- शंभूपाल मर्डर केस में 23 साल बाद फैसला

-रामकरन आर्य को उम्र कैद, आठ आरोपी बरी

BASTI: शंभूपाल हत्याकांड में प्रदेश के पूर्व मंत्री राम करन आर्य को 23 साल बाद आए फैसले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। उम्र कैद के साथ कोर्ट ने 23 हजार का अर्थदंड भी लगाया है। अर्थदंड अदा न करने पर डेढ़ वर्ष की अलग से सजा भुगतनी होगी। केस में नौ अन्य आरोपियों में एक की मौत हो चुकी है जबकि आठ को संदेह के लाभ में बरी कर दिया गया। सजा का आदेश होते ही कड़ी सुरक्षा में पूर्व मंत्री को जेल भेज दिया गया। शंभूपाल भाजपा सांसद जगदंबिका पाल के चचेरे भाई थे। 24 नवंबर, 1994 को घटना के वक्त राम करन आर्य विधायक थे। उन्होंने वाहन टकराने के विवाद में अपने एक साथी की बंदूक छीनकर शंभूपाल को गोली मार दी थी।

और छलक पड़े आंसू

रामकरन आर्य सपा सरकार में आबकारी एवं खेलकूद राज्य मंत्री रहे। वर्ष 2017 का विधानसभा चुनाव सपा के टिकट पर लड़े और बुरी तरह हार गए। वह चार बार विधायक और दो बार सपा सरकार में मंत्री रहे। 1989 में वह इसी सीट से जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़कर जीते थे। इसके बाद वह फिर 1993 में सपाई बन गए और चुनाव जीत गए। वर्ष 2002, 2012 में वह सपा के टिकट पर लड़े और जीते।

फैसला सुनकर शंभूपाल के पुत्र शिवबहादुर पाल और अन्य परिवारीजनों की आंखों से आंसू बहने लगे। शिव बहादुर ने कहा कि बरी किए गए आठ आरोपियों के खिलाफ वह आगे कानूनी लड़ाई लडें़गे। शंभूपाल हत्याकांड में सह आरोपी बनाए गए राम उजागिर, ओम प्रकाश पुत्र दीनदयाल निवासी सैदापुर थाना गोसाईगंज, लखनऊ, उस्मान उर्फ युसूफ, अमरचंद, राम पियारे, कांस्टेबल रूपेंद्र कुमार पुत्र परदेशी निवासी मदारी, थाना महुआडाड़ जिला पलामू, झारखंड एवं बनारसी प्रसाद को बरी कर दिया गया। आरोपी कांस्टेबल श्यामसुंदर की मुकदमे के दौरान मौत हो गई।

जगदंबिका पाल के भाई थे शंभूपाल

24 नवंबर 1994 को शंभू पाल वर्तमान में डुमरियागंज से भाजपा सांसद एवं तत्कालीन सदर विधायक जगदंबिका पाल द्वारा वाल्टरगंज में आयोजित किसान गोष्ठी में शामिल होने जा रहे थे। जीप में चचेरे भाई जय बख्श पाल तथा ओमप्रकाश सिंह, परमेश्वर पाल और सत्यवान सवार थे। पाल की जीप गांधी कला भवन के पास पहुंची, तभी आगे चल रही तत्कालीन विधायक राम करन आर्य के वाहन से टकरा गई। इसको लेकर दोनों पक्षों में कहासुनी होने लगी। इस बीच आर्य वाहन से नीचे उतरे और साथ चल रहे साथी की बंदूक छीन ली और शंभूपाल को निशाना बना गोली चला दी। गंभीरावस्था में शंभूपाल को जिला अस्पताल ले जाया गया। वहां डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।

दस लोग थे नामजद

जयबख्श पाल की तरफ से दर्ज कराई गई प्राथमिकी में राम करन आर्य समेत 10 को नामजद किया गया था। दो आरोपियों राम उजागिर और ओमप्रकाश को उसी दिन गिरफ्तार कर लिया गया था। बाद में राम करन आर्य को गिरफ्तार किया गया। कोतवाली पुलिस ने 9 दिसंबर, 1994 को आरोप पत्र दाखिल किया तो आरोपी विधायक ने 24 दिसंबर, 1994 को सीबीसीआइडी से जांच के आदेश करा दिए। सीबीसीआइडी के इंस्पेक्टर बृजेंद्र मोहन पांडेय ने आरोपी राम करन आर्य का बयान दो जनवरी, 1995 को लखनऊ कारागार में लेने के बाद जांच में पुलिस की तफ्तीश को सही ठहराया और 15 फरवरी, 1995 को रिपोर्ट फाइल कर दी। सत्ता के दबाव का नतीजा यह रहा कि उस समय के डीएम, एसपी, एआरटीओ और मेजर एसबी सिंह ने बचाव पक्ष की तरफ से गवाही दी थी। इतने के बाद भी साक्ष्यों को झुठलाया नहीं जा सका और पूर्व मंत्री जांच में घिरते चले गए।

चार बार विधायक और दो बार मंत्री रहे रामकरन

देर से ही सही पर न्याय मिला। सत्ता के दबाव में रामकरन आर्य ने मुकदमे को प्रभावित करने का काफी प्रयास किया पर कानून के आगे उनकी एक न चली।

- जगदंबिका पाल, बीजेपी सांसद

Posted By: Inextlive