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PATNA: पटना में बिजली की स्थिति गड़बड़ है। बिजली तो लोगों को मिल रही है लेकिन लो वोल्टेज के साथ। इसके करण भीषण गर्मी में बिजली का पंखा चलने के बाद भी लोगों को हाथ वाले पंखा चलाना पड़ रहा है। बच्चे पढ़ाई के लिए बैटरी वाली लाइट का उपयोग कर रहे हैं क्योंकि उन्हें बल्ब से पर्याप्त रोशनी नहीं मिल रही। यह आलम शहर के दर्जनों इलाकों की है। शाम के समय यह स्थिति ज्यादा खराब हो जाती है। आम दिनों में जहां पटना में बिजली की खपत प्रतिदिन 460 मेगावाट के आस-पास रहती है। वहीं, गर्मी के दिनों मांग तेजी से बढ़ने के कारण यह आंकड़ा 650 मेगावाट को पार कर गया है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने शहर के विभिन्न इलाकों में ग्राउंड रिएलिटी चेक की तो लो वोल्टेज की स्थिति सामने आई।

शाम में सबसे अधिक समस्या

यूं तो लो वोल्टेज की समस्या गर्मी के दिनों में बढ़ जाती है लेकिन इससे सबसे ज्यादा परेशानी शाम के समय में होती है। पुनाईचक निवासी कलावती देवी ने बताया कि शाम के समय में कम रोशनी और धीमी गति से चलते पंखे से ज्यादा परेशानी होती है। वहीं, किसान कॉलोनी निवासी रघुवीर यादव का कहना है कि पहले लो वोल्टेज की समस्या नहीं थी। लेकिन पिछले कुछ समय से यह समस्या शुरू हो गई है। नई सड़क, गुलजारबाग निवासी आरिफ खान ने बताया कि कम से कम तीन से चार घंटे तक हर दिन लो वोल्टेज की समस्या रह रही है।

इसे कहते है लो वोल्टेज

यदि आम बोलचाल की भाषा में समझे तो लो वोल्टेज इलेक्ट्रिक सप्लाई की वह अवस्था है जिसमें मांग के मुताबिक बिजली सप्लाई नहीं होती है। सप्लाई और डिमांड के बीच बड़ा अंतर रहता है। यही कारण है कि लो वोल्टेज होने पर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस अपनी स्पीड से बहुत ही स्लो चलते हैं। परिभाषा के तौर पर हर देश में इसका अर्थ अलग-अलग है। लेकिन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिकल कमीशन के मुताबिक डीसी में लो वोल्टेज का अर्थ है 120 से 1500 वोल्टेज होना। लो वोल्टेज के कारण पटनाइट्स काफी परेशान हो रहे हैं।

ये हैं लो वोल्टेज के कारण

गर्मी के दिनों में लो वोल्टेज की समस्या बढ़ जाती है। इस दौरान क्वॉयल वाले बिजली उपकरण ज्यादा प्रयोग में आते हैं। जैसे पंखे सबसे अधिक चलते हैं। बिजली विभाग के पूर्व कर्मचारी एवं विषय विशेषज्ञ बीएल यादव ने बताया कि इसके कुछ प्रमुख कारण हैं जो इस तरह है-

-यदि अर्थिग प्रॉपर तरीके से न हो।

-बिजली की मांग और सप्लाई के बीच गैप हो।

-न्यूट्रल वाला फेज काम नहीं कर रहा हो।

-तारों पर कार्बन की परत जमी हो।

यदि ऐसी कोई समस्या है तो कॉल कर अपनी समस्या बताएं। हालांकि इस प्रकार की स्थिति न हो, इसके लिए ट्रांसफारमरों की क्षमता बढ़ाने सहित कई काम किए गए हैं।

दिलीप कुमार, जीएम पेसू

Posted By: Inextlive