गांगुली की वापसी की कहानी से प्रेरणा ले सकते हैं गौतम गंभीर
पहले जानें गांगुली कैसे हुए थे बाहर
सितंबर 2005 की बात है जब भारतीय टीम जिंबाब्वे के दौरे पर गई थी। उस समय भारतीय टीम के कोच ग्रेग चैपल थे। सीरीज के दौरान सब कुछ अच्छा चल रहा था कि तभी गांगुली और चैपल के झगड़े की खबर ने सभी को हैरत में डाल दिया। चैपल का कहना था कि 'गांगुली टीम के लिए शारीरिक और मानसिक तौर पर अनफिट हो चुके हैं'। इसके साथ ही चैपल ने टीम के साथ राजनीति करनी शुरु कर दी थी। इस बीच गांगुली का प्रदर्शन गिरने लगा और उन्हें कप्तानी के साथ-साथ टीम से भी हटा दिया गया। तब जाकर राहुल द्रविड़ ने टीम की कमान संभाली। इसके बाद टीम के कई प्लेयर चोटिल हुए लेकिन गांगुली को वापस टीम में नहीं रखा जा सका।
ऐसे हुई वापसी
2006 में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में भारतीय टीम की काफी आलोचना हुई। टीम की बैटिंग काफी खराब हो चुकी थी। सभी प्लेयर लगभग अपनी लय खो चुके थे। इस दौरान भारत ने साउथ अफ्रीका में एक वनडे सीरीज खेली थी जिसमें भारत का 4-0 से सफाया हुआ था। इस बीच भारत की टेस्ट टीम का एलान हुआ जिसमें गांगुली की वापसी हुई। हालांकि अभी गांगुली की बेस्ट परफार्मेंस आनी बाकी थी। साउथ अफ्रीका के खिलाफ जब पहला टेस्ट मैच खेला गया तो गांगुली ने अर्धशतक लगाया जिसकी बदौलत भारत ने यह टेस्ट मैच अपने नाम किया। हालांकि भारत के हाथों से सीरीज तो निकल गई थी लेकिन इन मैचों में गांगुली ने अपने बल्ले से काफी रन बनाए थे।
फिर लगाई करियर की पहली डबल सेंचुरी
12 दिसंबर 2007 का दिन सौरव गांगुली के लिए सबसे यादगार रहा। पाकिस्तान के खिलाफ खेले गए टेस्ट मैच में गांगुली ने अपने करियर का पहला दोहरा शतक जड़ा। गांगुली ने तब 239 रनों की पारी खेली थी। यही नहीं सौरव ने युवराज सिंह के साथ 5वें विकेट के लिए रिकॉर्ड 300 रनों की साझेदारी भी की। गांगुली के लिए साल 2007 काफी लकी रहा। इस दौरान गांगुली ने टेस्ट में कुल 1106 रन बनाए, जबकि वनडे में उनके खाते में 1240 रन आए।