कोरोना वायरस से संक्रमण फैलने को लेकर जन साधारण में कई ऐसी बातें भी प्रचलन में हैं जिनका कोई सिर पैर नहीं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने ऐसी बातों को मिथ बता कर उसकी सचाई बताई है।

नई दिल्ली (जेएनएन) केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को देश में कोरोना वायरस फैलने के बाद सोशल मीडिया के जरिए लोगों के बीच वायरल हो रहे कुछ मिथकों को दूर किया। आपके पास भी इस तरह के मिथ व्हाट्सएप या फेसबुक के जरिए पहुंचे होंगे। आइए जानते हैं उनकी सचाई।

मिथ : मच्छर काटने से भी कोरोना वायरस का संक्रमण फैलता है।

सच : इसका संक्रमण मच्छर के काटने से नहीं फैलता।

मिथ : हर किसी को खुद को इस वायरस से बचाने के लिए मास्क पहनना चाहिए।

सच : ऐसे लोगों को मास्क पहनना चाहिए जिनमें बुखार, खांसी और जुकाम जैसे लक्षण हैं या वे स्वास्थ्य कर्मी हैं या आइसोलेशन यूनिट की देखभाल करने का काम कर रहे हैं।

मिथ : केवल कोविड-19 के लक्षणों वाले लोग ही इस बीमारी को फैला सकते हैं।

सच : ऐसे लोग भी कोविड-19 संक्रमण फैला सकते हैं जो इससे संक्रमित तो हैं, लेकिन उनमें बीमारी के कोई भी लक्षण नहीं हैं।

मिथ : लहसुन खाने और शराब का सेवन करने से कोरोना वायरस को रोका जा सकता है।

सच : लहसुन खाने और शराब पीने से कोविड-19 को नहीं रोका जा सकता।

मिथ : अखबारों से भी कोरोना वायरस फैलता है।

सच : अखबारों के जरिये कोरोना वायरस नहीं फैलता। मॉर्डन प्रिंटिंग तकनीक पूरी तरह ऑटोमेटेड है। व्यावसायिक सामान के दूषित होने की संभावना कम है। इसमें हाथों का इस्तेमाल नहीं होता। अखबार बांटने वाली हॉकर सप्लाई चेन पूरी तरह सैनिटाइज्ड होती है।

Posted By: Satyendra Kumar Singh