आयुष्मान खुराना का काम करने का तरीका अलग, बोले- किरदारों को कभी नहीं ले जाता घर
नई दिल्ली (आईएएनएस)। आयुष्मान खुराना एक मेथेड एक्टर नहीं हैं। वह अपने किरदारों को फिल्मी पर्दे पर तो जीते हैं मगर उन्हें घर ले जाना पसंद नहीं करते। अभिनेता का कहना है कि वह खुद पर अनुचित दबाव डाले बिना नई चीजों का पता लगाना पसंद करते हैं। आयुष्मान ने अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत ऑफबीट भूमिकाओं के साथ शुरू की। वह अपरंपरागत फिल्मों से बॉलीवुड की हिट मशीन बन चुके हैं। शूजीत सरकार की 2012 में आई फिल्म "विक्की डोनर" से आयुष्मान ने अपना बाॅलीवुड डेब्यू किया। उन्होंने अपने आकर्षण और मजाकिया अंदाज से फैंस का दिल जीत लिया।
किरदारों को घर पर नहीं ले जाता
माना जाता है कि आयुष्मन के किरदार काम के बाद भी उनके साथ रहते हैं, तो आयुष्मान ने कहा कि वह "स्विच ऑन और स्विच ऑफ" पर विश्वास रखते हैं। आयुषमान ने आईएएनएस को बताया, "मैं एक मेथेड एक्टर नहीं हूं। मैं बहुत आसानी से स्विच ऑन और स्विच कर लेता हूं। इसलिए, मैं अपने किरदारों को घर वापस नहीं ले जाता हूं। नई चीजें हमेशा सीखनी चाहिए। मैंने 'अनुच्छेद 15' या 'अंधाधुन' के लिए काफी नया किया। 'अंधाधुन' के लिए, मैंने पियानो सीखना शुरू किया। वहीं 'अनुच्छेद 15' के लिए, मैंने भारत में जाति व्यवस्था के बारे में लोगों को जानकारी थी। इसलिए वह फिर से मेरे लिए एक तरह की सीख बन गई।
आयुष्मान अमिताभ बच्चन स्टारर फिल्म 'गुलाबो सीताबो' में भी नजर आए। उन्हें बॉलीवुड की हिट मशीन कहा जा सकता है, लेकिन वह उम्मीदों से दबाव लेने से बचते हैं। एक्टर ने कहा, 'एक ही समय में मैं जो कुछ भी हूं उसका आनंद लेता हूं। मैं वास्तव में इस प्रक्रिया का आनंद लेता हूं और मैं खुद पर अनुचित दबाव नहीं डालता। मुझे हर फिल्म के साथ खुद को बदलना नहीं है। जैसा कि मैंने पहले कहा था, मैं इसके लिए सही स्क्रिप्ट का इंतजार कर सकता हूं।'