लोक की आस्था के स्वर
यूं तो रामचरित मानस के दोहे हों या दुर्गा सप्तशती के श्लोक, हर बार जब उसका पाठ होता है तब जो लय सामने आती है वह लोकगीत की ही होती है। फिर भी आज हम आपको ले चलते हैं आपके घर-आंगन में गूंजते उन स्वरों के बीच जिन्हे आप सुनते तो हैं पर शायद सही नाम से पहचानते नहीं।
हिंदी कलैंडर का पहला महीना होता है चैत्र और इसी महीने में आते हैं ग्रीष्म नवरात्र। देवी की भक्ति को समर्पित नौ दिन इन दिनों में बहुत से लोग नौ दिन तक व्रत रखते हैं और देवी की अराधना करते हैं। इस दौरान जो भजन गाए जाते हैं वह हमारे लोकगीतों का महत्वपूर्ण अंग हैं। उत्तर भारत ही नहीं बंगाल और दक्षिण के भी कई राज्यों में नवरात्र का उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान जो भजन गाए जाते हैं उनमें देवी के रूप से लेकर उसकी दयालुता, महिमा और क्रोध हर तरह की भावना का वर्णन होता है।
जैसे उत्तर भारत के कई स्थानों पर यह भजन बहुत गाया जाता है मोर महारानी विंध्याचल रानी। यह गीत देवी के रूप और विराटता का सुंदर चित्र अंकित करता है। ऐसे ही एक दूसरा गीत है बरखा के आइल बहार हो मैया झूले झुलनवा इस गीत में मैया के श्रंगार पक्ष को बता रहा कि कैसे वह मोहिनी रूप में आनंद ले रही हैं। आयो शरण तिहारी जगत जननी यह गीत माता के जननी रूप से शरण में लेने की इच्छा को प्रकट करता है। देवी का श्रृंगार लाल जोड़े में ही पूरा माना जाता है इस बात का वर्णन भी देवी के लोकगीतों में बार बार किया जाता है जैसे मां का जोड़ा लाल ।देवी के नौ दिन दशहरे से पहले भी होते हैं उसके बाद होता है दशहरा या विजयदशमी। इन दिनों को शारदीय नवरात्र कहते हैं। दोनों ही नवरात्र के बाद दसवां दिन प्रभु राम से जुड़ा होता है। राम नवमी
महिलाएं इस मौके पर राम जन्म की बधाई, सोहर, रामविवाह और राम के वन जाने को लेकर कई सब्जेक्टस पर गीत गाती हैं। अयोध्या में बाजे बधैया राम के जन्म के उल्लास को यह गीत पूरी तरह से प्रेजेंट करता है। गारी गावें जनकपुर में नारी यह लोकगीत राम सीता के विवाह के समय गाली गाने की परंपरा का सुंदर एग्जांपल है। राम भए जोगिया लखन भए रगिया चारों भैया भए फकीर यह गीत राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के शिक्षा के लिए गुरुकुल जाने के भेष का इस गीत में डिटेल वर्णन किया गया है। राम और लक्ष्मण जब राजा जनक के महल में गुरू विश्वामित्र के साथ पहुंचे तो उनके रूप का इतना आर्कषण था कि नगर की स्त्रियां स्पेशियली देखने के लिए आयीं राम लखन जब आए महल में देखन आई सब नारी। जन्माष्टमी
रामनवमी के बाद हिन्दी कलैंडर के आठवें महीने यानि भाद्रपक्ष या भादों में आती है जन्माष्टमी। श्री राम की तरह श्री कृष्ण को भी भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। यदि राम मर्यादा पुरुषोत्तम यानि आइडियल मैन विद वैल्यूज माने जाते थे तो कृष्ण को लोकरंजक यानि कामन हृयूमन के बीच ट्रिक्स और टेक्निक से काम निकालने वाला माना जाता है। बचपन में शरारती कृष्ण लोकगीतों में कुछ ऐसे नजर आते हैं मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो। यही माखन चोर किशोर हो कर चितचोर बन जाता है जो अपनी बंसी की धुन का सबको दिवाना बनाता है और राधा के संग रास रचाता है कन्हैया तोरी बंसी कितना भुलात हमको या बंसी बाज रही वृंदावन में टूटल शिव जी का ध्यान। यही कृष्ण मथुरा से गंभीर योग का संदेश भेज कर गोपियों का दिल तोड़ देता है जोगिया की नजर लगी है बाबुला मेरी रोवे री. छठ