अस्पताल पर भारी आबादी की मार
- नए एरिया में बढ़ती जा रही है सघन आबादी, नहीं है कोई अस्पताल
- एनएच से लेकर आसपास के एरिया में प्राइवेट नर्सिग होम का बढ़ रहा जाल - इमरजेंसी या ओपीडी प्राब्लम के लिए देनी होती है अधिक कीमत - अस्पताल की कीमत, महंगी दवा और इन डोर आउट डोर फैसिलिटी बन रही प्राब्लम - निगम एरिया में पीएमसीएच के अलावा सिर्फ पांच ही पीएचसीPATNA : नगर निगम के 7ख् वार्ड की आबादी क्8 लाख के आसपास है। यह सेंसेक्स का नहीं, बल्कि नगर निगम का डाटा है। इसके हिसाब से क्8 लाख आबादी का कचरा और उसकी सफाई नगर निगम के हाथों किया जाना है। इसमें ऐसे एरिया भी शामिल है जो पिछले दस सालों में तेजी से डेवलप किए हैं। मसलन एनएच के अपोजिट सिपारा, ढेलवा, रामकृष्णा नगर जैसे दर्जनों मुहल्ले तेजी से डेवलप कर चुके हैं। इसके अलावा दीघा आशियाना रोड, राजीव नगर का एरिया भी काफी बड़ा है। शिवपुरी की आबादी कई किलोमीटर तक बढ़ती जा रही है। दीघा एरिया काफी दूर तक फैल चुका है। अब सवाल है कि जिस रफ्तार से आबादी बढ़ी है। उस रफ्तार से वहां पर फर्स्ट एड की फैसिलिटी भी गवर्नमेंट की ओर से मुहैया नहीं करवाई गई है, जबकि हेल्थ आर्गनाइजेशन से लेकर एनआरएचएम तक की रिपोर्ट कहती है कि आबादी को उसकी फर्स्ट एड हेल्थ सर्विस मिलनी चाहिए। साथ ही डॉक्टर और पेशेंट के रेशियो का भी ख्याल रखना चाहिए।
पांच अस्पताल का टूटता कंधा राजवंशी नगर अस्पताल, गर्दनीबाग अस्पताल, न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल, विधायक क्लब अस्पताल, राजेंद्र नगर अस्पताल के ऊपर पूरी आबादी के ट्रीटमेंट का जिम्मा है। यहां भी जब डॉक्टरों को लगता है कि फैसिलिटी कम मिल रही है तो फौरन पीएमसीएच रेफर कर दिया जाता है। हाल यह हो गया है कि ख्ब् आवर की इमरजेंसी में हर समय पटना और पूरे बिहार के रेफर केस आते रहते हैं। ऐसे में शहरी लोगों के लिए एक अदद अस्पताल तक मुहैया नहीं करवाया गया है। गर्दनीबाग अस्पताल पीएमसीएच का एक्सटेंशन था, लेकिन यहां भी सुविधाओं की कमी से ट्रीटमेंट के लिए पीएमसीएच ही रेफर करना पड़ रहा है। प्राइवेट नर्सिग होम का बढ़ता जालएनएच के किनारे दर्जनों नर्सिंग होम खुल चुके हैं, लेकिन यहां पर एक भी गवर्नमेंट हॉस्पिटल का काम नहीं चल रहा है। प्राइवेट नर्सिग होम छोटी-बड़ी बीमारियों के ट्रीटमेंट में भी हजारों रुपए का बिल बनाने से परहेज नहीं करते हैं। यही नहीं कई एरिया में सिर्फ एक-दो नर्सिग होम होने से कंडीशन और भी बुरा है। क्योंकि यहां पर हेल्थ सर्विस के नाम पर सिर्फ मेडिकल स्टोर से ही लोगों को प्राइमरी केयरिंग मिल पाती है। राजीव नगर के अजीत ने बताया कि न्यूरो, स्किन सहित तमाम स्पेशलिस्ट के लिए आपको बोरिंग रोड, बेली रोड या फिर अशोक राजपथ ही जाना होता है। उससे पहले कोई गुंजाइश नहीं दिखती है।
एक दिन पहले नंबर एक दिन बाद इलाज अगर लगता है कि आपकी तबीयत खराब होने वाली है तो आप डॉक्टरों के यहां नंबर लगाने के बाद ही बीमार पड़ सकते हैं। क्योंकि पहले अगर बीमार हुए तो इलाज के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। आईएमए के प्रेसीडेंट डॉ। राजीव रंजन प्रसाद ने बताया कि नए एरिया में अगर गवर्नमेंट हॉस्पिटल रहे तो फिर नॉर्मल और स्पेशलिस्ट ट्रीटमेंट आसानी से प्रोवाइड हो सकती है। जैसे पानी जरूरी उसी तरह डॉक्टरबासा के डॉ। अजय ने बताया कि जिस तरह हर एरिया में पानी की जरूरत पड़ती है। उसी तरह डॉक्टर की जरूरत भी होती है। क्योंकि इलाज में समय और ट्रीटमेंट दोनों इंपॉर्टेट होता है। इसमें लापरवाही रही तो जान पर बन सकती है। इसलिए नए एरिया में नर्सिग होम से लेकर तमाम तरह की अरेंजमेंट पर गवर्नमेंट का ध्यान होना चाहिए।
स्पेशलिस्ट हैं, पर ओपीडी में डॉक्टर नहीं यही नहीं गवर्नमेंट ने नगर निगम एरिया के पांच अस्पतालों को एक-एक करके स्पेशलिस्ट अस्पताल घोषित कर दिया है। इससे ओपीडी में डॉक्टरों की कमी हो गयी है। कई दफा तो स्पेशलिस्ट मिल जाते हैं, लेकिन जेनरल फिजिशियन के लिए प्राइवेट नर्सिग होम ही जाना पड़ता है। न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल को इंडोक्राइन और नेफ्रो, राजवंशी नगर को बोन और नर्व, राजेंद्र नगर को आई, गर्दनीबाग को गाईनी और पीएमसीएच का एक्सटेंशन सेंटर बना दिया गया है, जबकि डॉक्टरों की संख्या जस की तस बनी हुई है। ------------------ एनएचआरएम के तहत शहरों में आबादी के अनुरूप डिसेंटरलाइजेशन और नंबर ऑफ हॉस्पिटल जरूरी है। यह शहरों की आबादी के लिए भी लागू होता है। इसके लिए पचास हजार की आबादी पर एक पीएचसी लेवल का हॉस्पिटल होना चाहिए। साथ ही वहां पर एंबुलेंस, इमरजेंसी और ट्रामा केयरिंग के स्पेशलिस्ट भी होने चाहिए। जो पेशेंट को कुछ समय के लिए स्टैटिक बना कर रख सकें। - डॉ। अजय, बासा प्रेसीडेंटडब्ल्यूएचओ की ओर से एक हजार की आबादी पर एक डॉक्टर होनी चाहिए। लेकिन यहां कोई नॉर्म्स फॉलो नहीं किया जा रहा है। हालत तो यह हो गयी है कि एक डॉक्टर पर हजारों की आबादी का भार रहता है। डॉक्टरों की कमी की वजह से बचे डॉक्टर प्रेशर से जूझ रहे हैं। सही मेडिकल केयरिंग के लिए पेशेंट की संख्या एक डॉक्टर पर कम से कम होनी चाहिए।
- डॉ। राजीव रंजन प्रसाद, आईएमए प्रेसीडेंट ------------------ हाईलाइटर नगर निगम के वार्ड : 7ख् वार्ड की आबादी : क्8 लाख स्पेशलिस्ट अस्पताल न्यू गार्डिनर रोड : इंडोक्राइन और नेफ्रो राजवंशी नगर : बोन और नर्व राजेंद्र नगर : आई गर्दनीबाग : गाईनी और पीएमसीएच का एक्सटेंशन सेंटर एनआरएचएम की रिपोर्ट कहती है कि आबादी को उसकी फर्स्ट एड हेल्थ सर्विस मिलनी चाहिए। साथ ही डॉक्टर और पेशेंट के रेशियो का भी ख्याल रखना चाहिए।