यह हाल रहा, तो 'ढूंढ़ते' रह जाएंगे पानी
- पटनाइट्स ग्राउंड वाटर लेवल पर कभी नहीं देते ध्यान, जमकर करते हैं पानी की बर्बादी
- वाटर हारवेस्टिंग सिस्टम को लेकर पटनाइट्स अबतक नहीं हैं अवेयरPATNA: पानी अनमोल है इसका मोल समझो, पानी की बर्बादी न होने दें, पानी व्यर्थ में ना बहाएं ये कुछ ऐसे लाइन्स हैं जो आए दिन हम कहीं न कहीं जरूर सुन या पढ़ लेते हैं। पर क्या, वास्तव में इन बातों को अपने जीवन में कभी अमल करते हैं? शायद नहीं, लेकिन अब जरूरत है इस बात पर न केवल गौर करने की बल्कि अमल में भी लाने की। आज पानी की बर्बादी हर कोई कर रहा है। चाहे वह घर हो, ऑफिस हो, स्कूल हो यहां फिर पब्लिक प्लेस। हर जगह किसी ना किसी रूप में पानी बर्बाद होता रहता है और हम जानकर भी अपनी आंखें बंद कर लेते हैं। यही कारण है कि पटना का ग्राउंड वाटर लेवल लगातार गिरता जा रहा है और अब आलम यह है कि ना सिर्फ पटना बल्कि लगभग पूरे बिहार के कुंए या तो सुख चुके हैं या सूखने के कगार पर हैं।
पटनाइट्स नहीं हैं अवेयरपटना शहर का वाटर लेवल लगातार गिरता जा रहा है। एक्सपर्ट की मानें तो पिछले एक वर्ष में ही यहां का जल स्तर तीन से चार फीट नीचे जा चुका है। पिछले पांच सालों की बात करें तो जल स्तर में काफी कमी आई है, लेकिन वाटर हारवेस्टिंग सिस्टम को लेकर पटनाइट्स अभी तक अवेयर नहीं हैं।
नो वाटर हारवेस्टिंग सिस्टम वाटर हारवेस्टिंग सिस्टम को लेकर पटनाइट्स कुछ खास नहीं करना चाहते। वाटर मैनेजमेंट के एक्सपर्ट डॉ एनपी रॉय बताते हैं कि यदि हम रेन वाटर हारवेस्टिंग करें तो वाटर लेवल को काफी बढ़ाया जा सकता है। कैसे बचा सकते है हम पानी पानी को सीधे नल से यूज करने पर बहुत ज्यादा बर्बाद हो जाता है। यदि पानी का इस्तेमाल बाल्टी से किया जाए तो इससे की बर्बादी कम होगी। यदि हम उदाहरण के तौर पर एक गाड़ी धोने की बात करें तो सीधे पाईप से गाड़ी धोया जाए तो इसमे लगभग क्00 लीटर तक पानी वेस्ट हो जाता है, लेकिन यही अगर हम बाल्टी में पानी रखकर वॉश करें तो काफी पानी बचाया जा सकता है। वाटर का यूज बाल्टी से नल से गाड़ी वॉश में - ख्0 लीटर क्00 लीटर वाशिंग मशीन - ख्भ् लीटर क्क्0 लीटरहाथ धोने में - क् लीटर 7 लीटर
नहाने में - क्भ् लीटर भ्0 लीटर ब्रश करने में - फ् लीटर ख्फ् लीटर बर्तन धोने में - ख्भ् लीटर 70 लीटर सरकारी तंत्र भी है फेल वाटर री-साइकल के लिए सरकार ने कई विकल्प तैयार किए हैं, लेकिन आज सब पूरी तरह से बेकार पड़े हुए हैं। पटना के पास स्थित बेउर में सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट पूरी तरह से खराब पड़ी है। वाटर रिचार्ज के लिए नये भवन के निर्माण में वाटर हारवेस्टिंग सिस्टम अपनाना है, लेकिन पटना में ऐसे घरों की संख्या न के बराबर है। वाटर री-साइकल है जरूरी पानी जिस तरह से हम उपयोग कर रहे हैं उस तरह से रिचार्ज नहीं कर पाते। प्रोफेसर एके घोष बताते हैं कि जितना पानी हम ग्राउंड से निकाल रहे हैं उतना पानी हम वापस नहीं कर पाते। हालांकि पानी के मामले में पटना धनी है, लेकिन अगर यही स्थिति रही तो धीरे-धीरे धरती का यह खजाना समाप्त हो जाएगा। बिहार पानी को लेकर है धनीबिहार में पानी का लेवर अन्य राज्यों की तुलना में काफी ज्यादा है, लेकिन अगर हम इसी तरह वाटर वेस्ट करते रहें तो पानी की समस्या उत्पन्न हो सकती है। आज भी पटना के कई ऐसे इलाके हैं जहां पानी का लेवर काफी हद तक दूसरे जगहों से बेहतर है। यहां पर क्00 फीट में पानी निकल जाता है।
ऐसे बचाएं पानी पानी बचाने के कई उपाय है, पहले तो जहां तक संभव हो पानी बाल्टी से ही उपयोग करें। साथ ही व्यर्थ में नल ना खोंले और टपकने वाले नलों को चेंज कर दें। अपने घर वाटर हारवेस्टिंग सिस्टम से जोड़े। इसके लिए आपको अपने घर के छत से बाहर निकलने वाली बरसात के पानी को एक जगह जमाकर उसे एक गड्डे के द्वारा जमीन के अंदर डालना होगा, इससे पानी रिचार्ज होगा और ग्राउंड वाटर लेवल बढ़ेगा। पटना में वाटर हारवेस्टिंग सिस्टम पूरी तरह से फेल है, इसे लेकर ना घर उस सिस्टम से बनाया जा रहा है ना ही लोग इसे अपना रहे हैं, जबकि इसमे खर्च ना के बराबर आता है। -प्रोफेसर एके घोष, एचओडी, एएन कॉलेज।पटनाइट्स यदि पानी के महत्व को जान जाए तो इसकी बर्बादी खुद ही कम हो जाएगी। साथ ही निगम को भी ध्यान देना होगा कि पब्लिक प्लेस में बने नल को बंद करें या व्यर्थ में वेस्ट ना करें।
-डॉ एनपी रॉय, एनएन कॉलेज