- इसी सेशन से कोर्स में एड होगा मल्टीमीडिया एवं वेब टेक्नोलॉजी सब्जेक्ट

- सीबीएसई ने बोर्ड से एफिलिएटेड सभी स्कूलों को भेजा सर्कुलर

prakashmani.tripathi@inext.co.in

ALLAHABAD: आज के समय में टेक्निकल सब्जेक्ट्स की डिमांड ने एजुकेशन के दायरे को तेजी से बढ़ाया है। इसे समय की मांग ही कहेंगे कि बोर्ड भी ऐसे सब्जेक्ट्स को अपने यहां इंट्रोड्यूज कर रहे हैं, जिनसे स्टूडेंट्स शुरू से ही टेक्निकल फील्ड में सफलता हासिल कर सकें और फ्यूचर में उन्हें आसानी से रोजगार उपलब्ध हो सके। इसी को देखते हुए सीबीएसई यानी सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ सेकेण्ड्री एजूकेशन ने अपने यहां मल्टीमीडिया एंड वेब टेक्नोलाजी विषय को भी इंटरमीडिएट में लागू किया है। ये सब्जेक्ट उन स्टूडेंट्स के लिए फायदेमंद होंगे जो इस क्षेत्र में अपना करियर बनाने की तैयारी में हैं। सीबीएसई ने सर्कुलर जारी करके सभी स्कूलों से अपने यहां ये इन सब्जेक्ट्स को इसी सेशन से कोर्स में शामिल करने के निर्देश दिए हैं।

क्क् व क्ख् के स्टूडेंट्स के लिए

मल्टीमीडिया एंड वेब टेक्नोलॉजी सब्जेक्ट को अभी क्लास क्क् व क्ख् के स्टूडेंट्स के लिए इंट्रोड्यूज किया गया है। सीबीएसई ने अपने सर्कुलर में कहा कि ये सब्जेक्ट इसी सत्र यानी ख्0क्भ्-क्म् से ही लागू किया गया है। इसके साथ ही स्कूलों को निर्देश दिया गया है कि वे अपने यहां स्टूडेंट्स को इन सब्जेक्ट्स के बारे में जानकारी दें और इस क्षेत्र में मौजूद करियर की विविधता के प्रति जागरूक करें। जिससे स्टूडेंट्स में नए सब्जेक्ट के प्रति रुझान बने और वे करियर से जुड़े ऐसे सब्जेक्ट्स को अपनी पढ़ाई में अधिक से अधिक तवज्जो दे सकें। सीबीएसई ने क्लास क्क्वीं के कोर्स और सिलेबस को अपनी वेबसाइट पर भी अपलोड किया है। जिससे स्कूलों को कोर्स को समझने और उसको पढ़ाने की व्यवस्था करने में किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत ना आ सके।

स्टूडेंट्स को मिलेगा लाभ

सीबीएसई की ओर से अपने यहां के स्टूडेंट्स को टेक्निकल सब्जेक्ट्स के प्रति जागरूक करने और ऐसे सब्जेक्ट्स को स्कूलों में पढ़ाने की व्यवस्था करने को लेकर प्रिंसिपल भी काफी उत्साहित हैं। एमपीवीएम की प्रिंसिपल सुष्मिता कानूनगो ने बताया कि ऐसे सब्जेक्ट्स से स्टूडेंट्स को काफी लाभ हो गया। आज के समय में टेक्निकल एजुकेशन अनिवार्य हो गई है। क्योंकि इसके बगैर करियर बनाना लगभग असंभव होता जा रहा है। ऐसे में सीबीएसई का ये प्रयास काफी सराहनीय है। बोर्ड की ओर से पहले भी इस प्रकार नए व मार्केट की डिमांड के हिसाब से सब्जेक्ट्स को इंट्रोड्यूज किया जाता रहा है।

दिक्कतों की भी नहीं कमी

बोर्ड की ओर से मार्केट की डिमांड के हिसाब से नए करियर ओरियंटेड सब्जेक्ट कोर्स में एड करने को लेकर स्कूलों को कई तरह की मुश्किलों का भी सामना करना पड़ता है। एमपीवीएम गंगा गुरुकुलम स्कूल की प्रिंसिपल अल्पना डे बताती हैं कि बोर्ड की ओर से जो सब्जेक्ट कोर्स में इंट्रोड्यूज किए जाते हैं उसमें सबसे अधिक समस्या इनके इम्प्लीमेंटेशन की होती है। स्टूडेंट्स में शुरू में इसके लिए जागरूक नहीं होते। उनका परम्परागत विषयों के प्रति अधिक रुझान होता है। जिसके कारण ऐसे विषयों की क्लासेज में स्टूडेंट्स की संख्या नाम मात्र की होती है। जबकि कोई भी नया विषय शुरू करते समय स्कूल को उसे सही ढंग से संचालित करने के लिए सभी आवश्यक व्यवस्था करनी पड़ती है।

इन कारणों से होती है मुसीबत

- विषय के अनुरूप टीचर्स की व्यवस्था

- स्टूडेंट्स में ऐसे विषयों के प्रति अवेयरनेस की कमी

- विषय के हिसाब से अलग से क्लासरूम व इक्विपमेंट की व्यवस्था

- नए विषय के हिसाब से जरूरी सिलेबस व बुक्स की कमी

- प्राइवेट राइटर्स की महंगी किताबों के कारण भी दिक्कतें होती हैं

Posted By: Inextlive