अजित तेंदुलकर हमेशा करते रहे महान बल्लेबाज का मार्गदर्शन.


भाई ने जाना हुनरसचिन में एक महान क्रिकेटर बनने की काबिलियत है इसकी पहचान करने वाले पहले शख्स सचिन के बड़े भाई अजित तेंदुलकर थे. बचपन में सचिन अपनी साहित्य सहवास सोसाइटी की टीम में ही शामिल होकर बहुत खुश थे, लेकिन इन मैचों के दौरान अजित ने पाया कि सचिन अपनी उम्र के मुकाबले ज्यादा आक्रामक बल्लेबाजी किया करते थे. यह देख उन्होंने सचिन को क्रिकेट की बारीकिया सिखाने के लिए रमाकांत आचरेकर की कोचिंग में दाखिला दिला दिया. इसके आगे की कहानी सभी जानते हैं. खास खूबियां
अजित तेंदुलकर अपनी किताब 'द मेकिंग ऑफ ए क्रिकेटर' में 'ए चाइल्ड क्रिकेटर' अध्याय का खात्मा इन शब्दों के साथ करते हैं.. 'जब भी मैं उन्हें खेलते देखता मुझे लगता कि मैं किसी असली क्रिकेटर को खेलते हुए देख रहा हूं. मुझे समझ में आ गया था कि सचिन में कुछ खास खूबियां हैं जो व्यर्थ नहीं जानी चाहिए.'  


पर्दे के पीछे के हीरो

सचिन के क्रिकेट करियर के दौरान अजित हमेशा पर्दे के पीछे ही रहे, लेकिन वहां से भी वह सचिन को सही राह दिखाते रहे. वह कभी भी सामने नहीं आए. अपने छोटे भाई के लिए जो भी किया जा सकता था वह अजित ने किया. सही मायने में सचिन के खेल को उनके बड़े भाई से बेहतर कोई नहीं जानता था, इस कारण वह सचिन के चिरस्थाई कोच बने रहे.सबसे पहला फोन सचिन ने अपने बड़े भाई के प्रति हमेशा आदर और कृतज्ञता दिखाई है. ढाका में बांग्लादेश के खिलाफ अपने करियर का सौवां शतक लगाने के बाद सचिन ने कहा था, 'मुझे बधाई देने के लिए सबसे पहला फोन अजित का ही आया था. यह सचमुच खास था, क्योंकि वह शारीरिक और मानसिक रूप से हमेशा मेरे साथ रहे हैं. यह ऐसा है जैसे वह भी इतने सालों से मेरे साथ खेलते रहे हैं.' (मिड-डे)

Posted By: Subhesh Sharma