Gorakhpur: वीरू और कोहली बनना आसान नहीं. शायद यह बात सिटी के नन्हें उस्तादों को भी मालूम है. तभी वह चॉकलेट आइसक्रीम खाने और पैरेंट्स से जिद करने की एज में ग्राउंड में आकर पसीना बहा रहे हैं. अपनी हाइट के बराबर बैट से जोरदार शॉट लगा रहे हैं तो दौड़ने से अधिक स्पीड से बॉल फेंक रहे हंै. नन्हें उस्तादों के इस पैशन में पैरेंट्स भी उनके साथ हैं. स्कूल से छूटते ही पैरेंट्स बच्चों को लेकर ग्राउंड पहुंच जाते हंै और उनकी पूरी प्रैक्टिस के दौरान साहस बढ़ाते हैं. सिटी में चल रहे कोचिंग कैंप में पांच सौ से अधिक बच्चे क्रिकेट के गुर सीख रहे हंै.

बच्चों का पैशन बना पैरेंट्स का सपना
आठ साल के मासूमों पर क्रिकेट का फीवर इस कदर चढ़ा है कि वे पैरेंट्स से चाकलेट और आइसक्रीम खरीदने के बजाए बैट और बॉल की डिमांड कर रहे हैं। हाइट कम होने पर भले ही पैड और बैट का साइज न मिले, मगर वे पैरेंट्स को लेकर अक्सर स्पोर्ट्स शॉप पहुंच जाते हैं। बच्चों के इस पैशन से पैरेंट्स भी उत्साहित हंै और वे उनका पूरा सपोर्ट कर रहे हैं। कोचिंग कैंप में ले जाने के साथ पैरेंट्स अपने लाडले के हर शॉट पर तालियां बजाते हैं। बच्चों के साथ अब पैरेंट्स भी अपने लाडले में वीरू, कोहली और युवराज बनने का सपना संजो रहे है।
बहेगा पसीना, बढ़ेगी स्पीड
अभयनंदन इंटर कॉलेज क्रिकेट ग्राउंड पर शीला स्पोर्ट्स एकेडमी चलती है, जिसमें 50 से अधिक बच्चे क्रिकेट के गुर सीख रहे हैं। जो यूथ और टीनएजर के अलावा है। इन बच्चों की एज 8 से 11 साल के बीच है, मगर ग्राउंड पर पसीना 22 साल के यूथ के बराबर बहा रहे हैं। क्योंकि इन बच्चों का मानना है जब पसीना बहेगा, तभी बाल की स्पीड बढ़ेगी और बैट से निकला शॉट बाउंड्री के पार जाएगा। ये सभी बच्चे डेली वार्मअप करने के बाद बैटिंग, बॉलिंग और फील्डिंग की प्रैक्टिस करने के साथ क्रिकेट की बारीकियां सीख रहे है।
जुनून ऐसा कि बड़े शर्मा जाएं
क्रिकेट कैंप में इन नन्हें उस्तादों की मेहनत देख जहां कोच उत्साहित हंै वहीं पैरेंट्स भी आश्चर्यचकित हैं। क्रिकेट का फीवर चढ़ने के बाद घंटों में खाना खाने और बेड से उठने वाला बच्चा स्कूल के साथ होमवर्क कंपलीट कर ग्राउंड के लिए समय निकाल लेता है। वह ग्राउंड पर पूरी प्रैक्टिस करने के बाद भी स्कूल जाने से नहीं कतरा रहा है। साथ ही क्रिकेट कोचिंग कैंप ज्वाइन करने के बाद बच्चों की सेहत भी सुधर गई है।
सिटी में होंगे वीरू, कोहली
शीला स्पोर्ट्स एकेडमी में बच्चों को क्रिकेट की कोचिंग दे रहे कोच पंकज शुक्ला ने बताया कि 15 साल से अधिक एज वालों से कहीं अधिक जुनून 10 साल से कम एज वाले बच्चों में है। वह हर बारीकी को सीखने के साथ ग्राउंड पर कड़ी प्रैक्टिस करते हैं। उनके खेल में हर दिन निखार आ रहा है। बॉलिंग की टिप्स दे रहे कोच पंकज उपाध्याय ने बताया कि अब हर बच्चा ऑलराउंडर बनना चाहता है। वह सिर्फ बैट्समैन या बॉलर बनकर नहीं रहना चाहता। नन्हें उस्ताद सबसे अधिक मेहनत फील्डिंग पर कर रहे है।
रेल विहार में रहने वाले विनीत पावा का बेटा रिशू पावा भले ही 11 साल का है, मगर ग्राउंड पर उसके शॉट किसी को भी हैरत में डाल सकते है। मेट्रोपोलिटन स्कूल में क्लास 5 के स्टूडेंट रिशू ने बताया कि मैैं विराट कोहली की तरह बनना चाहता हूं। इसके लिए अभी से मेहनत जरूरी है। मैैं बैटिंग के साथ फील्डिंग पर भी ध्यान दे रहा हूं।
15 किमी दूर भटहट से प्रैक्टिस को आने वाले आकाश दूबे की एज महज 10 साल है। वह अपने पिता के साथ प्रैक्टिस को आता है। अपनी टीम में ओपनिंग करने वाला आकाश सेंट पॉल स्कूल में क्लास 5 का स्टूडेंट है। वीरू बनने का सपना संजोए आकाश डेली एक घंटा बैटिंग की प्रैक्टिस करता है।
बशारतपुर में रहने वाले उमेशचंद पटेल के बेटे सिद्धार्थ शंकर की एज महज 10 साल है और मेट्रोपोलिटन स्कूल में क्लास-4 का स्टूडेंट है, मगर शौक क्रिकेट का। हाइट से बड़े बैट से भी ऐसा शॉट लगाता है, जिसे देख लोग चौंक जाए। सिद्धार्थ वीरू बनना चाहता है।
धर्मपुर निवासी मिठाई लाल का बेटा आकाश दीप की एज 11 साल और वह स्टूडेंट क्लास 7 का है, मगर क्रिकेट ग्राउंड पर उसकी बॉलिंग की स्पीड 20 साल के यूथ से कम नहीं है। आकाश दीप जहीर की तरह बॉलिंग करना चाहता है। वह इंडिया टीम में खेलने का सपना संजोए कोचिंग कैंप में कड़ी प्रैक्टिस कर रहा है।
वीरू की तरह मैैं भी इंडिया के लिए खेलना चाहता हूं। शक्ति नगर निवासी राजेश सिंह का बेटा स्वर्ण सिंह केवी का स्टूडेंट है। वह स्कूल टाइम और होमवर्क फिनिश करने के बाद ग्राउंड पर डेली दो घंटा प्रैक्टिस करता है।

 

Report by: Abhishek Singh

Posted By: Inextlive