- बसंत पंचमी पर ज्ञान की देवी मां सरस्वती की हुई पूजा-अर्चना

- स्कूल व एजूकेशनल इंस्टीट्यूशंस में हुए कई आयोजन

ALLAHABAD: माघ मास की पंचमी तिथि पर प्रकृति अपने वासंती विलास का वैभव बिखेरती है। इसी दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती का प्राकट्य भी माना जाता है। इस कारण बसंत पंचमी के मौके पर मां सरस्वती की विधि पूर्वक पूजा का विधान है। सैटरडे को भी बसंत पंचमी के मौके पर स्कूलों व एजूकेशनल इंस्टीट्यूशन में पूरे विधि विधान के साथ विद्या और ज्ञान की देवी मां शारदा की उपासना की गई। महर्षि पतंजलि विद्या मंदिर में भी बसंत पंचमी पर मां सरस्वती का विधिपूर्वक पूजन किया गया। इस दौरान स्टूडेंट्स ने कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति करने मां सरस्वती की महिमा का बखान किया। कार्यक्रम के दौरान क्लास टेंथ की छात्रा सृष्टि ने वसंतोत्सव माहात्म्य एवं मां सरस्वती की पूजा एक अद्भुत संयोग पर अपने विचार भी लोगों के सामने पेश किए।

साइंस एग्जीबिशन में दिखी छात्रों की मेधा

बसंत पंचमी पर रानी रेवती देवी सरस्वती विद्या निकेतन इंटर कालेज में भी साइंस एग्जीबिशन का आयोजन भी हुआ। छात्रों ने स्मार्ट सिटी, सोलर सेल, जेसीबी मशीन, लेजर सुरक्षा अलार्म, मानव जीवन उत्पत्ति, ज्वालामुखी, तोप आदि के मॉडल तैयार करके लोगों के सामने अपनी मेधा की शानदार झलक पेश की। इस मौके पर मां सरस्वती की पूजा-अर्चना के बाद अन्य कई कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया। बसंत पंचमी के अवसर पर स्कूल में हुए बाल मेले में जूनियर वर्ग के छात्रों के लिए समोसा, रसगुल्ला, चाऊमीन, भेलपुरी, गोलगप्पे, चाय आदि की स्टॉल भी लगायी गई। छात्रों ने भी इस मौके का जमकर लुत्फ उठाया। दुर्गावती इंटरनेशनल स्कूल में भी बसंत पंचमी पर सरस्वती पूजा का आयोजन किया गया। ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कालेज में भी इस मौके पर ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा-अर्चना की गई। झलवा स्थित संगम वाटिका में भी सरस्वती पूजन का आयोजन हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।

ऋतु परिवर्तन की भी शुरुआत

बसंत पंचमी के मौके पर ही ऋतु परिवर्तन की शुरुआत भी मानी जाती है। आध्यात्मिक व सामाजिक दोनों ही रूप से इसका बड़ा महत्व माना जाता है। विद्वानों की मानें तो आज के बसंत पंचमी तंत्र साधना करने वालों के लिए भी बहुत महत्व रखता है। सैटरडे को माघ मेले में भी इसकी झलक देखने को मिली। जहां बड़ी संख्या में साधक तंत्र साधना में लीन दिखे। आज के दिन ही होली के अवसर पर जलाई जाने वाली होलिका की शुरुआत भी होती है। बसंत पंचमी के दिन ही होलिका जलाने के लिए लकडि़यों को एकत्र करने की परम्परा भी सालों पुरानी है। इसके साथ ही अन्य कई कार्यो की भी आज के दिन से ही शुरुआत होती है।

ये हैं प्रमुख मान्यताएं

- होलिका दहन के लिए बसंत पंचमी से ही लकडि़यों को एकत्र करने का शुरू होता है सिलसिला

- नई फसल के फल व अन्न की होती है पूजा

- तंत्र शास्त्र के द्वारा गुप्त सिद्धियों को अर्जित करने का प्रमुख दिन

- सरसों के फूलों की पूजा

- ऋतु परिर्वतन का शुभारम्भ

Posted By: Inextlive