दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ की तीन सदस्यीय समिति की रिपोर्ट मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भारी पड़ सकती है। डीडीसीए में भ्रष्टाचार को लेकर केजरीवाल समेत पूरी दिल्ली सरकार वित्त मंत्री अरुण जेटली पर आरोप लगा रही है। लेकिन खुद दिल्ली सरकार द्वारा गठित जांच समिति की रिपोर्ट में जेटली का उल्लेख नहीं है। जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी है।


रिर्पोट में नहीं है जेटली का नाम  पिछले कुछ दिनों में आम आदमी पार्टी ने जिस तरह डीडीसीए विवाद को नया मोड़ दिया है, उससे लोगों ध्यान सीबीआइ के निशाने पर चल रहे केजरीवाल के प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार से हटकर जेटली की ओर चला गया है। दिल्ली सरकार ने डीडीसीए में भ्रष्टाचार को लेकर नया जांच आयोग भी बना दिया है। लेकिन 247 पन्नों की रिपोर्ट में गड़बडिय़ों को लेकर जेटली का उल्लेख तक नहीं किया गया है। भाजपा हुई हमलावर


इस रिपोर्ट से उत्साहित भाजपा ने तत्काल केजरीवाल पर जवाबी हमला किया। पार्टी के प्रवक्ता एमजे अकबर और सचिव श्रीकांत शर्मा ने संयुक्त प्रेसवार्ता में कहा कि केजरीवाल नाटक छोडक़र प्रशासन पर ध्यान दें। अकबर ने कहा कि केजरीवाल ने अपने प्रधान सचिव से लोगों का ध्यान हटाने के लिए बेवजह जेटली का नाम उछाल दिया है। श्रीकांत शर्मा ने केजरीवाल के अलावा कांग्रेस को भी घेरे में लिया। उन्होंने कहा कि केजरीवाल आधारहीन आरोप लगाते रहे और कांग्रेस उसी के सहारे संसद को चलने से रोकती रही। दरअसल, दोनों चोर-चोर मौसेरे भाई की तरह हैं। उन्होंने कहा कि कांग्र्रेस के नेता पांच हजार करोड़ रुपये के घपले में बेल पर बाहर हैं। मोदी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को लेकर कृतसंकल्प है।   

ये है रिपोर्टकेजरीवाल सरकार ने डीडीसीए में भ्रष्टाचार और आर्थिक अनियमितता के आरोपों की जांच के लिए एक आयोग का गठन किया था। सतर्कता विभाग के प्रधान सचिव चेतन सांघी की अगुआई वाली तीन सदस्यीय समिति की रिपोर्ट में डीडीसीए पर गंभीर आरोपों को देखते हुए बीसीसीआइ से इस संस्था को तुरंत निलंबित करने की सिफारिश की गई है। हालांकि, समिति ने जेटली पर छोटा-सा आरोप भी नहीं लगाया है। इसमें डीडीसीए में अनियमितताओं पर टिप्पणियां की गई हैं। इनमें अधिकारियों की पूर्व अनुमति के बिना कॉरपोरेट बॉक्सों के निर्माण तथा आयु प्रमाणपत्र में धोखाधड़ी की शिकायतें शामिल हैं। जेटली 1999 से 2013 के बीच डीडीसीए के अध्यक्ष रहे थे। ध्यान रहे कि कांग्रेस काल में एसएफआइओ ने भी जेटली को बरी कर दिया था। इसने डीडीसीए में भ्रष्टाचार की बात को भी नकार दिया था। हालांकि, कुछ तकनीकी खामियों की ओर जरूर इशारा किया गया था। वहीं आप का कहना है कि वे भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेंगे और रिर्पोट में नाम का उल्लेख ना होना निर्दोष होने का प्रमाण नहीं है।

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Posted By: Molly Seth