amit.jaiswal@inext.co.inPATNA: मैं सुधा पांडेय. पीएमसीएच के ट्रॉमा सेंटर के 17 नंबर बेड पर भर्ती हूं. इस दुनिया में मेरी जैसी अभागन कोई न हो और भगवान न करें कि किसी की जिंदगी मेरी जैसी हो. मेरे पिता शिक्षक थे. वो मुझे आईएएस बनाना चाहते थे. मैं 6-7 साल की थी तभी कुछ अपराधियों ने मेरे पिता की हत्या कर दी. मेरी मां रो-रोकर बेहोश हो गई. हमारे पास रोने के सिवाय कुछ नहीं था. तभी मेरी मौसी आई और हमें अपने घर ले गई. हमारा पेट पालने के लिए मां आंगनबाड़ी में काम करने लगी. मैं और मेरे दो भाई एक बहन के चेहरे पर खुशी आई ही थी कि न जाने किसने मेरी मां की भी गला रेंतकर हत्या कर दी. आज भी ऐसा लगता है जैसे मेरी मां मेरे सिर पर हाथ फेर रही हो और कह रही हो बेटी तुम हारना मत. मैंने पढऩा शुरू किया और अपने क्लास में सबसे अब्बल आने लगी. आज मैं 9 वीं क्लास में हूं लेकिन अचानक फिर एक हादसा हुआ. स्कूल की छत पर मैं खेल ही रही थी कि मुझे अचानक चक्कर आ गया और मैं नीचे गिर पड़ी. मेरे हाथ-पांव की हड्डी टूट गई. मैं अभी हारी नहीं हूं. मुख्यमंत्री जी आप मेरी गांव की पुस्तैनी जमीन ले लीजिए लेकिन मेरे भाई-बहन को पढ़ा दीजिए. मैं चाहती हूं कि वे बहुत बड़े आदमी बनें. यह पत्र सुधा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखा है.
By: Inextlive
Updated Date: Wed, 06 Jan 2016 05:03 PM (IST)
आखिर किसने मारा मेरे माता-पिता को?पीएमसीएच के ट्रामा सेंटर में एडमिट सुधा आज भी यह नहीं जानती कि उसके माता-पिता को किसने मारा। पुलिस ने आज तक उसके पिता और मां की हत्या में किसी की गिरफ्तारी नहीं की है। सुधा कहती हंै कि कानून से तो मेरा भरोसा ही उठ गया है. मदद की है दरकार
सुधा कुछ दिनों से पटना पीएमसीएच के ट्रॉमा वार्ड में एडमिट हंै। चक्कर आने की वजह से स्कूल की छत से वह नीचे गिर गई थी। उसके एक हाथ और एक पैर की हड्डी टूट गई है। रीढ़ की हड्डी में भी उसे गहरी चोट आई है। उसकी मौसी और जमुई के रहने वाले वशिष्ठ पाण्डेय मिलकर मासूम सुधा का इलाज करा रहे हैं। उसके मौसी-मौसा भी आर्थिक रूप से मजबूत नहीं है। इसलिए उसका प्रॉपर इलाज भी नहीं हो पा रहा है। फिर भी उसके चेहरे पर कोई सिकन नहीं है। वह कहती हैं कि मैं इतनी जल्दी हार मानने वाली नहीं हूं। मैं आईएएस बनकर ही रहूंगी।
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