PATNA : यूजीन जॉन उर्फ रंजन जॉन ने पत्नी अंजू जॉन उर्फ अंजना को मारने और खुद को खत्म करने से पहले यह सोचा भी नहीं कि उनके दो मासूम बच्चों का क्या होगा? आखिर क्या हुआ कि हिमांशु 8 और प्रियांशु 4 का मासूम चेहरा भी याद नहीं आया. अपनी जिन्दगी खत्म कर वे ये भूल गए कि इन बच्चों के प्रति भी उनका कुछ फर्ज था. उनकी जिन्दगी संवारने की जरूरत थी. बच्चों के बह रहे आंसू मानो बार-बार यह सवाल कर रहे हों कि पापा हमार क्या कसूर था? अब हमें कौन मां बाप का प्यार देगा? उन्हें देखने वाला कौन है? दीघा थाना के फेयर फिल्ड कॉलोनी में यूजीन जॉन ने पत्नी की हत्या करने के बाद अपनी भी जान दे दी.


खुद को मजबूत करने के बजाय मौत को गले लगा रहे लोग। जिम्मेदारियों से भागने से नहीं मुकाबला करने की जरूरत है। बाहर से मजबूत मगर अंदर से कमजोर होते जा रहे हैं लोग। यूजीन के साथ भी वही हुआ। एक स्कूल का टीचर रहे यूजीन भी लाइफ के उथल पुथल को झेल नहीं पाए। सोसियोलॉजिस्ट डॉ रेणु रंजन की मानें तो लोग कमजोर होते जा रहे हैं। छोटी-छोटी बातों को लेकर डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं। ऐसे में अपनी जिन्दगी को खत्म करना चाहते हैं। यही कारण है कि सुसाइड ही सबसे आसान रास्ता बन रहा। दिल खोलकर करें बात


सोसियोलॉजिस्ट का मानना है कि जो लोग दिल की बातें खुलकर नहीं करते वो ही इस तरह के कदम उठाते हैं। सुसाइड कोई अचानक नहीं करता। सुसाइड करने वाले अक्सर दिल की बातें बोल नहीं पाते। वे कई चीजों को लेकर गिल्टी फील करते रहते हैं। यूजीन के मामले में पुलिस भी ऐसा ही मान रही है। सुसाइड नोट भी छोड़ा

शनिवार को यूजीन और अंजू में झगड़ा हुआ था। अंजू का भाई शिशु घोष जो मजिस्ट्रेट कॉलोनी में रहते हैं वह अपने साथ उस दिन हिमांशु और प्रियांशु को लेते गए। संडे को जब शिशु ने फोन किया तो किसी ने नहीं उठाया। वह बहन के घर गए। घर के बाहर का दरवाजा खुला था। अंदर एक बेड पर अंजू की लाश पड़ी थी जिसे बेरहमी से सिर पर वार कर मारा गया था। दूसरा कमरा अंदर से बंद था। पुलिस को खबर दी गई। पुलिस ने पहुंचकर बंद दरवाजे को तोड़ा तो बेड पर यूजीन मरा पड़ा था। उसके गले और हाथ पर जख्म थे। पास ही एक कागज पर लिखा था 'मैंने अकेले अंजू को मारा है स्वयं को भी मार लियाÓ पुलिस ने हैंड राइटिंग को कमरे में रखे एक कॉपी से मिलाया। संभवत: यह यूजीन का ही लिखा था। घटना स्थल पर पुलिस ने बताया कि यह मर्डर और उसके बाद सुसाइड का मामला है। दो महीने पहले ही यूजीन भागलपुर से पटना आया था। एक दूसरे को देखकर रोते रहेहिमांशु को कुछ समझ में नहीं आ रहा था उसके घर के पास पुलिस और लोगों की भीड़ थी, मगर वह अपने मां-पापा को न देखकर परेशान था। उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे, बड़े भाई को रोते देख प्रियांशु भी रोता तो कभी उसका चेहरा देखता। बच्चों का हाल देखकर हर कोई यह सोचने पर मजूबर था यूजीन तूने ये क्या कर डाला?

Posted By: Inextlive