बॉलीवुड में पिछले कुछ समय से महिलाओं से जुड़ी कुप्रथाओं पर वार करते हुए अच्छी थ्रिलर कहानियां गढ़ी जा रही हैं। कम से कम इसे सार्थक प्रयास तो कहा ही जायेगा। स्त्री रूही और अब छोरी आई है। कन्या भ्रूण हत्या को लेकर सवाल करती और एक अहम पाठ पढ़ाती है छोरी। यह फिल्म मराठी फिल्म लप्पा छपी का हिंदी रीमेक है। पढ़ें पूरा रिव्यू

फिल्म : छोरी
कलाकार: नुसरत भरूचा, राजेश जैश, मीता बिष्ट
निर्देशक : विशाल फुरिया
चैनल : एमेजॉन प्राइम वीडियो
रेटिंग : तीन स्टार

क्या है कहानी
कहानी बच्चों के एन जी ओ से जुड़ी रहने वाली एक औरत की कहानी है, जो 8 महीने की प्रेगनेंट लेडी है। उसके पति ने काफी लोन लिया हुआ है। इसकी वजह से वह खुद को छुपाने के लिए, अपने ड्राइवर के गांव जाकर रहता है। वहां उसके सामने कई सच आते हैं। ये सच दिल दहला देने वाले हैं। उसके सामने अजीबो गरीब घटनाएं होती हैं और इन सबके बीच कैसे वह अपने गर्भ में पल रहे बच्चे को बचाती है। यह आपको जानने के लिए फिल्म देख लेनी चाहिए। निर्देशक ने अच्छा रोमांच गढ़ा है।

क्या है अच्छा
थ्रिलर अच्छा है और सबसे महत्वपूर्ण फिल्म का जो मेसेज है। कन्या भ्रूण हत्या को लेकर एक अहम बात कहने की कोशिश है। भारत के उन राज्यों और इलाकों के लोगों की सोच कर वार है, जो आज भी बेटियों को बोझ समझते हैं। फिल्म दहला देती है। कैमरा वर्क भी शानदार है।

क्या है बुरा
क्लाइमेक्स प्रिडिक्टेबल है, उसे और बेहतर बनाया जा सकता था। जिन्होंने इसकी ओरिजनल फिल्म मराठी में देखी है, उन्हें फिल्म में कई खामियां नजर आ सकती हैं।

अदाकारी
निर्देशक ने बेहद समझदारी से फिल्म के मुख्य किरदारों का चयन किया है। नुसरत के करियर की यह अबतक की बेस्ट फिल्म साबित होगी। अच्छा है, वह ऐसे एक्सपेरिमेंट कर रही हैं। राजेश जैश और मीता ने एक भी चूक नहीं की है। सौरभ और यानिया का भी अच्छा काम है। कास्टिंग इस फिल्म की खासियत है।

वर्डिक्ट
फिल्म दर्शकों को पसंद आएगी।

Review by: अनु वर्मा

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari