संक्रमित होने के बावजूद नहीं कम हुआ जोश कोरोना से जंग जीतने वाले दूसरों के लिए बन रहे प्रेरणा स्त्रोत।

LUCKNOW: कोरोना के बढ़ते प्रकोप से लगभग हर शख्स भय के माहौल में जी रहा है। हर पल उसे यही डर सताता रहता है कि कहीं अगला नंबर उसका न हो। उसके मन में ये भी सवाल उठते हैं कि अगर वह संक्रमित होकर अस्पताल पहुंचा तो वहां कैसे ट्रीटमेंट होगा, खाने को क्या मिलेगा और उसके साथ बिहेव कैसा होगा। वहीं हकीकत यह है कि कोरोना से डरने की नहीं बल्कि पूरे आत्म विश्वास के साथ उसका सामना करने की जरूरत है। मेडिसिन तो अपना असर दिखाएगी ही साथ ही सकारात्मक सोच और दृढ़ संकल्प से भी कोरोना को बेहद आसानी से हराया जा सकता है। यह हम नहीं बल्कि वो लोग कह रहे हैं, जो कोरोना से जंग जीतकर या तो घर लौट चुके हैं या दो से तीन दिन में स्वस्थ होकर लौटने वाले हैं। कोरोना का सामना करने वाले सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर लोगों पर आधारित दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के रिपोर्टर अनुज टंडन की रिपोर्ट

1. डरना नहीं हराना है

घर पर था, तब पता चला कि कोरोना जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इसके बाद शाम को एंबुलेंस आई और केजीएमयू में भर्ती हो गया। वार्ड में पहुंचा तो साफ कमरे में रखा बेड पर यूज एंड थ्रो चादर के साथ तकिया आदि रखा था। साथ ही पैक्ड पानी की बोतल, चाय के साथ नमकीन दी गई। उसके बाद डॉक्टर का फोन आया और मेडिकल हिस्ट्री की जानकारी की। बाद में डॉक्टर आये और दूर से ही बताया कि आप एसिम्प्टमेटिक हैं, घबराने की जरूरत नहीं है। ऐसे करीब 80 परसेंट केस आ रहे हैं और जल्द ही ठीक भी हो रहे हैं। यह सुनने के बाद खासी राहत मिली।

खाना भी मरीजों वाला नहीं

जूनियर व सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स पीपीई किट पहनकर हालचाल लेने आते हैं। इसके बाद सीनियर डॉक्टर्स भी आकर या फोन करके हालचाल लेते हैं। दवा लक्षणों के अनुसार ही दी जाती है। मरीजों को डॉक्टर अपना नंबर भी देते हैं ताकि उनसे बात कर सकें। इसके अलावा गवर्नमेंट हॉस्पिटल में खाने की क्वालिटी को लेकर सबसे बड़ी शंका रहती है, लेकिन जब खाना आया तो सोच के विपरीत एकदम अलग। यहां पर मरीजों वाला खाना नहीं मिलता है। बल्कि खाने की थाली में पोषण का ख्याल रखते हुये रोटी, चावल, पनीर, सलाद, अचार आदि शामिल था। यानि खाना भी एकदम स्वाद वाला था। इसलिए खाने को लेकर कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है। साथ ही समय-समय पर वार्ड में साफ-सफाई भी होती रहती है।

कोरोना को हराना है

लोगों को लगता है कि वार्ड में अकेले कैसे रहेंगे। इसके लिए आपके पास अपना मोबाइल या लैपटॉप है। आप उस पर अपना काम आसानी से कर सकते हैं। खुद को पॉजिटिव रखें और व्यस्त रखें। यह न सोचे की हॉस्पिटल कैसा होगा। क्योंकि अभी तक इसका कोई इलाज नहीं आया है। ऐसे में आपको डॉक्टर के ऊपर पूरा भरोसा रखना चाहिए क्योंकि वो आपको इलाज में पूरी मेहनत के साथ लगे हुये हैं। मैं भी जल्द ही ठीक होकर घर वापस लौट जाऊंगा इसलिए अपने मन से किसी भी तरह का डर निकाल दीजिए।

- नवल कांत सिन्हा

2. परिवार ने मिलकर दी कोरोना को मात

जब पता चला कि मुझे कोरोना हुआ है तो यहीं चिंता थी कि परिवार को कुछ न हो। इसके बाद मुझे साढ़ामऊ स्थित आरएसएम हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। साथ ही एहतियातन एफआई हॉस्पिटल में परिवार के अन्य 10 सदस्यों को भी क्वारंटीन कर दिया गया था, जिसमें दस साल का भतीजा सहित मां भी शामिल थी, लेकिन बाद में एक-एक करके पूरा परिवार कोरोना की चपेट में आ गया था। इसमें में कुछ को बीकेटी तो कुछ को एरा में भर्ती कराया गया था।

पूरा परिवार फोन पर जुड़ा रहा

पूरा परिवार कोरोना की जद में आ गया था, लेकिन इसके बावजूद किसी ने हिम्मत नहीं हारी। हम लोग एक दूसरे की हिम्मत बढ़ाते रहे। परिवार के सदस्य मोबाइल के माध्यम से एक दूसरे के साथ जुड़े रहे। वीडियो कॉल व कॉफ्रेंसिंग से एक दूसरे का हालचाल लेते रहते थे। इससे एक दूसरी हिम्मत बनी रही। चिंता केवल इस बात की थी कि घर के बच्चे भी बीमार थे, लेकिन परिवार के सदस्य साथ थे। डॉक्टर पूरी तरह हम लोगों का ध्यान रख रहे थे। खाने और रहने की कोई दिक्कत नहीं थी। इसलिए हम लोग निश्चिंत थे कि जल्द ही कोरोना को मात देंगे।

हौसला कम न होने दें

पिता की उम्र ज्यादा होने और सांस की समस्या होने पर उनको पीजीआई भर्ती कराया गया था। जहां डॉक्टर ने कोरोना के इलाज के बाद उनकी सांस की बीमारी का भी इलाज किया। आज डॉक्टरों की मेहनत का ही नतीजा है कि वो पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं। सभी से यही अपील करूंगा कि कोरोना से डरने की जरूरत नहीं है। अपनी हिम्मत को कम न होने दें और डॉक्टर के साथ भगवान पर पूरा विश्वास व भरोसा रखें। साथ ही खुद को पॉजिटिव रखें।

- अशफाक कुरैशी

3. खुद को रखें पॉजिटिव

परिवार के सदस्य को कोरोना संक्रमण हुआ था, जिसके बाद हम लोगों के भी सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा गया था। तबतक हम लोगों को घर पर ही क्वारंटीन रहने के लिए कहा गया था। बाद में जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई। खबर मिली तो थोड़ा डर जरूर लग रहा था, लेकिन भाई सहित घर के लोगों ने मेरा हौसला बढ़ाने का काम किया। इसके बाद मुझे केजीएमयू में भर्ती कराया गया था। वहीं पर परिवार के दूसरे सदस्य भी भर्ती थे। ऐसे में यह तसल्ली थी कि चलो पास में कोई तो है। हॉस्पिटल पहुंची तो इंतजाम भी अच्छा था। डॉक्टर भी हालचाल लेने के लिए आये थे। इसके अलावा अन्य स्टॉफ का व्यवहार भी काफी अच्छा था।

खुदा पर पूरा भरोसा

इलाज के दौरान मेरे पास कोई मोबाइल या लैपटॉप तक नहीं था। मैं कमरे में पूरी तरह अकेली और बिना किसी गैजेट के थी। खुदा पर पूरा भरोसा था कि उसके रहते कुछ नहीं होगा और जल्द ही मैं ठीक होकर वापस घर पहुंच जाऊंगी। इस दौरान मैंने खुद को खुदा की इबादत में लगा दिया। नमाज पढ़ना, धार्मिक किताबों को पढ़ना इन सब में ही अपना दिन गुजार देती थी। वहीं परिवार के दूसरे सदस्य जो भर्ती थे कभी कभी दूर से ही उनसे बात हो जाती थी। ऐसे में सभी का हालचाल भी मिल जाता था।

हौसले से दें मात

कोरोना वायरस का भले ही इलाज नहीं हो, लेकिन इसके बावजूद लोग पूरी तरह से ठीक होकर वापस घर जा रहे हैं। यही बात हौसला बढ़ाने के लिए काफी था। डॉक्टर्स भी काफी हेल्पफुल थे। जो पीपीई किट पहनकर हालचाल लेने के लिए आते थे। कोई समस्या होती तो उसको भी हल करते। अगर किसी बात को लेकर कोई डर बैठता था तो काउंसलिंग करके उसे दूर भी करते थे। ऐसे में यहीं कहना चाहूंगी कि कोरोना से डरने की जरूरत नहीं है। बस आप खुद पर हौसला रखें और डॉक्टर्स के ट्रीटमेंट के साथ ऊपरवाले पर भरोसा रखें। आप जल्द ही कोरोना को मात देंगे और वापस अपने परिवार के लोगों के साथ पहले जैसे ही समय व्यतीत करेंगे। इसके साथ सर्तक रहें और डॉक्टर्स के बताये गये एहतियातों का पूरी तरह से पालन करें।

- नौशीन

Posted By: Inextlive