इंसान की लाइफ में ऐसा समय जरूर आता है जब उसके द्वारा लिया गया कोई फैसला गलत साबित हो जाए। यह गलत फैसला कभी-कभी जिंदगी बदल देता है तो कई बार सुधरने का मौका भी देता है। जी हां आज हम बात कर रहे हैं इनवेस्‍टमेंट डिसीजन की। इनवेस्‍टमेंट कब और कहां करना है इसको लेकर दिमाग में काफी उथल-पुथल रहती है। इस हड़बड़ी में अगर आपसे जरा सी चूक हुई तो काफी नुकसान भी उठाना पड़ जाता है। तो आइए बताते हैं इनवेस्‍टमर्स द्वारा की जाने वाली उन 5 गलतियों के बारे में....... ताकि आप रहें सचेत...

(1) Being impatient and emotional :- इनवेस्टमेंट करने के दौरान सबसे पहला और महत्वपूर्ण फैसला 'धैर्य' का होता है। जी हां अगर आपके अंदर पेशेंस है, तो कोई भी इनवेस्टमेंट बुरा नहीं हो सकता। मार्केट में इसे इनवेस्टमेंट की Key कहा जाता है। आप अपने इमोशंस को जितना ज्यादा कंट्रोल करेंगे, उतना ही फायदा होता जाएगा। जैसे कि आपने अगर 20 साल का कोई इक्िवटी फंड लिया है तो इस दौरान बीच में अगर रेट डाउन भी होते हें, तो चिंता करने और घबराने की जरूरत नहीं है। आपने जो टाइम दिया है, उसे पूरा होने का समय जरूर दे और तब तक धैर्य बनाए रखें।
(2) Debt for the long-term and equity for the short-term :- आमतौर पर इनवेस्टर्स PPF (15 Yrs.) Tax free bonds (10-15 yrs.) और Fixed deposits (5 yrs.) लेकर काफी कंफर्टेबल रहते हैं। लेकिन जब इक्विटी में इनवेस्ट करने की बारी आती है, तो इनवेस्टर्स महीने या सालभर में ही मुनाफा कमाने की सोचते हैं जोकि गलत है। यहां हमेशा ध्यान रखें कि अगर इक्विटी फंड में पैसा लगा रहे हैं, तो इसे लांग टर्म का रखें जबकि डेब्ट फंड में हमेशा शॉर्ट टर्म का ही इनवेस्टमेंट करें।
(3) Selling winners and holding losers :- इनवेस्टमेंट करने के बाद कोई नहीं चाहेगा कि उसे लॉस हो लेकिन कभी-कभी हम ऐसा डिसीजन ले लेते हैं जो बाद में गलत साबित होता है। यह जरूरी नहीं होता कि इक्िवटी मे हर समय प्रॉफिट ही हो। अक्सर देखा जाता है कि जो इनवेस्टर्स अपने फंड को होल्ड किए रहते हैं वह फंड बेचने वाले इनवेस्टर्स के मुकाबले घाटे में रहते हैं। जी हां जैसा कि कहा जाता है कि धैर्य रखना अच्छी बात होती है लेकिन धैर्य के साथ-साथ मार्केट का हाल-चाल भी लेते रहें। उदाहरण :- साल 2009 में किंगफिशर एयरलाइंस का स्टॉक प्राइस 73 रुपये था, जबकि 6 साल बाद यानी 2015 में यह प्राइस सिर्फ 1 रुपये रह गया। अब ऐसे में जो इनवेस्टर्स होल्ड किए होंगे उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा था। इस कंडीशन में ध्यान रखें कि कभी भी एक जगह पूरा पैसा न लगाएं।
(4) Buying equity on herd mentality :- ऐसे इनवेस्टर्स की बड़ी लिस्ट सामने आती है, जो अपने दोस्तों के सजेशन और मीडिया रिपोर्ट को ध्यान में रखकर इनवेस्टमेंट कर देते हैं। जोकि एक गलत प्रैक्टिस है। जैसे आप जब मोबाइल या कार खरीदने जाते हैं तो उसकी अच्छी तरह से जांच-पड़ताल करने के बाद जो प्रोड्क्ट उपयुक्त लगता है, वही खरीदते हैं। तो ऐसे में इनवेस्टमेंट के दौरान हम दूसरों की बातों में क्यों आ जाते हैं। आप जब इनवेस्ट करने का प्लॉन बना रहे हों, तो कंपनी या बैंक जिसमें इनवेस्ट करना चाह रहे हैं उसकी ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर सारी जानकारी ले लें।

(5) Ignoring inflation and taxation :-
बड़े इनवेस्टर्स जिनका हॉई टैक्स स्लैब होता है, वे इनवेस्टमेंट के दौरान टैक्सेशन को इग्नोर करें। यही नहीं इनफ्लेशन को लेकर भी अपना मत क्िलयर रखें। इनफ्लेशन का कितना और क्या प्रभाव पड़ रहा है, इसके बारे में ज्यादा मत सोचें।

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Posted By: Abhishek Kumar Tiwari