सरकारी बैंकों के डूबते कर्ज एनपीए को देखते हुए सरकार ने अपना रुख कड़ा कर लिया है। इस संबंध में वित्त मंत्री ने कल बैंक के अधिकारियों के साथ कर डूबते कर्ज के मुद्दे पर गहन विचार विमर्श किया। जिसके बाद उनका कहना था कि इरादतन कर्ज नहीं चुकाने वालों से बैंक अपने स्‍तर से निपटने के लिए पूरी तरह से आजाद हैं।


हालात सुधरने के बाद देश में सरकारी बैंकों के डूबते कर्ज (एनपीए) डूबते जा रहे हैं। जिसको लेकर वित्तमंत्रालय काफी चिंतित है। इस दौरान कल वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कल बैंकों की दूसरी तिमाही समीक्षा की। जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रमुखों के साथ भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य भी मौजूद रही। बैठक में डूबते ऋण के मुद्दे पर गहन विचार-विमर्श किया। इसके अलावा इस्पात सहित अन्य क्षेत्रों के एनपीए, ऋण के उठाव, बैंकों की वित्तीय सेहत और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं पर भी चर्चा की गई। जिसमें यह साफ हुआ है कि सरकारी कंपनियों में विनिवेश बाजार के हालात सुधरने के बाद किया जाएगा। ऐसे में जरूरी है कि सबसे पहले सरकारी बैंकों के डूबते कर्ज को बचाने का प्रयास किया जाएगा। इससे सरकारी अर्थव्यवस्था पटरी पर आएगी।दिवालिया कानून भी
ऐसे में बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि इरादतन कर्ज नहीं चुकाने वालों से सख्ती से निपटा जाए। इसके लिए बैंकों के पास पूरा अधिकार और स्वायत्तता है। जिससे की सरकारी कर्ज से खिलवाड़ करने वाले लोगों के मंसूबों पर पानी फिर सके। इसके साथ ही बैंकों के लिए काफी तेजी से एक दिवालिया कानून भी बनाया जा रहा है जिससे भी काफी हद तक मदद मिलेगी। इस दौरान उनका कहना था कि यह सरकारी बैंकों की स्िथति को पटरी पर लाए जाने वाले कदमों का एक जरूरी हिस्सा है। जिससे कि बैंकों को सशक्त करके एक प्रभावी बैंकिंग की ओर बढा जा सके।

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Posted By: Shweta Mishra