Chinese media voice suspicion about the US government's motives after a report by a US-based security firm linked the Chinese military to cyber attacks on US firms.


अमेरिका की कंपनी 'मैनदियांत' ने वेडनेसडे को रिपोर्ट जारी की थी जिसमें चीन को अमेरिकी कंपनियों पर साइबर हमले का जिम्मेदार ठहराया था. अमेरिकी कंपनी ने हैकिंग के इस पूरे ऑपरेशन के पीछे चीन की गवर्नमेंट और आर्मी को जिम्मेदार ठहराया है. मेरिकी कंपनी का कहना है कि इन हैकरों का ठिकाना शंघाई के पुडोग जिले में ही है, जहां पीपुल्स लिबरेशन आर्मी यूनिट 61398 का हेडक्वाटर है. पुडोग में हजारों ऐसे कर्मचारी काम करते हैं, जो अंग्रेजी के जानकार हैं और जिनको कंप्पयूटर में महारत हासिल है. 141 संगठनों का डाटा चोरी बताया जाता है कि इसी यूनिट ने 2006 में विभिन्न क्षेत्रों से संबद्ध कम से कम 141 संगठनों के सैकड़ों टेराबाइट डाटा की चोरी की थी. साइबर हमले की शिकार हुईं अधिकतर कंपनियां अमेरिका की थीं और कुछ ब्रिटेन और कनाडा की. ये डाटा विभिन्न कंपनियों के विलय और वरिष्ठ अधिकारियों के ईमेल थे.


चीन ने किया इंकार

चीन की सेना ने इस आरोप का खंडन करते हुए आज जारी वक्तव्य में कहा है कि उसकी सशस्त्र सेना ने कभी भी किसी साइबर हमले का समर्थन नहीं किया है. यह आरोप बिना किसी तकनीकी सबूत के लगाया गया है. चीन की नेशनल सिक्योरिटी मिनिस्ट्री के प्रवक्ता गेग यानशेग ने कहा कि चीन के कानून में साइबर सुरक्षा को भंग करने वाली कोई भी गतिविधि प्रतिबंधित है और यहां की सरकार हमेशा साइबर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करती है. आईपी एड्रेस के कारण आरोप अमेरिकी कंपनी ने साइबर हमलों के आईपी एड्रेस को चीन के आईपी एड्रेस से संबंध होने के कारण ये आरोप लगाए हैं जबकि यह बात सब जानते हैं कि हैर्कस किसी भी आईपी एड्रेस को हैक करने के के बाद ही हैकिंग करते हैं। नशेग ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साइबर हमले की कोई परिभाषा भी तय नहीं की गई है। अमेरिकी कंपनी के रिपोर्ट मे चीन पर लगाए गए साइबर हमले के आरोप के पीछे कोई कानूनी सबूत नहीं है।

Posted By: Garima Shukla