इतनी आसानी से नहीं सुलझेगी कॉल ड्राप की प्राब्लम: टेलिकॉम कंपनियां
जल्दी हल होने वाली समस्या नहीं है कॉल ड्राप
टेलिकॉम कंपनियों ने दूरसंचार नियामक संस्था ट्राई को साफ बता दिया है कि कॉल ड्रॉप की समस्या थेड़े समय में हल होने वाली मुश्किल नहीं हे। इसके लिए पॉलिसी लेवल पर कई तरह के बदलाव करने होंगे। जिसमें केंद्र सरकार, राज्य सरकार और म्युनिसिपल कॉरपोरेशन स्तर पर सहयोग लेते हुए योजना तैयार करनी होगी। तभी कंपनियों के लिए मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना संभव हो पाएगा। वैसे ट्राई का यही मानना है कि यह समस्या पिछले कुछ महीनों में ज्यादा बढ़ी है, ऐसे में इसे केवल समस्या नहीं माना जा सकता है।
कम स्पेक्ट्रम हैं समस्या का कारण
कॉल ड्रॉप प्रॉब्लम पर ट्राई द्वारा निकाले गए कंसल्टेशन पेपर पर कंपनियों ने अपना पक्ष स्पष्ट करते हुए कहा है कि समस्या स्थानीय मामलों के साथ पॉलिसी लेवल पर आ रही दिक्कतों की वजहों से हुई है। बड़ी कंपनी की माने तो पर्याप्त स्पेक्ट्रम की कमी, स्पेक्ट्रम कैप में कमी, म्युनिसिपल अथॉरिटी की मनमानी पॉलिसी, सर्विस के लिए मनमाने ढंग से चार्ज लगाना और टॉवर से होने वाले एमिशन को लेकर आयी भ्रांतियां कॉल ड्राप की खास वजहे हैं। ये भी कहा गया है कि साल 2014 के अंत और साल 2015 की शुरूआत से अब तक स्पेक्ट्रम चेंज ओवर की वजह से दिल्ली जैसे शहरों में कॉल ड्रॉप की प्रॉब्लम बढ़ी है। इसके अलावा दो-तीन राज्यों को छोड़कर ज्यादातर जगहों पर टॉवर इन्स्टालेशन के साथ बाकी समस्यायें भी बनी हुई हैं। ऐसे में टॉवर साइट्स की उपलब्धता कम होने की वजह से भी कॉल ड्रॉप की प्रॉब्लम बढ़ी है।
ट्राई दिल्ली और मुबई में इस माह से शुरू करेगा जांच
इस बीच दूरसंचार नियामक ट्राई राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और मुंबई में 28 सितंबर से नेटवर्क की जांच शुरू करेगा, जिससे कि यह पता किया जा सके कि कॉल ड्रॉप की समस्या के समाधान के लिए दूरसंचार कंपनियों ने कोई कदम उठाया है या नहीं। इस मसले पर ट्राई ने एक सलाह पत्र बांटने के साथ टेलीकॉम कंपनियों के सीईओ के साथ चर्चा की है। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण के चेयरमैन आरएस शर्मा ने कहा कि दिल्ली और मुंबई में डेस्ट ड्राइव की शुरुआत 28 सितंबर को होगी, जो चार से पांच दिनों तक चलेगी। दूरसंचार कंपनियों के सीईओ के साथ नौ सितंबर की बैठक में प्राधिकरण ने कंपनियों को कॉल ड्राप की समस्या के समाधान के लिए 15 दिन का समय दिया था। नौ सितंबर को सरकार ने टेलीकॉम कंपनियों से कहा था कि वे कॉल ड्रॉप की समस्या दूर करें या फिर कार्रवाई झेलने के लिए तैयार रहें।