anuj.tiwari@inext.co.inPATNA: आज वोटिंग की गिनती शुरू होनी है जिसके लिए पूरे बिहार में 39 मतगणना केंद्र बनाये गये है. इन सारे केंद्रों पर काउंटिंग की प्रक्रिया सुबह आठ बजे से ही शुरू हो जायेगी. जिसके लिए सुबह छह बजे से ही मतगणना कर्मी और चुनाव अधिकारी आने शुरू हो जायेंगे. लेकिन इन सब के बीच जो अहम सवाल उठता है कि आखिर बंद इवीएम खोले कैसे जाते है और इनकी गिनती कैसे शुरू होती है. इवीएम के कई चरणों के बाद खोला जाता है और इसके बाद बड़ी बारीकी से इसके रिजल्ट नोट कर अंतिम परिणाम घोषित किये जाते है. आयोग ने हमेशा ही अपनी साख और मतगणना में पारदर्शिता बनाये रखने के लिए कई कदम उठाये है जिसके बारे में आज हम आपको विस्तृत से बताएंगे.


कैसे पोलिंग स्टेशन से (इवीएम) को लाया जाता है
मतदान संपन्न होने के बाद सबसे बड़ी जिम्मेदारी वहां मौजूद मतदान कर्मी की होती है, जो पूरे इवीएम को अपनी निगरानी में सील करते है। उसके बाद की जिम्मेदारी सुरक्षा कर्मियों की होती है जो इस सील इवीएम बाक्स को स्ट्रांग रूम तक पहुंचाते है। मतदान संपन्न होने के बाद इवीएम और कंट्रोल यूनिट को सबसे पहले बंदकर उसे उसके बाक्स में डाला जाता है। जिसके बाद मतदान कर्मी आयोग के द्वारा दी गई लाल रंग के मोम से इसे सील करते है और वहां मौजूद वाहन से कड़ी सुरक्षा के बीच सीधे स्ट्रांग रूम पहुंचते है जहां पर बड़ी जिम्मेदारी के साथ उस बाक्स को उसी विधानसभा क्षेत्र के काउंटर में जमा किया जाता है। इस पूरे प्रक्रिया के बाद दंडाधिकारी, चुनाव पदाधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी और राजनैतिक पार्टियों के प्रतिनिधियों के सामने इवीएम की सील चेक कर उसमे से कंट्रोल यूनिट के बाक्स को अलग से स्ट्रांग रूम में रखा जाता है और उस रूम को सील कर उसकी एक चाभी जिला प्रशासन के पास तो दूसरी चाभी आयोग के अधिकारी के पास होती है। फिर इस स्ट्रांग रूम की निगरानी सुरक्षा कर्मी के हवाले कर दी जाती है। कैसे होती है काउंटिंग


मतगणना के दिन काउंटिंग के दो घंटे पहले ही प्रशासनिक अधिकारी, चुनाव अधिकारी और राजनैतिक पार्टियों के एजेंट पहुंच जाते है। जिसके बाद सबके निगरानी के बीच स्ट्रांग रूम खोला जाता है और उसके बाद काउंटिंग हाल में लगे हर एक टेबल पर एक कंट्रोल यूनिट रखा जाता है। जिसके बाद राजनैतिक दलों के एजेटों और निर्वाचन पदाधिकारी के सामने ही मतगणना कर्मी उस कंट्रोल यूनिट को स्टार्ट कर उस मशीन में स्टोर उसके डाटा को उसी के छोटे स्क्रीन में देख एक नोट पैड पर उतारा जाता है। जिसके बाद एक राउंड समाप्त हो जाता है। पूरी डाटा उतारने के बाद कर्मी उसे एआरओ (एसीस्टेंट रिटर्निंग आफिसर) को सौंप देते है, जिसे एआरओ रजिस्टर में मेंटेंन करने के बाद उसे आरओ को सौंप देते है। फिर आरओ उस डाटा को जीनीसस साफ्टवेयर में अपलोड करते है। इस प्रक्रिया में कुछ समय जरूर लगता है, जो जरूरी भी इसलिए है ताकि डाटा इंट्री करने में कोई गलती ना हो। इस प्रक्रिया के पूरे हो जाने के बाद वहां स्थित माइक  से उस विस क्षेत्र के विजेता की घोषणा की जाती है। इसके साथ ही उसी कैंपस में बड़े स्क्रीन पर रिजल्ट डिस्पले किया जाता है और निवार्चन पदाधिकारी के हस्ताक्षर के बाद उस विजयी उम्मीदवार को विधायक की सर्टीफिकेट दी जाती है।बैलेट पेपर की होगी काउंटिंगआज सुबह सबसे पहले पोस्टल बैलेट पेपर की काउंटिंग पहले की जायेगी। जिसके लिए एक टेबल अलग से व्यवस्था की गई है। ये पोस्टल बैलेट मतदान कार्य में लगे कर्मचारियों और सुरक्षाकर्मियों के होते है, जो मतदान के वक्त अपने विस क्षेत्र में नहीं रहने की वजह से पोस्टल बैलेट के माध्यम से वोट करते है।क्या है राउंडमतगणना के वक्त राउंड के आधार पर ही काउंटिंग की जाती है। उदाहरण के तौर पर इस बार मतगणना सेंटर पर पटना जिले के लिए 14 हाल बनाये गये हैक्योंकि पटना जिले में 14 ही विस क्षेत्र है। जिसमे प्रत्येक एक हाल में इस बार 14 टेबल रखे गयें है और प्रत्येक टेबल पर एक-एक कंट्रोल यूनिट रखा जायेगा और जैसे ही 14 यूनिटों से डाटा कलेक्ट कर लिया जायेगा, वैसे ही एक राउंड की काउंटिंग समाप्त मानी जायेगी।

Posted By: Inextlive