'होमियोपैथी में इलाज की असीमित संभावनाएं' विषयक सेमिनार में एक्सप‌र्ट्स ने रखे विचार

डायबटीज के इलाज में भी होमियोपैथी की बताई महत्ता

VARANASI

होमियोपैथी एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है जो किसी भी रोग का जड़ से नाश करती है। इस पद्धति में किसी व्यक्ति के रोग का इलाज उसके स्वभाव को ध्यान में रखते हुए किया जाता है। यही कारण है कि इस पद्धति में इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं हर व्यक्ति के लिए अलग अलग होती हैं। ये बातें शनिवार को बीएचयू के स्वतंत्रता भवन में 'होमियोपैथी में इलाज की असीमित संभावनाएं' विषय पर चल रहे तीन दिवसीय सेमिनार के दूसरे दिन सामने आयीं। बनारस होमियोपैथिक डॉक्टर्स एसोसिएशन, प्रेडिक्टिव होमियोपैथी व बीएचयू होमियोपैथिक डॉक्टर्स की ओर से आयोजित सेमिनार में वक्ताओं ने होमियोपैथी पद्धति में कैंसर, डायबटीज, हार्ट डिजीज और दूसरे कठिन रोगों के इलाज पर विस्तृत चर्चा की।

हर व्यक्ति के लिए अलग दवा

मुंबई से आये प्रेडिक्टिव होमियोपैथी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ। प्रफुल्ल बोरकर ने डायबटीज के इलाज में होमियोपैथी की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने एक एमबीबीएस डॉक्टर के केस का हवाला देते हुए बताया कि यह डॉक्टर पिछले ख्भ् साल से डायबटीज का पेशेंट था। वह इलोपैथ के मुताबिक डायबटीज की मेडिसिन का सेवन कर रहा था। हार कर वह हमारे पास आया और हमने उसका ट्रीटमेंट शुरू किया। आज उसका शुगर लेवल नॉर्मल है। उसे इंसुलिन लेने की भी जरूरत नहीं है और न ही वो कोई अंग्रेजी दवा खाता है। उन्होंने कहा कि होमियोपैथी में दवा सूट करनी चाहिए। यही डॉक्टर की प्रैक्टिस है कि वह व्यक्ति के रोग और उसके स्वभाव को ध्यान में रखते हुए दवा लिखे। इसके पूर्व चले सेशन में मुंबई के ही डॉ। क्षितिज जोशी ने मेंटल रिटार्डेड बच्चा जिसके दिल में छेद था, उसके इलाज में होमियोपैथी दवाओं के प्रभाव का विस्तृत वर्णन किया। उन्होंने कहा कि किसी भी लाइलाज रोग का इलाज होमियोपैथी में उपलब्ध है। अध्यक्षता डॉ। जीबी राय ने तथा संचालन डॉ। एनी सिंह ने किया। थैंक्स सेमिनार के संयोजक डॉ। एसबी चौहान ने दिया। इस अवसर पर डॉ। संजय जायसवाल, डॉ। दीपक राव, डॉ। मिनाक्षी राव आदि सीनियर होमियोपैथी डॉक्टर्स उपस्थित थे।

Posted By: Inextlive