अजीब दास्तान है इंडियन सिनेमा की 100 साल पहले शुरू हुई और कंट्रोवर्सीज के चौराहे पर पहुंच गयी है. करने कुछ चले कर कुछ बैठे. 100 साल की कहानी बस 20 बरस में सिमट गयी यानि आमिर से शुरू और शाहरुख पर खत्म. 100 साल की कहानी में 900 गलतियां की गयीं.

अच्छा नहीं लग रहा ना हमारी बात सुन कर पर हम सिर्फ वो सच बता रहे हैं जो आज की बॉलिवुड फेटेरनिटी सोचती या करती है.
 
Fusion confusion    
सीरियसली अब आप ही देखिए इंडियन सिनेमा के 100 साल पूरे होने की खुशी में बनी एक फिल्म बॉम्बे टॉकीज जिसका नाम ही सिनेमा के इतिहास का हिस्सा है. बाम्बे टॉकीज वो पहला प्रोडेक्शन हाउस था जिसे दो इंडियंस देविका रानी और उनके हसबेंड हिमांशु रॉय ने शुरू किया था पर वो दोनों बिना किसी जिक्र के इस 100 साल को समर्पित फिल्मो से गुजर गए.
Name game based on fame
कहानी तो याद होगी एक इलाहबादी छोरे की जो आज मेगा स्टार अमिताभ बच्चन कहलाता है. उसका जिक्र ही नहीं उसकी शोहरत की कहानी है इस फिल्म में और साथ में है एक पूरा बच्चन एंथम पर 100 साल के एंथम में उसका चेहरा नहीं है. फिल्मों की दीवानगी है पर उसको नशा बनाने वालों की बात नहीं है. मजाक की हद है कि रणबीर कपूर हैं पर पृथ्वीराज कपूर, राजकपूर, शम्मी  कपूर नहीं हैं. दादा साहब फाल्के अवार्ड फेमस हैं पर दादा साहब फाल्के कौन है इसकी कोई बात नहीं है. ना गुरूदत्त का जिक्र हुआ ना दिलीप कुमार का चेहरा दिखेगा. देवानंद और मनोज कुमार का तो ख्याल ही कौन करे. जब कपूर फेमिली के सबसे छोटे मेंबर को बुला लिया था तो देयोल फेमिली के सबसे बड़े मेंबर को बुलाने में जाने क्या दिक्कत थी.  
Glamour fault   
ना ड्रीम गर्ल मुस्करायीं, ना उमराव का जादू दिखा बस धक धक होती रही और डर्टी गर्ल की धुन पर हिरोइन थिरकती रही. फर्स्ट बिकनी गर्ल की किसी को याद ही नहीं आयी कि बेटे बहू ज्यादा ग्लैमर तो उनका था. यह सब होता भी कैसे गाइड करने के लिए वहीदा रहमान को जो नहीं बुलाया. मुमताज से पूछ लेते शिव शंकर के नाम पर कुछ तो होता.

Casual approach    
असल में चार डायरेक्टर्स ने बुनी चार टुकड़ों में अपनी फिल्म की कहानी और अपने फैलाव से समेटे सितारे जिस का फोन लगा उसे बुला लिया बाकी को छोड़ो क्या फर्क पड़ता है. इससे तो बेहतर था कि मिस्टर परफेक्शनिस्ट अपने दिल की बात पहले जाहिर कर देते तो उनके हाथों एक बेहतरीन फिल्म तैयार हो जाती. चार की चौपाल में जो पहुंचा वो दिखा बाकि सब तो राम भरोसे है ही. आमिर ने कहा है कि वो 100 साल को डैडीकेट करके फिल्म बनाना चाहते थे और उनकी दिलीप कुमार के साथ काम करने की विश भी थी. आमिर ऊपर दिए रेस्पेक्टेड नामों के साथ साथ फिल्म का भी पूरा ख्याल रखते.
फिल्म 3 मई को रिलीज हो रही है, हमने अब तक जो देखा और फील किया वो आपसे शेयर किया. बाकि फिल्म के रिलीज के बाद सब कुछ क्लियर हो जाएगा. लेकिन ये सच है कि कुछ चीजें सिर्फ मिस्टेक मान कर नजर अंदाज नहीं की जा सकती आखिर ये इतिहास को लिखने जैसा काम है और आने वाली जेनेरेशन इस फिल्मे को रेफरेंस की तरह देखेंगी.

Posted By: Kushal Mishra