाने के लिए बाहर निकल रहे थे, लेकिन एनआइटी प्रशासन के इशारे पर पुलिस ने उनपर लाठियों की बरसात कर दी। पुलिसकर्मियों ने हॉस्टल परिसर में भी दाखिल होकर छात्रों को पीटा और तोड़-फोड़ की।
बेनतीजा बैठक
बाहरी राज्यों के छात्रों ने मंगलवार को भी कक्षाओं का बहिष्कार जारी रखा। वह दिनभर नारेबाजी करते हुए तवी हॉस्टल के पास बैठे रहे। दोपहर बाद एनआइटी प्रशासन ने आंदोलनरत छात्रों के प्रतिनिधियों को बैठक के लिए बुलाया। लगभग दो घंटे तक यह बैठक चली। बैठक के बाद रजिस्ट्रार फैयाज अहमद ने दैनिक जागरण को फोन पर बताया कि मामला हल हो गया है। छात्र अब बुधवार से कक्षाओं में आएंगे। हालात सामान्य हो गए हैं। हमने बाहरी छात्रों की सभी शंकाओं का समाधान करने का प्रयास किया है। वहीं दूसरी ओर छात्रों ने बैठक के नाकाम होने की बात कहते हुए आरोप लगाया कि भीतर सभी अध्यापक और प्रशासनिक अधिकारी मामला सुलझाने के बजाय उन्हें डरा रहे थे। एक छात्र ने कथित तौर पर कहा बैठक के दौरान एनआइटी निदेशक प्रो. रजत गुप्ता ने कहा कि एमएचआरडी के लोग आएंगे, एक घंटा यहां रुकेंगे फिर चले जाएंगे। उसके बाद क्या होगा।
आरोपों का दौर
बैठक के बाद बाहरी छात्रों ने दोबारा नारेबाजी शुरू कर दी। उन्होंने जुलूस लेकर परिसर से बाहर जाना चाहा, लेकिन मुख्य गेट से पहले ही पुलिस ने उन्हें रोक लिया। छात्रों द्वारा विरोध जताने और धक्का-मुक्की करने पर पुलिस ने छात्रों पर आंसूगैस के गोले दागते हुए जमकर लाठियां भांजी। छात्रों को पुलिस ने वापस हॉस्टल की तरफ खदेड़ा और उन्हें जमकर पीटा। पुलिस कार्रवाई में लगभग तीन दर्जन छात्र जख्मी हुए हैं, लेकिन पुलिस ने इससे इन्कार किया है। रजिस्ट्रार एनआइटी फैयाज अहमद ने लाठीचार्ज के बारे में पहले तो इन्कार किया। फिर कहा कि मैं जब वहां से निकला था तो सबकुछ ठीक था, बाद में क्या हुआ मुझे पता नहीं। इसके बाद उनका फोन स्विच ऑफ हो गया। अनआइटी के निदेशक प्रो. रजत गुप्ता का भी मोबाइल फोन स्विच ऑफ रहा। इसके अलावा लैंडलाइन पर भी वह उपलब्ध नहीं हो पाए, लेकिन उनके पीए पीएल सप्रू ने लाठीचार्ज की पुष्टि करते हुए कहा कि छात्र परिसर से बाहर जाना चाहते थे। वह एक जुलूस की शक्ल में जा रहे थे। इससे बाहर हंगामा हो सकता था। पुलिस ने उन्हें इससे रोका और उसके बाद वहां लाठीचार्ज हो गया। चार लड़कों को चोट पहुंची है।
क्या है विवाद
एनआइटी में गत बृहस्पतिवार रात से ही तनाव बना हुआ है। कश्मीरी छात्रों और बाहरी छात्रों के बीच भारत की हार के बाद मारपीट हुई थी। कश्मीरी छात्रों ने भारत की हार का जश्न मनाया था, जबकि बाहरी राज्यों के छात्रों ने इसका विरोध करते हुए तिरंगा फहराया था। अगले दिन शुक्रवार को भी मामले ने दोबारा तूल पकड़ लिया। इसके बाद प्रशासन ने शनिवार को सभी पक्षों के बीच सुलह का प्रयास करते हुए एनआइटी में अकादमिक गतिविधियों को दो दिन बंद रखा। सोमवार से कड़ी सुरक्षा के बीच फिर कक्षाएं शुरू हुईं, लेकिन सिर्फ कश्मीरी छात्र ही कक्षाओं में पहुंचे, जबकि अन्य छात्रों ने कक्षाओं का बहिष्कार जारी रखा और धरना-प्रदर्शन पर बैठ गए।

छात्रों की मांगें और आरोप
छात्र अपनी सुरक्षा के लिए एनआइटी में केंद्रीय सुरक्षाबलों की तैनाती, कैंटीन संचालक को बदलने, राष्ट्रविरोधी तत्वों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने व मीडिया को परिसर में प्रवेश करने की अनुमति देने की मांग कर रहे हैं। इसके साथ छात्र चाहते हैं कि एमएचआरडी के प्रतिनिधियों के साथ उनका सीधा संवाद करवाया जाए। कई अध्यापकों व स्थानीय छात्र उन्हें परिसर में तिरंगा लहराने के लिए गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दे रहे हैं। साथ ही उन्हें फेल करने की धमकी भी दे रहे हैं।
हमें बचाओ
परिसर के भीतर के हालात काफी भयावह हैं। मीडिया को भीतर जाने की अनुमति न होने के कारण बच्चों ने अंदर की स्थिति बाहर पहुंचाने के लिए खुद ही मोबाइल पर लाठीचार्ज की तस्वीरें खींचीं और उन्हें मीडिया व अपने संबंधियों तक पहुंचाया। रोते हुए बच्चों ने कहा कि हमें बचाओ।

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Posted By: Molly Seth