कल रिजर्व बैंक गर्वनर रधुराम राजन की फटकार के बाद स्टेट बैंक और आईसीआईसीआई जैसे बैंकों ने अपनी ब्याज दरों में कमी करने की घोषणा की है.


अब तक रिजर्व बैंक से राहत ना दिए जाने की शिकायत कर रहे कई बैंकों ने बढ़ते दवाब के चलते अब ब्याज दरों में कटौती के लिये मन बना लिया है. भारतीय स्टेट बैंक और प्राइवेट सेक्टंर बैंकों जैसे एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक ने अपनी आधार दर में 0.15 से लेकर 0.25 प्रतिशत तक कटौती करने की घोषणा की है. और बैंकों ने भी इस रास्ते पर कदम बढ़ाने के संकेत दिए हैं. बैंकों की इस घोषणा के बाद मकान, दुकान और वाहनों के लिये कर्ज सस्ता होने की उम्मीद बढ़ गयी है.


दरसल कल रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गर्वनर ने बैंको को उनकी बहानेबाजी पर फटकारते हुए कहा था कि जब रेपो रेट बदलाव नहीं हुआ तो बैंक हल्ला मचा रहे हैं और जब ये घटा था तब भी ग्राहकों को कोई फायदा नहीं दिया गया उसका क्या. नीतिगत ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किए जाने की वजह आरबीआई ने बताई थी कि बेमौसम बारिश के बाद खाद्य पदार्थों के दाम पर असर पडने का खतरा है जिसके चलते अपनी तिमाही मौद्रिक नीति समीक्षा में रिजर्व बैंक ने ऐसा किया है. पर बाकी बैंको इसको लेकर हल्ला मचा दिया था जिस पर आरबीआई ने उन पर दवाब बढ़ा दिया.

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने तीन महीने के लिए 2015-2016 की मॉनिटरी पॉलिसी की घोषणा की तो इस पॉलिसी में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया और 7.5 पर्सेंट ही निश्चित किया गया. साथ ही कैश रिजर्व रेश्यो यानि CRR को भी नहीं बदला गया है ये भी चार पर्सेंट ही रहा. इस पर बेंको की ओर से ऐसी खबरें आयीं कि उन्हें कोई राहत नहीं दी गयी है. इसी बात पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गर्वनर रघुराम राजन ने नाराजगी जाहिर की. उन्होंने पिछली बार घटाई गई ब्याज दरों का फायदा ग्राहकों तक न पहुंचाने को लेकर बैकों को फटकारते हुए कहा कि बैंकों के फंड्स रखरखाव की लागत में कमी नहीं हुई है, यह बात पूरी तरह से बकवास है.

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Posted By: Molly Seth