Patna: 'देखो इसे ये ओस की बूंदे पत्तों के गोद में आसमां को छूए खो ना जाएं ये कहीं तारे जमीं के...' आज का बचपन खो रहा है. डरे-सहमे हमारा बचपन घर में सिमट कर रह गया है. वो आसमां में खिल नहीं रहे हैं. अगर समय रहते हमने कुछ नहीं किया तो वो दिन दूर नहीं जब बचपन मर जाएगा.


बच्चों को पहले समझेंबच्चों की इस मनोदशा को हमें समझना होगा। उन्हें वह मोरल एजुकेशन देना होगा, जिससे वो अपना बचपन का आनंद उठा सकें। बच्चों को पहले समझें, उन्हें क्या चाहिए। देखने के बाद ही उन्हें गाइड करें। इसके लिए फैमिली, सोसायटी और गवर्नमेंट तीनों को अवेयर होने की जरूरत है। बच्चों को खासकर लड़कियों को ऐसी टे्रनिंग दी जाए, जिससे वे अपनी सुरक्षा के प्रति सचेत हों। स्कूल कॅरिकुलम में शामिल हो
बच्चे का सबसे अधिक टाइम फैमिली और उसके बाद स्कूल में एक्सपेंड होता है। ऐसे में अगर स्कूल लेवल पर ही बच्चों को प्रोटेक्शन के बारे में बताया जाए, तो समय रहते कई चीजों के बारे में जान पाएंगे। इस संबंध में सेव द चिल्डे्रन के नेशनल एडवोकेसी को-ऑर्डिनेटर अभिजीत निर्मल ने बताया कि जब तक फैमिली के साथ स्कूलों में बच्चों को प्रोटेक्शन की टे्रनिंग नहीं दी जाएगी, तब तक इसे सुधारा नहीं जा सकता है। इसलिए इसे स्कूल कॅरिकुलम में शामिल करने की बातें चल रही हैं। बचपन बचाओ आंदोलन के हक ने बताया कि स्कूल कॅरिकुलम में शामिल होने से बच्चों को नैतिक मूल्यों की जानकारी मिलेगी। ऐसे भी अपनी सोसायटी में नैतिक मूल्य खत्म होता जा रहा है। बच्चों के साथ टाइम बिताइए


- बच्चे जब बड़े होने लगे, तो उसे अच्छे-बुरे की जानकारी दें।- किससे किस तरह की बातें करें, यह भी समझाएं। - बड़े होने के साथ-साथ उसमें अच्छे-बुर की समझ विकसित करें।- घर हो या स्कूल, बच्चों की हर दिन काउंसिलिंग होनी चाहिए।- उनके दोस्त कैसे हों, इसके बारे में उन्हें पूरी जानकारी दें।- वे कहां जाएं, किससे बातें करें, दोस्तों के साथ कितना टाइम बिताएं, ये सब भी उन्हें समझाएं। - हर दिन कम से कम दो घंटे बच्चों के लिए निकाल कर उनसे बातें करें। उनकी प्रॉब्लम्स को शेयर करें और उसे सॉल्व करने की कोशिश करें। - एजुकेशन से रिलेटेड हो या कुछ और बात, सबकुछ खुलकर शेयर करने को कहें।  अभिजीत निर्मल, नेशनल एडवोकेसी को-ऑर्डिनेटर के कहेनुसार बच्चों पर खुद रखिए नजर- फैमिली में कोई कितना भी क्लोज क्यूं ना हो, बच्चों को अधिक मिलने-जुलने नहीं दें। - बच्चों पर हमेशा नजर रखें। वे कहां जा रहे हैं, क्या कर रहे हैं, इन पर अपनी पूरी नजर रखें। - स्कूल पहुंचाना-लाना हो या कहीं और ले जाना, दूसरे के साथ कतई न भेजें। - फिजिकल डेवलपमेंट पर टाइम टू टाइम बच्चों को गाइड करते रहें।- सेल्फ प्रोटेक्शन के बारे में भी उन्हें बताएं।

- दूसरों का अच्छा एग्जाम्पल देकर उन्हें गाइड करते रहें।- बच्चों को ऐसी टे्रनिंग दें, जिससे किसी भी तरह की गलती होने पर वे उसका विरोध करें।- बच्चे अगर कुछ कहना चाहते हों, तो उसकी बातों को सुनें, फिर उन्हें सोच-समझकर गाइड करें।- बच्चों के मोरल एजुकेशन को लेकर किसी तरह की डांट फटकार नहीं करें।मोखतारुल हक, स्टेट कन्वेनर, बचपन बचाओ आंदोलन के अनुसार

Posted By: Inextlive