- इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में जांच आयोग का गठन

- आयोग को दो माह के अंदर सौंपनी होगी रिपोर्ट

LUCKNOW: मथुरा के जवाहरबाग कांड में चौतरफा घिरी प्रदेश सरकार ने अब पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच के आदेश दिये हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस मिर्जा इम्तियाज मुर्तजा की अध्यक्षता में एकल सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया गया है। आयोग का मुख्यालय लखनऊ में होगा और इसे दो माह के भीतर अपनी जांच पूरी कर शासन को रिपोर्ट सौंपनी होगी।

इन बिंदुओं पर होगी जांच

राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि एकल सदस्यीय जांच आयोग घटना से जुड़े छह प्रमुख बिन्दुओं पर जांच कर शासन को अपनी रिपोर्ट देगा। आयोग को उन कारणों और परिस्थितियों को पता करना होगा, जिसके कारण घटना हुई। साथ ही इस प्रकरण में इंटेलीजेंस द्वारा संकलित सूचनाओं, जनपदीय पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका और पर्यवेक्षणीय पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका की जांच भी आयोग करेगा। इतना ही नहीं, आयोग को इस बात की भी जांच करने को कहा गया है कि पुलिस और प्रशासन द्वारा इंक्रोचमेंट की गई सरकारी जमीन को अतिक्रमण मुक्त किये जाने के पहले नियोजित कार्ययोजना और रणनीति की रूपरेखा क्या थी? इस तरह की अप्रत्याशित घटनाओं को रोकने के लिए कोई कदम प्रशासन लेवल पर उठाया गया।

पहले कमिश्नर को दी गई थी जांच

जवाहरबाग कांड में दो पुलिस अफसरों समेत 27 लोगों की मौत के बाद इस मामले की जांच कमिश्नर आगरा संदीप भटनागर को सौंपी गयी थी। इस आदेश के 24 घंटे भी नहीं बीते थे कि अचानक जांच अधिकारी बदल दिया गया। राज्य सरकार ने अलीगढ़ के कमिश्नर चंद्रकांत को जांच का जिम्मा सौंप दिया। चंद्रकांत ने मथुरा जाकर मामले की प्रारंभिक जानकारी भी जुटानी शुरू कर दी थी कि अचानक राज्य सरकार ने एक बार फिर अपना फैसला बदलते हुए मामले की न्यायिक जांच कराने का निर्णय ले लिया। मालूम हो कि राज्य सरकार ने सोमवार को मथुरा के डीएम राजेश कुमार और एसएसपी राकेश कुमार सिंह का तबादला भी कर दिया था। दोनों का तबादला सामान्य प्रक्रिया के तहत किया गया था।

पांच दिन में नहीं तलाश सके जिम्मेदार

घटना के पांच दिन बीतने के बाद भी केवल जांच किस तरह होनी है, इसे लेकर सरकार ऊहापोह में नजर आ रही है। इस घटना में किस स्तर पर चूक हुई, अभी तक इसका पता भी नहीं चल सका है। न्यायिक आयोग के गठन से साफ है कि अब यह मामला लंबा खिंच सकता है। आयोग को दो माह में अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है लेकिन पिछले कुछ मामलों पर नजर डालें तो न्यायिक आयोग अपनी जांच पूरी करने में लंबा वक्त लेता रहा है। अब देखना यह है कि इस मामले में राज्य सरकार कितनी तेजी से जांच करवाने के बाद दोषियों पर नकेल कसती है।

क्या था मामला

मथुरा के जवाहरबाग की सैकड़ों एकड़ जमीन पर कब्जा खाली कराने गयी पुलिस पर अतिक्रमणकारियों ने हमला बोल दिया था जिसमें एएसपी मुकुल द्विवेदी व थानाध्यक्ष संतोष यादव शहीद हो गए थे। पुलिस की कार्रवाई में अतिक्रमणकारियों का मुखिया रामवृक्ष यादव समेत 27 लोग भी मारे गये। वहीं विपक्षी दलों ने राज्य सरकार केमंत्री शिवपाल यादव को इस घटनाक्रम के लिए दोषी ठहराते हुए उनकी बर्खास्तगी की मांग को लेकर घेरेबंदी शुरू कर दी। सीबीआइ जांच की मांग को लेकर अदालत में याचिका भी दाखिल हो गयी। विपक्ष के बढ़ते दबाव पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मंगलवार को जवाहरबाग प्रकरण की न्यायिक जांच का फैसला किया।

कौन है न्यायमूर्ति इम्तियाज

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ से वकालत की शुरूआत करने वाले मिर्जा इम्तियाज मुतुर्जा नवंबर-2001 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त हुए और एक मार्च 2015 को वरिष्ठ न्यायाधीश पद रिटायर हुए। ध्यान रहे, उत्तर प्रदेश का लोकायुक्त नियुक्त करने के लिए राज्य सरकार की ओर से तैयार किये गये पैनल में भी न्यायमूर्ति मुतुर्जा का नाम था। उन्हें सरकार का करीबी माना जाता है।

Posted By: Inextlive