- शहर के सिविल लाइंस के कई गलियों में पूरे बारिश रहता है जल जमाव

- कलेक्ट्रेट तो पोखरे जैसी हो जाती है हालात

-बारिश में शहर के पॉश कॉलोनी की हालत गांव जैसी

GORAKHPUR: शहर का सबसे पॉश एरिया है सिविल लाइंस। इसमें गोलघर, इंदिरा बाल विहार, सिनेमा रोड, विजय चौक, बैंक रोड और टाउन हॉल हैं। शहर की सफाई के जिम्मेदार भी इसी इलाके में रहते हैं। फिर भी यहां स्थिति जस की तस है। हर साल हल्की बारिश में भी रोड जलमग्न हो जाते हैं और अधिकार हर साल योजना बनाने का आश्वासन देते हैं।

सिविल लाइंस के बीएसएन ऑफिस के पीछे बारिश होते ही नाव चलने जैसी स्थिति हो जाती है। इस रास्ते पर शहर के दो प्रतिष्ठित स्कूल हैं। इनको बंद करने जैसी स्थिति आ जाती है। हरिओम नगर तिराहा से लेकर एमपी इंटर कॉलेज तिराहा तक बारिश के समय एक तरफ का रास्ता बंद हो जाता है। इंदिरा बाल विहार तिराहे की जल निकासी के लिए पिछले तीन साल से नगर निगम ने एक भी योजना नहीं बनाई है। यहां बारिश होते ही 12 से 13 घंटे तक दो से तीन फीट पानी लगा रहता है।

ये हैं वजहें

1- सिविल लाइंस के नालों का ढाल पूरी तरह से अव्यवस्थित है।

2- सिविल लाइंस की नालियों में सबसे अधिक अतिक्रमण है। इसे नगर निगम द्वारा कभी हटाया नहीं गया।

3- नालों की गहराई और चौड़ाई में भी जगह-जगह अंतर है। कई जगह चार फीट चौड़े नाले के पानी की निकासी दो फीट चौड़े नाले से होती है।

4- सिविल लाइंस के आरटीओ, एमपी ग‌र्ल्स इंटर कॉलेज एरिया की जल निकासी के लिए बनी नालियां नीची है, जबकि नाले ऊंचे से जिससे यहां का पानी बहुत स्लो से निकलता है।

5- सिविल लाइंस के मोहल्लों की नालियां टूटी हुई है, जो तेज बारिश के पानी की जल निकासी की क्षमता नहीं उठा पाती है।

योजना तक नहीं बना पाए जिम्मेदार

हर साल की तरह इस साल भी सिविल लाइंस डूबेगा, क्योंकि इसे बचाने के लिए अधिकारियों ने कुछ नहीं किया। सिवाय एक प्रस्ताव तक नहीं बना सके। जबकि, जिले के आला अफसर डीएम, नगर आयुक्त, मेयर तक यहां बैठती है। फिर भी लोगों को डृबने के लिए छोड़ दिया जाता है।

कॉलिंग

हर साल सिर्फ कोरम पूरा किया जाता है

नालियों की सफाई न होने के कारण यह स्थिति बनती है। स्थिति यह है कि जल जमाव की हालत बन जाती है। सफाई के लिए कर्मचारी तो लगाए जाते हैं, लेकिन वह केवल कोरम पूरा करते हैं। कार्य नहीं करते हैं। इसलिए जल जमाव की हालत बनती है।

धनंजय कुमार, स्थानीय नागरिक

यहां सब कुछ भगवान भरोसे चल रहा है। नालियों में कचरा भरा हुआ है और सड़क पर नालों का पानी बह रहा है। इसको हटाने के लिए कहा जाता है तो आश्वासन मिलता है कि सफाईकर्मी कल भेज दिए जाएंगे और उसके बाद सफाईकर्मी आते ही नहीं हैं।

किरन सिंह, हाउसवाइफ

नगर निगम की लापरवाही से जल जमाव की हालत बनती है। पिछले तीन साल से सिविल लाइंस के जल निकासी के लिए एक भी ठोस कदम नहीं उठाया है। स्थिति यह है कि सिविल लाइंस की जल निकासी के लिए बने नाले कई नाले बारिश में भी सूखे रहते हैं, जबकि कई ऐसे नाले हैं जो गर्मी में ओवर फ्लो होते हैं।

रामनाथ कुमार, सर्विसमैन

शहर की जल निकासी के लिए नगर निगम केवल कोरम पूरा करता है। कार्य नहीं करता है। इस एरिया के नाले और नालियों को कोई सिस्टम ही नहीं है। इन नालों का पानी आधे इधर जाओ आधे उधर जाओ की स्थिति में रहते हैं।

श्याम कुमार, दुकानदार

इंटरव्यू

साहबगंज मंडी में जल जमाव पर नगर निगम के चीफ इंजीनियर एसके केसरी का ये कहना है

सवाल- लोगों के मन में फिर जल जमाव को लेकर डर है, क्या कहेंगे?

जवाब- जल जमाव तो गोरखपुर के हर गली में होता है। बारिश कितना होती है, इस पर डिपेंड करता है कि यहां जल जमाव कितना होता है। लोग अब आदी हो चुके हैं जल जमाव के।

सवाल- साल भर तक इसके लिए क्या हुआ, अब तो बारिश सिर पर है?

जवाब- शहर के कई हिस्सों में नालों के निर्माण का कार्य चल रहा है। सिविल लाइंस में नालियों की मरम्मत हो गई है। जल निकासी के लिए पंपिंग सेट तैनात कर दिए गए हैं बारिश होते ही उनको चालू करा दिया जाएगा।

सवाल- पिछले साल मिले फंड का क्या हुआ? खर्च होता तो शायद ये नौबत नहीं आती?

जवाब- पिछले साल का पैसा खर्च हुआ है। खर्च होने से जल जमाव रूकता तो अभी तक बहुत पैसा खर्च हुआ जल जमाव शहर से समाप्त हो गया होता।

Posted By: Inextlive