Nizamuddin Markaz कोरोना वायरस के कहर के बीच दिल्ली का निजामुद्दीन इलाका चर्चा में आ गया है। यहां के मरकज में कोरोना पाॅजिटिव केस पाए जा रहे हैं। इस बीच कुछ लोग निजामुद्दीन में मरकज और सूफी दरगाह को लेकर कन्फ्यूज हो रहे हैं। ऐसे में यहां जानें ये दोनों अलग-अलग हैं...

नई दिल्ली (आईएएनएस)। Nizamuddin Markaz निजामुद्दीन मरकज में 24 लोगों की कोरोना वायरस पाॅजिटिव रिपोर्ट आने के बाद लोग भ्रमित हो रहे हैं क्योंकि निजामुद्दीन प्रसिद्ध सूफी संत निजामुद्दीन औलिया से भी जुड़ा है। इनकी कब्र पर हर साल लाखों लोग आते हैं। ऐसे में एक बात जानना जरूरी है कि मरकज और दरगाह अलग-अलग जगहों पर हैं और दोनों की अलग-अलग कहानिया भी हैं। मरकज ने 1926 से इस्लाम का प्रचार करना शुरू किया था। यह श्राइन सदियों पुराना है। जब इलाके में सकारात्मक परीक्षण करने वाले लोगों की पहली खबर आई, तो तुरंत दरगाह और मरकट का स्पष्टी करण किया गया। मरकज वो जगह जहां तबलीगी जमात के सदस्यों द्वारा बैठक की जाती है।

पाॅजिटिव मरीज निजामुद्दीन दरगाह में नहीं बल्कि निजामुद्दीन मरकज में

सज्जादानशीन सैयद मुर्शीद निज़ामी ने ट्वीट किया, "अभी चल रही खबरों को ठीक करने की जरूरत है। कोरोना पाॅजिटिव मरीज निजामुद्दीन दरगाह में नहीं बल्कि निजामुद्दीन मरकज में रहा। मरकज जहां कोरोना पॉजिटिव मामले पाए गए हैं, वह पुलिस स्टेशन निजामुद्दीन के पीछे है, जबकि दरगाह तीन सौ मीटर अंदर स्थित है। दरगाह के सूत्रों का कहना है कि यहां पर भी सरकार के आदेश के बाद से लाॅकडाउन चल रहा है। निजामुद्दीन दरगाह में फरवरी में बसंत पंचमी के दिन प्रमुख उत्सव मनाया गया था। बता दें कि मरकज के लिए आने वाले तीर्थयात्रियों और उपदेशकों के लिए बने कम बजट वाले लाॅज दरगाह क्षेत्र से काफी सटे हैं। इस क्षेत्र में प्रसिद्ध कवि गालिब की कब्र भी है।

Posted By: Shweta Mishra