आज कथक के क्षेत्र में बड़े नाम के तौर पर गिनी जाने वाली उर्मिला शर्मा को भी इस क्षेत्र में आने से पहले काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और आज सफलता कदम चूम रही है। कैसा रहा सफर, आइए सुनें उन्हीं की जुबानी

संघर्षो से शुरूआत करें?

करियर बनाने के लिए बचपन से ही मुश्किल झेलनी पड़ी। ब्राम्हण परिवार से होने के कारण घर से सिर्फ पढ़ाई के लिए ही निकलने की अनुमति थी। इसी बीच रेलवे की रामलीला में रोल का ऑफर आया तो पिता ने मोहल्ले की बात होने के कारण इजाजत दे दी। बाद में जब करियर की बारी आई सबसे पहला विरोध पिता ने ही किया। तब बड़ी बहन ने साथ दिया। संगीत सीखने के बहाने बड़ी बहन साथ ले जाने लगी और मैं वहीं चोरी-छिपे कथक सीखने लगी।

फैमिली को कब पता चला?

पहली बार स्टेज पर परफार्मेस देने पहुंची तो उसे देखने के लिए पूरी फैमली आयी थी। सभी को पता था कि गायन में प्रस्तुति दूंगी। मेरी प्रस्तुति कथक में थी। उसके लिए ड्रेस भी दीदी और मैने रक्षाबंधन में मिलने वाले पैसों को एकत्र कर खरीदा था। जैसे ही स्टेज पर पहुंची, परिवार वाले भौंचक रह गए। पिता ने डांटा तो नहीं लेकिन भविष्य में किसी भी प्रस्तुति से साफ मना कर दिया। कुछ साल बाद लखनऊ में प्रस्तुति का ऑफर मिला तो किसी तरह पिता को तैयार किया।

आगे का सफर कैसा रहा?

कथक की ट्रेनिंग के लिए अमेरिका गई थी। तभी पिता की सड़क हादसे में मौत की सूचना मिली। वहीं मां की मौत की भी खबर आई। लगा जैसे सब कुछ बिखर जाएगा, लेकिन हिम्मत नहीं हारी और तय किया जीवन साथी उसे चुनेंगी जो सपनों को साकार करने में सहयोग करे। इसी बीच छोटे भाई की हत्या कर दी गई। भाई के केस के दौरान ही एडवोकेट हरि नारायण मिश्र से मिलीं और फिर दोनों ने सुख-दुख का साथी बनने का फैसला लिया।

Posted By: Inextlive