अभी तक भूकंप की भविष्यवाणी करना असंभव है लेकिन नन्हीं सी चीटी को इसका आभास हो जाता है और वह भी भूकंप आने के एक दिन पहले. शोधकर्ताओं की मानें तो चीटियों को एक दिन पहले ही भूकंप आने का एहसास हो जाता है.


शोधकर्ताओं ने पाया कि रेडवुड चीटियां भूकंप के दौरान पड़ी दरारों में अपनी बस्तियां बसाती हैं. रिसर्च में उन्होंने देखा कि भूकंप आने से एक दिन पहले चीटियों के व्यवहार में काफी बदलाव आ जाता है और भूकंप के एक दिन बाद वे पहले की तरह सामान्य हो जाती हैं. लाइव साइंस की रिपोर्ट के मुताबिक चीटियों की इस विशेषता को जानने के लिए जर्मनी स्थित यूनिवर्सिटी डिसबर्ग एसेन के गैब्रियल बरबेरिक ने चीटियों के 15 हजार से भी ज्यादा टीलों का अध्ययन किया. बरबेरिक  और उनके सहयोगियों ने करीब तीन साल तक वीडियो कैमरे की मदद से चीटियों पर नजर बनाए रखी और एक विशेष साफ्टवेयर के इस्तेमाल से उनकी गतिविधियों का अध्ययन किया गया.
शोधकर्ताओं का कहना है तीव्रता दो से अधिक होने पर ही चीटियां अपना व्यवहार बदलती हैं. बरबेरिक कहते हैं कि भूकंप आने से एक दिन पहले चीटियां रातभर अपने टीले के बाहर जागती रहती हैं जबकि आम दिनों में वह दिनभर काम करने के बाद रात को सो जाती हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि चीटियों को उस दौरान जमीन से उठने वाली गैसों और हलचलों से भूकंप का अंदाजा हो जाता है. इस अध्ययन को विएना में वार्षिक कार्यक्रम यूरोपियन जियोसाइंसेज यूनियन में भी पेश किया जा चुका है.

Posted By: Garima Shukla