- बिहार के समस्याओं को ध्यान में रखकर राज्य को आंवटन मिले

-वित्त आयोग पर आद्री ने जारी किया एडवोकेशी पेपर

PATNA: आनेवाला समय बिहार के लिए वित्तीय संकट का हो सकता है। इस संकट के पीछे कई कारण हैं। राजनीतिक कारण, केंद्र सरकार की ओर से राज्यों को फंड देने के पैटर्न में बदलाव, राज्य सरकार की ओर से तैयार विभिन्न प्रकार की योजनाएं और सातवां वित्त आयोग के लागू होने के बाद की स्थिति शामिल है। ये बातें बिहार सरकार के वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दकी ने शुक्रवार को आद्री के एक कार्यक्रम में कही। वित्त मंत्री ने बताया कि वित्तीय प्रबंधन के लिए दो प्रकार से काम करने की जरूरत है। खर्चो को संयमित किया जाए तथा वैसे क्षेत्रों में से रेवेन्यू को बढ़ाना जहां संभावनाओं के बावजूद कार्य नहीं हो पाया है।

हम हर साल आयात करते हैं समस्या

सिद्दकी ने बताया कि हम हर साल समस्याओं का आयात करते हैं। हमें परोड़ी देश नेपाल से बाढ़ की समस्या हर साल मिलती है। साल भर में इन क्षेत्रों में जो भी विकास का काम होता है उसे बाढ़ अपने साथ ले जाती है। महाराष्ट्र व तमिलनाडु मैन्युफैक्चरिंग बेस्ट स्टेट है। वहीं बिहार पूर्णत: एग्रो बेस्ड स्टेट है। ऐसे में राज्यों के लिए पैसे के आवंटन में एक समान प्रकिया नहीं अपनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि बिहार के विकास के लिए एडवोकेसी पेपर तैयार करने में स्टेट के सभी दल एक प्लेटफार्म पर आते हैं तो यह अच्छी पहल है।

योजनाओं में हो रही है कटौती

बिहार सरकार के ऊर्जा व वाणिज्य कर मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने वित्त आयोग की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए बताया कि यह तो अभिलेख है। वित्तीय घाटा या अन्य कारणों से समस्या होने पर आवंटन कम हो सकता है। इसके अलावा केंद्र प्रायोजित योजनाओं में भी आवंटन कम हो रहा है। इसका ताजा उदाहरण उन्होंने बिजली के क्षेत्र में केंद्रीय अंशदान में कटौती को बताया।

विकास का मॉडल स्पष्ट हो

जगजीवन राम संसदीय शोध संस्थान के निदेशक श्रीकांत ने कहा कि स्टेट में सुधारों की बात सही है। लेकिन हमारे यहां विकास का कौन सा मॉडल है यह पता ही नहीं चलता है। मॉडल के बारे में स्थिति स्पष्ट करने की जरूरत है। फ्यूचर प्लानिंग के लिए इस प्रकार के अभिलेख के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कई अन्य क्षेत्रों में इस पहल को लागू करने के लिए सरकारी स्तर पर पर भी प्रयास को जरूरी बताया।

वित्तीय सुधार आयोग गठित हो

वित्तीय मामलों के जानकार वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी गुलरेज होदा ने दक्षिण के राज्यों के आधार पर बिहार में वित्तीय सुधार आयोग की वकालत की। आद्री के निदेशक प्रो शैवाल गुप्ता ने एडवोकेसी पेपर के बारे में अपने अनुभव को शेयर किया। उन्होंने क्ख् वें वित्त आयोग से इस पेपर तैयार से होने वाले लाभ के बारे में जानकारी दी। प्रोग्राम को राम वचन राय, प्रो मुखर्जी सहित कई वक्ताओं ने संबोधित किया।

Posted By: Inextlive