छह महीने में पटना मेट्रो पर काम होगा शुरू, 1698 करोड़ की कटौती
-19 हजार 586 करोड़ की जगह खर्च होंगे अब 17 हजार 887 करोड़
श्चड्डह्लठ्ठड्ड@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठ क्कन्ञ्जहृन्: इनकम टैक्स और हाईकोर्ट चौराहे के पास पहले दो मेट्रो स्टेशन बनने थे लेकिन अब एक स्टेशन ही बनेगा। इस तरह एक मेट्रो स्टेशन कम होने से पटना मेट्रो प्रोजेक्ट की लागत एक हजार छह सौ 99 करोड़ कम हो जाएगी। निजी एजेंसी राइट्स लिमिटेड से प्राप्त संशोधित डीपीआर में पटना मेट्रो की लागत 17 हजार 887 करोड़ 56 लाख रुपए बताई गई है। इससे पहले डीपीआर में 19 हजार 586 करोड़ रुपए खर्च होने थे। नगर विकास विभाग के इंजीनियरों ने दिल्ली मुख्यालय से संशोधित डीपीआर प्राप्त कर उसे अब विकास आयुक्तकी अध्यक्षता में लोक वित्त समिति में भेजने की तैयारी चल रही है। सितंबर अंत तक कैबिनेट से पास कराकर केंद्र सरकार तक भेजने का मार्ग साफ हो सकेगा। पटना जंक्शन के पास 2 स्टेशनमेट्रो रेल प्रोजेक्ट में पटना जंक्शन के पास दो मेट्रो स्टेशन बनाए जाएंगे। इसमें ईस्ट और वेस्ट कॉरीडोर के तहत जहां अंडर ग्राउंड स्टेशन होगा वहीं नार्थ वेस्ट मेट्रो कॉरीडोर में
स्टेशन सतह के ऊपर बनाया जाएगा। दोनों कॉरीडोर में 12-12 स्टेशन बनाए जाने हैं। जिसमें एक मात्र स्टेशन मीठापुर में जमीन के सतह पर बनाया जाएगा। बाकी सभी मेट्रो स्टेशन जमीन सतह के ऊपर या फिर अंडर ग्राउंड के रूप में बनेगा।
बिहार सरकार देगी जमीन की कीमत फर्स्ट और सेकेंड कॉरीडोर के तहत कुल 30 किमी दूरी तक बिछाए जाने वाली मेट्रो लाइन और स्टेशनों के रास्ते अधिग्रहित होने वाली जमीन की कीमत बिहार सरकार भरपाई करेगी। सरकार अधिग्रहित भूमि स्वामियों को पुर्नव्यवस्थापन एवं पुनर्वास का लाभ देगी। प्रोजेक्ट में खर्च होने वाली राशि का 20 परसेंट केंद्र सरकार, 20 परसेंट राज्य सरकार और बाकी 60 परसेंट बजट जायका, एडीबी, वर्ल्ड बैंक आदि से शॉफ्ट लोन के रूप में नगर विकास विभाग लेगा। अफसरों का कहना है कि कैबिनेट और केंद्र सरकार से प्रस्ताव पास होते ही स्पेशल पर्पज व्हीकल के रूप में पटना मेट्रो रेल कॉरपोरेशन का गठन होगा और उसके तुरंत बाद काम शुरू कर दिया जाएगा। एक मेट्रो स्टेशन कम होने से लागत में भी कमी की गई है। संशोधित डीपीआर लोक वित्त समिति के पास भेजा जाएगा। -संजय दयाल, विशेष सचिव नगर विकास एवं आवास विभागसंसोधित डीपीआर प्राप्त हो गया है। उम्मीद है कि सितंबर के अंत तक कैबिनेट के पास डीपीआर भेज दिया जाए। इसके तुरंत बाद केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा और यहां से पास होते ही अधिकतम छह महीने के भीतर मेट्रो प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो सकता है।
-मनोज कुमार, नोडल ऑफिसर मेट्रो प्रोजेक्ट, पटना