गोरखपुर यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स को इनसे है खतरा
मेनटेनेंस या फॉर्मेल्टीयूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन ने हॉस्टल को मेनटेन कराने के नाम पर दो मंथ तक स्टूडेंट्स को हॉस्टल से बाहर कर दिया। उनका कहना था कि इस दो मंथ में हॉस्टल को रिनोवेट किया जाएगा और टूटी फूटी दीवारों की मरम्मत की जाएगी। मरम्मत तो उन्होंने की नहीं, हां अलबत्ता खंभे के किनारे कुछ दीवार जरूर चला दी। दीवार भी ऐसी कि अगर उस पर लगे प्लास्टर को छू लिया जाए तो उसमें से सिर्फ रेत और बालू ही हाथों में नजर आए। स्टूडेंट्स की माने तो मेनटेनेस के लिए जब हॉस्टल खाली कराया गया तो उस दौरान हॉस्टल में कोई भी काम नहीं हुआ, जब स्टूडेंट्स वापस आए उसके बाद हॉस्टल रिपेयरिंग का काम शुरू हो सका। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि जगह-जगह छज्जे के टूटे हुए मल्बे 20 दिनों से कैंपस में ही पड़े हुए हैं, जिसकी ओर किसी का भी ध्यान नहीं जा रहा है।
हो सकता है बड़ा हादसा
यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन की यह लापरवाही किसी बड़े हादसे की वजह बन सकती है। वह इसलिए कि यूनिवर्सिटी के लगभग सभी हॉस्टल के रूम की दीवारें और छत जर्जर हो चुकी हैं, वहीं प्लास्टर भी उखड़ रहा है। सभी रूम के आस-पास की दीवारों पर सीलन जमा हो चुकी है। इससे छत और दीवारें कभी भी गिर सकती हैं, जिससे कोई बड़ा हादसा होने से इंकार नहीं किया जा सकता। अगर यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन अब भी नहीं जागा तो कोई बड़ा हादसा होना तय है।सफाई का बुरा हालयूनिवर्सिटी की सफाई व्यवस्था का हाल भी काफी बुरा है। खासतौर पर टॉयलेट और बाथरूम का। स्टूडेंट्स की माने तो कई दिनों पर सफाई कर्मी नजर आते हैं और आकर सिर्फ कोरम पूरा करके निकल जाते हैं। हालत यह है कि टॉयलेट के करीब इस तरह की बदबू आती है कि आस पास के रूम्स में रहने वाले स्टूडेंट्स खाना भी नहीं खा पाते। अपना लंच और डिनर करने के लिए उन्हें दूसरे साथी के रूम में जाना पड़ता है। वहीं जिम्मेदार रोज सफाई होने की बात करते हैं। पीने का पानी नहीं है मयस्सर
डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी के हॉस्टलर्स को पीने का पानी भी मयस्सर नहीं है। हालत यह है कि उन्हें खुली हुई टंकी से ही पानी पीना पड़ रहा है। स्टूडेंट्स की माने तो कुछ दिन पहले यूनिवर्सिटी ने वॉटर प्यूरिफायर लगवाया था, लेकिन एक वीक के बाद ही खराबी बताकर उसे निकाल लिया गया। कई मंथ बीत चुके हैं लेकिन अब तक उस वॉटर प्यूरिफायर की खराबी दूर नहीं हो सकी है। वहीं कुछ स्टूडेंट्स नल से पीने के पानी की व्यवस्था कर रहे हैं।