भाई ऑपरेशन में जा रहा हूं..
-सीआरपीएफ के शहीद जवान को मिनिस्टर श्याम रजक, होम सेक्रेटरी, डीजीपी सहित सीनियर आफिसर्स ने दी श्रद्धांजलि
-छतीसगढ़ से पटना पहुंची बॉडी मोइनुलहक स्टेडियम स्थित सीआरपीएफ ऑफिस लाई गईPATNA: शनिवार को बोलकर गया था कि भाई ऑपरेशन में जा रहा हूंसोचा नहीं था कि उससे वह आखिरी बातचीत होगी। एक महीने पहले तो गांव से भी घूमकर गया था। नम आंखें मगर सीना गर्व से चौड़ा कर बोल रहे थे मोहन पासवान। मोहन सीआरपीएफ के 223 नम्बर बटालियन के शहीद जवान राधेश्याम राम के भाई हैं। मोहन खुद भी सीआरपीएफ के बटालियन नम्बर 188 के जवान हैं और वे भी छतीसगढ़ में ही पोस्टेड हैं। बुधवार को शहीद राधेश्याम राम की बॉडी छतीसगढ़ से पटना एयरपोर्ट पहुंची। उसके बाद उसे मोइनुलहक स्टेडियम स्थित सीआरपीएफ कैम्प में ले जाया गया, जहां फूड मिनिस्टर श्याम रजक, होम सेक्रेटरी आमिर सुब्हानी, डीजीपी पीके ठाकुर, एडीजी हेडक्वार्टर गुप्तेश्वर पाण्डेय, आईजी एके अम्बेदकर, आईजी सीआरपीएफ अरुण कुमार, डीआईजी पटना उपेन्द्र सिन्हा, एसएसपी जितेन्द्र राणा, सिटी एसपी शिवदीप लांडे और एएसपी टाऊन विवेकानंद ने श्रद्धांजलि दी। दोहपर में ही डेडबॉडी उनके गांव के लिए रवाना कर दी गई।
2006 में ज्वाइन किया सीआरपीएफभोजपुर जिले के उदवंत नगर थाना के तिरोजपुर गांव के रहने वाले किसान रामेश्वर पासवान के बेटे राधेश्याम राम चार भाइयों में दूसरे नम्बर पर थे। बड़े भाई धर्मेश्वर पासवान कटिहार में हवलदार है, जबकि उनसे छोटा भाई मोहन सीआरपीएफ में ही है और छोटा भाई इंद्रजीत फिलहाल कांपटीशन की तैयारी करता है। राधेश्याम ने 26 मई 2006 को सीआरपीएफ की नौकरी ज्वाइन की। राधेश्याम अपने पीछे पत्नी के अलावा चार बच्चे छोड़ गए, जिसमें तीन बेटे और एक बेटी है। बड़ा बेटा अनिश कुमारर(14ब्), हिमांशु(क्0), राणा प्रताप(7), मुस्कान(भ्) है। गांव के लोग भी अपने इस वीर सपूत की बॉडी के आने का इंतजार कर रहे थे। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में चिंता गुफा के पास सोमवार की दोपहर नक्सलियों के हमले में सीआरपीएफ के क्ब् जवान शहीद हो गए थे और क्ख् घायल हो गए थे।