दिल्ली में हुकूमत पर हक को लेकर पिछले कुछ दिनों से जारी सार्वजनिक टकराव में कमी आने के संकेत मिलने लगे हैं. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से उप राज्यपाल नजीब जंग और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मंगलवार शाम हुई मुलाकात के साथ ही दिल्ली सरकार की ओर से नौकरशाही से अपने बिगड़े रिश्ते सुधारने की कवायद शुरू हो गई. इसे राजनिवास और सचिवालय के बीच जारी टकराव में कमी का संकेत भी माना जा रहा है. इस बीच सचिवालय के अधिकारियों के साथ दिल्लीव के उप मुख्यंमंत्री सिसोदिया की आज बैठक होगी.


अपने बेहद तल्ख तेवरों से सूबे के नौकरशाहों को नाराज कर चुकी केजरीवाल सरकार ने मुख्यमंत्री केजरीवाल की राष्ट्रपति से मुलाकात से ठीक पहले आपसी रिश्तों में मिठास घोलने की पहल की. तमाम अधिकारियों को सूचना दी गई कि बुधवार को उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया सचिवालय में तमाम आला अधिकारियों के साथ एक बैठक करेंगे. प्रशासन में बेहतरी के नाम पर आयोजित की जा रही इस बैठक में सरकार के सभी विभागाध्यक्ष और प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी शामिल होंगे. उच्चपदस्थ सूत्रों की मानें तो सरकार ने प्रधान सचिव (सेवा) अनिंदो मजूमदार को भी सरकार में अपनी जिम्मेदारी संभालने के मौखिक आदेश दे दिए हैं. मजूमदार वही अधिकारी हैं जिन्हें सरकार ने सामान्य प्रशासन व सेवाएं विभाग से हटा दिया था ओर उनके कमरे में ताला तक लगवा दिया था. इतना ही नहीं, पिछले डेढ़ महीने से खाली बैठा कर रखे गए वरिष्ठ अधिकारी अरविंद रे को सामान्य प्रशासन विभाग का प्रमुख सचिव बना दिया गया है. हालाकि इस बीच खबर आ रही है कि मजूमदार छुट्टी पर चले गए हैं.  उप राज्यपाल पर संविधान के उल्लंघन का आरोप


राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान केजरीवाल के साथ मौजूद रहे मनीष सिसोदिया ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति से अनुरोध किया कि वे उप राज्यपाल को संविधान का उल्लंघन करने से रोकें. सिसोदिया के मुताबिक, राष्ट्रपति ने उनकी बात को गंभीरता से सुना और उन्हें उम्मीद है कि वे इस पर जल्द से जल्द दखल देंगे. उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली में चुनी हुई सरकार होने के बावजूद वे मुख्यमंत्री और मंत्रियों के अधिकार को नकार कर अधिकारियों को सीधे निर्देश जारी कर रहे हैं और सचिवों की सीधे आदेश दे रहे हैं. फिर लोकतंत्र कहां है? उप राज्यपाल इस तरह व्यवहार कर रहे हैं जैसे दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू हो. जंग का दावा, नियुक्ति के अधिकार उनके पास वहीं केजरीवाल की मुलाकात से ठीक पहले उप राज्यपाल नजीब जंग ने भी राष्ट्रपति से मुलाकात कर उन्हें दिल्ली की मौजूदा स्थिति को लेकर अपना पक्ष रखा. जंग का दावा है कि सचिवों की नियुक्ति के मामले में सारे अधिकार उन्हीं के पास हैं और उन्हें दिल्ली सरकार की सलाह पर चलने की मजबूरी नहीं है.जंग ने बाद में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से भी मुलाकात की. केजरी सरकार से दो-दो हाथ को तैयार नौकरशाह

इन सारी बातों के बीच ये भी खबरें आ रही हैं कि उप राज्यपाल नजीब जंग और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच जारी टकराव में सबसे ज्यादा फजीहत अधिकारियों की हो रही है. यही वजह है कि दिल्ली सरकार में कार्यरत ज्यादातर अधिकारी अब दिल्ली से बाहर की पोस्टिंग के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय का दरवाजा खटखटा रहे हैं. ऐसे अधिकारी भी कम नहीं हैं जो अब खुलकर सरकार से दो-दो हाथ करने को तैयार हैं. भले ही मुख्य सचिव केके शर्मा और कार्यवाहक मुख्य सचिव शकुंतला गैमलीन का मामला भले सुर्खियों में आ गया हो लेकिन ऐसे अफसरों की फेहरिस्त बड़ी लंबी है जिन्हें सरकार की नाराजगी झेलनी पड़ी है. सबसे पहले विभाग के प्रमुख सचिव अरविंद रे को सरकार की नाराजगी झेलनी पड़ी और उन्हें हटा दिया गया. इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री ने गृह विभाग अपने एक मंत्री जितेंद्र तोमर से लेकर सत्येंद्र जैन को दे दिया. गृह विभाग से दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के तबादले की फाइल सीधे उपराज्यपाल को भेजे जाने की वजह से ही मुख्य सचिव केके शर्मा और विभाग के प्रमुख सचिव धर्मपाल को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया.

सरकार के तल्ख तेवरों का सामना करने वालों में पूर्व मुख्य सचिव एसके श्रीवास्तव, आशुतोष कुमार, संजीव खैरवाल, अनिंदो मजूमदार, नीरज सेमवाल, आशीष जोशी, एके गुप्ता, ओपी मिश्रा, संदीप गुलाटी सहित और भी नाम शामिल हैं.

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Posted By: Molly Seth