उत्तर प्रदेश में लोकायुक्त की नियुक्ति में नहीं होगी मुख्य न्यायाधीश की भूमिका
प्रस्तुत किया लोकायुक्त चयन पर नया बिल
लोकायुक्त चयन की नई व्यवस्था वाला उत्तर प्रदेश लोक आयुक्त तथा उप लोक आयुक्त संशोधन विधेयक 2015 विधानसभा व विधान परिषद में गुरुवार को बसपा, भाजपा व कांग्रेस के विरोध के बावजूद पारित हो गया। इलाहाबाद हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को चयन व्यवस्था से हटाकर सुप्रीम कोर्ट अथवा हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश को शामिल किया गया है। उनका चयन मुख्यमंत्री ही विधानसभा अध्यक्ष के परामर्श से करेंगे। समिति में नेता विपक्ष का स्थान बनाए रखा गया है। यह प्रावधान भी किया गया है कि चयन समिति में कोई स्थान रिक्त होने के कारण लोकायुक्त की नियुक्ति को अवैध नहीं माना जाएगा। उल्लेखनीय है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश रविंद्र सिंह यादव की नियुक्ति प्रक्रिया पर उठी अंगुली के बाद राज्यपाल राम नाईक संबंधित पत्रावली को चार बार प्रदेश सरकार को लौटा चुके हैं। इसी के बाद प्रदेश सरकार ने ताजा कदम उठाया है।राज्यपाल की देखरेख में प्रस्तुत हुआ बिल
लोकायुक्त चयन की प्रक्रिया बदलने के लिए गुरुवार को विधान मंडल के दोनों सदनों में पेश किए गए संशोधन विधेयक पर हुई चर्चा का प्रसारण राज्यपाल राम नाईक ने भी देखा और सुना। वह इस बात से संतुष्ट थे कि चर्चा शांतिपूर्ण माहौल में हुई, कोई नारेबाजी अथवा शोर-शराबा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि विधेयक दोनों सदनों से पारित हो गया है और अब जब उनके समक्ष आएगा तो वह इसका परीक्षण कर निर्णय लेंगे।
Hindi News from India News Desk