- पीयू की इस हालत पर क्यों चुप हैं कैंपस से पढ़कर निकले राजनेता

- धरना-प्रदर्शन में ही बीत जाते हैं यूनिवर्सिटी में साल के दो महीने

PATNA: पटना यूनिवर्सिटी कैंपस की पहचान एकेडमिक गतिविधियों से ज्यादा हंगामे व आंदोलन के लिए जाना जाता । पीयू कैंपस में 11 दिनों से नॉन टीचिंग कर्मचारियों के स्ट्राइक के कारण सभी कॉलेजों एवं डिपार्टमेंट्स में ताले लटके हुए हैं। एकेडमिक एवं एडमिनिस्ट्रेटिव वर्क ठप है। पटना विश्वविद्यालय संयुक्त कर्मचारी संघर्ष मोर्चा और वीसी डॉ वाई सी सिम्हाद्री आमने सामने हैं।

सभी एकेडमिक गतिविधि ठप

पटना यूनिवर्सिटी में नॉन टीचिंग का स्ट्राइक इसस पूर्व 7 अप्रैल को प्रारंभ हुआ था। 19 अप्रैल तक कैंपस में वीसी और कर्मचारियों के बीच विवाद चलता रहा। स्टूडेंट्स के परेशानी को देखते हुए राजभवन ने 20 अप्रैल को कर्मचारी संगठनों और वीसी को बुलाया। दोनों पक्ष के तर्क सुनने के बाद कर्मचारी संगठनों को तत्काल समाप्त करवाया गया। इस दौरान कर्मचारियों के डिमांड पर जल्द से जल्द पूरा करें। राज्यपाल के हस्तक्षेप के बाद कैंपस में अगले दिन से एकेडमिक व प्रशासनिक कार्य सामान्य हो पाया। इस बार 11 दिन बीत चुका है। कैंपस में सभी एकेडमिक गतिविधि ठप है। राज्य सरकार या राजभवन की ओर से कोई भी हस्तक्षेप मामले में प्रकाश में नहीं आया है। स्टूडेंट्स परेशान हैं, अब सवाल उठता है आखिर कब और कौन संस्था कैंपस में हड़तालों के सिले-सिले को रोकने के लिए स्थाई हल निकालेगा।

मामला पहुंच चुका है कोर्ट में

कैंपस में अतिक्रमण को हाई कोर्ट के आदेश पर हटाया गया है। अतिक्रमण हटाने के दौरान बड़ी संख्या में पुलिस बल के साथ कैंपस में फैले अतिक्रमण को हटाया गया। इस दौरान कोर्ट को यूनिवर्सिटी की ओर से कैंपस में अतिक्रमण हटाने पर कर्मचारियों की ओर से माहौल खराब करने का आरोप लगाया गया। इस मामले में कर्मचारी संगठन ने वीसी पर वकील के माध्यम से कोर्ट को गुमराह करने का आरोप लगाया। कोर्ट ने कर्मचारी संगठन से मामले में अपना पक्ष रखने को कहा है।

कौन सही कौन गलत, कौन तय करेगा?

कर्मचारी संगठन की ओर से वीसी पर मनमानी का आरोप लगता रहा है। संगठन की ओर से वीसी पर जायज डिमांड को पूरा नहीं करने का आरोप लगाया। वहीं वीसी ने अप्रैल माह के स्ट्राइक के दौरान कर्मचारियों पर भी कई आरोप लगा चुके हैं। आखिर कौन सही है। कौन गलत है। कौन सा डिमांड पूरा हो सकता है। कौन नहीं। कितने समय में पूरा हो। आखिर कौन तय करेगा। इसका खामिया आखिर स्टूडेंट्स कब तक स्टूडेंट्स झेलेंगे।

अधिकारियों-नेताओं के बच्चे पढ़ें, तो

पटना यूनिवर्सिटी से बिहार के राजनीति के प्रमुख चेहरे पढ़ चुके हैं। इनमें सीएम नीतीश कुमार, पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव, पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी सहित बिहार के कई प्रशासनिक अधिकारी यहां से पढ़ कर आज ऊंचे पदों पर हैं, लेकिन इनके बच्चे यहां नहीं बढ़ते हैं। यह कहना है पटना यूनिवर्सिटी के एक्स डीन प्रो एन के चौधरी का। उन्होंने बताया कि इलाहाबाद हाई कोर्ट का सरकारी स्कूलों में अधिकारियों के बच्चे भी पढ़ेंगे का निर्णय स्वागत योग्य है। इसी तरह की व्यवस्था बिहार में यूनिवर्सिटी के भीतर होने चाहिए, तभी यहां के कैंपसों के हालात सुधरेंगे।

Demands

एसीपी शीघ्र लागू हो।

अनुकंपा पर शीघ्र नियुक्ति हो।

प्रोन्नति की प्रक्रिया शीघ्र प्रारंभ किया जाए।

ग्रेड पे का भुगतान शीघ्र किया जाए।

सेवा-सम्पुष्टि शीघ्र की जाए।

स्ट्राइक के समय का वेतन भुगतान किया जाए।

ड्रेस शीघ्र उपलब्ध कराया जाए।

सस्पेंड कर्मचारी को शीघ्र सेवा पर बहाल किया जाए।

वैकल्पिक व्यवस्था होने तक ड्यूटी रूम को खाली करने का आदेश पर तत्काल रोक लगाया जाए।

दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की सेवा नियमित की जाए।

अनुकंपा पर नियुक्त कर्मचारियों के खिलाफ जांच का आदेश वापस लिया जाए।

सेवा सम्पुष्टि में लिखित परीक्षा संबंधी आदेश को वापस लिया जाए।

समझौते के नीति का पालन किया जाय एवं टालमटोल की नीति बंद हो।

राजभवन एवं राज्य सरकार के आदेशों को लागू किया जाए।

कर्मचारियों के शोषण करना बंद किया जाए।

Flashback

April

-7 अप्रैल को पीयू में नॉन टीचिंग की स्ट्राइक।

- 8 अप्रैल को आयोजित होने वाला पार्ट वन एग्जाम स्थगित।

- 10 अप्रैल को वीसी ने पीसी कर कर्मचारियों के डिमांड्स को अवैध बताया।

-13 अप्रैल को एसएसपी व सिटी मजिस्ट्रेट ने वीसी से भेंट कर स्ट्राइक को समाप्त करवाने का अनुरोध किया।

14 अप्रैल को स्ट्राइक का हल निकालने के लिए वीसी ने साइंस कॉलेज के प्रिंसिपल के नेतृत्व में कमिटी गठन किया।

15 अप्रैल को पूटा की जेनरल बॉडी की मीटिंग में वीसी के खिलाफ ने नॉन टीचिंग को समर्थन का निर्णय।

16 अप्रैल को पूटा ने कर्मचारियों व अपने डिमांड के समर्थन में प्रदर्शन किया।

19 अप्रैल को नॉन टीचिंग का चांसलर के साथ भेंट हुई।

20 अप्रैल को कर्मचारियों ने स्ट्राइक को स्थगित करने का निर्णय।

August

क्0 अगस्त को पटना यूनिवर्सिटी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा के बैनर तले स्ट्राइक पर गए।

क्0 अगस्त को वीसी ने पीजी हेड, प्रिंसिपल्स, डायरेक्टर्स के साथ बैठक कर सबों को क्लास रेगुलर चलाने के स्वयं ताला खोलने का दिया आदेश।

क्क् अगस्त को क्लास को रेगुलर कराने के लिए कैंपसों में स्वयं पहुंचे।

क्ख् अगस्त को कर्मचारी संगठनों के हड़ताल के समर्थन में छात्र संगठनों ने अपना समर्थन दिया।

क्फ् अगस्त को कर्मचारियों ने वीसी पर बैनर फाड़ने का आरोप लगाया, आवास पर प्रदर्शन।

क्ब् अगस्त को पटना यूनिवर्सिटी टीचर्स यूनियन (पूटा) ने समर्थन दिया।

ख्0 अगस्त को क्क्वें दिन भी स्ट्राइक जारी।

साल में ख्ख्0 दिन क्लास होनी चाहिए। कैंपस में स्ट्राइक व अन्य कारणों से एकेडमिक गतिविधि भ्0-म्0 दिन बाधित रहता है। हड़ताल किसी भी संगठन की ओर से सबसे अंत में किया जाता है। इसका खामियाजा छात्रों को उठाना पड़ता है। सोसायटी को इस समस्या को समाप्त करने लिए आगे आना चाहिए। सोसायटी स्वयं दबाव बनाए या तो मामले का बेहतर हल निकलाने के लिए कोर्ट की शरण में जाया जाए, तभी कैंपस में एकेडमिक गतिविधि बहाल हो सकता है।

डॉ एन के चौधरी, शिक्षाविद्

Posted By: Inextlive