पटना सहित दस जगहों पर बनेगा अर्थक्वैक मॉनिटरिंग सेंटर
- बिहार के दस जगहों पर होगी भूकंप की स्टडी
- अर्थक्वैक मॉनिटरिंग सेंटर से सिस्मिक वाइब्रेशन का होगा टेस्ट - पूर्वानुमान के आधार पर जारी किया जा सकेगा अलर्ट shambhukant.sinha@inext.co.inPATNA : पिछले दो दिनों में भूकंप के कहर से एडमिनिस्ट्रेशन भी सकते में है। इसके डर से स्कूलों को बंद रखने की हिदायत दी गई है। अगर भूकंप की गहन अध्ययन की गई होती, तो इससे कम से कम इसके नुकसान को कम करने के लिए पहल साइंटिफिक तरीके से संभव होता। अब इसके लिए तैयारी हो रही है। बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण मौसम विभाग के तकनीकी सहयोग से पटना समेत दस जगहों पर अर्थक्वैक मॉनिटरिंग सेंटर स्थापित करेगा। फिलवक्त भूकंप के बारे में राज्य स्तर पर समुचित जानकारी के लिए साइंटिफिक स्टडी नहीं की गई है। यही वजह है कि जब भी ऐसी आपदा आती है, तो इससे भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है और अलर्ट जारी करने का साइंटिफिक एविडेंस नहीं है।
मिलेगी कई जानकारीबिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के वाइस चेयरमैन अनिल कुमार सिन्हा ने बताया कि अर्थक्वैक मॉनिटरिंग सेंटर पटना सहित दस जगहों पर स्थापित किया जाएगा। इसे बनाने के लिए लोकेशन डिसाइड हो गया है। फिलहाल नॉयज सर्वे किया जा रहा है। भूगर्भ में हो रहे सिस्मिक वाइब्रेशन की स्टडी करना इसका लक्ष्य है। इससे भूकंप के कारणों के बारे में स्पष्ट और गहन जानकारी मिलेगी। इससे यह संभव है कि भविष्य में इससे होने वाले नुकसान के लिए अलर्ट जारी किया जा सकता है।
दस जगहों से होगी मानिटरिंग बिहार में क्भ् जनवरी, क्9फ्ब् का भूकंप ऐतिहासिक और सर्वाधिक विध्वंसकारी था। इसमें दस हजार से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। इसका एपिसेंटर बिहार-नेपाल बॉडर ही था, लेकिन चौंकाने वाला तथ्य यह है कि इसका भीषण असर वहां से कई किलोमीटर दूर मुंगेर में भी था। अनिल कुमार सिन्हा ने बताया कि इसके बारे में साइंटिफिक स्टडी की कमी पहले से महसूस की जा रही थी। अब समय बदलेगा। साल के अंत तक बनेगा सेंटर अर्थक्वैक मानिटरिंग सेंटर इस साल के अंत तक बनकर तैयार होगा। अनिल कुमार सिन्हा ने पुष्टि करते हुए कहा कि पटना के अलावा मोतिहारी, छपरा, मुजफ्फरपुर, सहरसा, पूर्णिया, गोपालगंज, दरभंगा, शिवहर और लखीसराय में इसे बनाया जाएगा। फिलहाल यह सिर्फ वेस्ट चंपारण के वाल्मीकिनगर में स्थापित है। प्रिडिक्शन नहीं, लेकिन रिसर्चभले ही भूकंप की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है लेकिन इसे लेकर रिसर्च की जरूरत हमेशा ही महसूस की जाती है। मौसम विभाग के रीजनल डायरेक्टर डॉ एके सेन ने बताया कि इस प्रोजेक्ट में डिपार्टमेंट टेक्निकल सपोर्ट दे रहा है। इसकी हेल्प से बिहार के सिस्मिक जोन की माइक्रो स्टडी, अर्थक्वैक के हिस्टोरिकल एविडेंस सहित अन्य संबंधित जानकारियों को विस्तार से समझा जाएगा, ताकि भविष्य में भूकंप के कारणों के महत्वपूर्ण जानकारियों का एक डेटा तैयार किया जा सके।
कैबिनेट से मिला अप्रूवल प्राधिकरण ने बताया कि इस काम में साइंटिस्टों की जरूरत पड़ेगी। इस बाबत कैबिनेट ने इसके लिए पोस्ट अप्रूव कर दिया है। ये मॉनिटरिंग में हेल्प करेंगे। अभी नॉयज एकुरेशी का काम जारी है। नॉयज सर्वे उन स्थानों पर किया जाएगा जहां ह्यूमन एक्टिविटि के कारण वाइबे्रशन नहीं हो। मौसम विभाग के रीजनल डायरेक्टर डॉ एके सेन ने बताया कि बिहार का अपर नार्थ डिस्ट्रिक्ट सिस्मिक जोन फाइव, पटना सहित सेंट्रल डिस्ट्रिक के चार जिले जबकि गया समेत साउथ बिहार के तीन जिले भूकंप के जोन में शामिल हैं। यहां बनेगा मानिटरिंग सेंटर्स -पटना -मोतिहारी -छपरा -मुजफ्फरपुर -सहरसा -पूर्णिया -गोपालगंज -दरभंगा -शिवहर -लखीसराय तो होगा बेनिफिटप्रपोज्ड मॉनिटरिंग सेंटर्स के स्थापित होने से सिस्मिक एक्टिविटी के मॉनिटरिंग और असेसमेंट से बिहार स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी को भूकंप से संबंधित गतिविधियों को लेकर रक्षात्मक उपायों के नीति निर्धारण में हेल्प मिलेगा। पटना में सेंट्रल प्रोसेसिंग स्टेशन स्थापित किया जाएगा, जबकि अन्य जगह मॉनिटरिंग स्टेशन बनाया जाएगा। डॉ एके सेन ने बताया कि इसके बाद भूकंप के कारणों की डिटेल्ड स्टडी में हेल्प मिलेगी।