चीन की सरकार ने फ़ैसला किया है कि वो 36 साल से चली आ रही एक बच्चे की नीति को खत्म करेगी और सभी जोड़ों को दो बच्चे पैदा करने की इजाज़त देगी।


चीन की एक बच्चे की दशकों पुरानी नीति की वजह से चीन के बहुत सारे परिवार सिर्फ एक ही बच्चा पैदा करने को मजबूर हैं, हालाँकि बहुत सारे अपवाद भी हैं।चीनी सरकार के अनुमान के मुताबिक़ एक-बच्चे की नीति के कारण 40 करोड़ बच्चों के जन्म को उसने नियंत्रित किया है, हालाँकि इस आंकड़े को लेकर विवाद भी है।2007 से चीन इस बात का दावा करता रहा है कि समय के साथ नीति में कई सारे बदलावों के कारण केवल 36 फ़ीसदी आबादी ही एक-बच्चे की नीति को अपनाए हुए है।1970 के दशक के आख़िरी पड़ाव तक पहुंचते-पहुंचते चीन की आबादी एक अरब तक पहुंच गई थी, इस कारण चीन की सरकार अपनी महत्वाकांक्षी आर्थिक विकास योजना पर पड़ने वाले असर को लेकर चिंतित हो गई थी।
चीन और पश्चिम में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह नीति मानवाधिकार और प्रजनन की स्वतंत्रता का बड़े पैमाने पर उल्लंघन करती थी।अमीर परिवार जो जुर्माना दे सकते थे उन्हें भी नीति के अंतर्गत पाबंदियां झेलनी पड़ती थीं।विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी कि एक बच्चे की नीति के कारण चीन पहला ऐसा देश होगा जो अमीर होने से पहले बूढ़ा हो जाएगा।


2050 तक चीन की एक चौथाई आबादी से अधिक 65 साल से ऊपर की होगी।वरिष्ठ पत्रकार सैबल दास गुप्ता ने बीबीसी से कहा कि चीन के लिए इस लिहाज से भारत एक बड़ी चुनौती है. क्योंकि भविष्य में उस देश की आर्थिक प्रगति की संभावना ज्यादा मानी जाती है जिसकी आबादी में नौजवानों की संख्या ज्यादा हो और भारत अभी दुनिया का सबसे जवान देश है।चीन की आबादी की बढ़ती हुई उम्र वहां की अर्थव्यवस्था को धीमा कर देगी क्योंकि नौजवान कामगारों की संख्या कम हो जाएगी और टैक्स देने वाले और पेंशन लेने वालों के बीच अनुपात गिर जाएगा।2013 से इस नीति में संशोधन करके यह कर दिया गया था कि अगर दंपती अपने माता-पिता के अकेली संतान हैं तो वे दो बच्चे पैदा कर सकते हैं।मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का नीति के मौजूदा बदलाव के संदर्भ में कहना है कि एक-बच्चे की नीति को दो-बच्चे की नीति में बदल दिया गया है। अब भी चीन में महिलाओं के प्रजनन अधिकार को नियंत्रित किया जाएगा।एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि अब भी ज़बरन गर्भपात और गर्भ रोकने के अनुचित तरीकों का ख़तरा बना रहेगा।

चीन की समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक़ नीति में बदलाव सांसदों की अनुमति के बाद ही प्रभाव में आएगा।यह कब होगा पता नहीं है लेकिन अनुमति को सिर्फ एक औपचारिकता माना जा रहा है।

Posted By: Satyendra Kumar Singh