इस बार 15 दिन के बजाय 14 दिनों का ही होगा पित्तृपक्ष

प्रतिपदा का समय छह सितंबर को दोपहर 12.06 बजे, उदया तिथि के कारण सात से शुरू होगा पित्तृपक्ष

ALLAHABAD: पित्तरों के लिए श्रद्धापूर्वक किए गए कार्य को ही श्राद्ध कहते हैं। श्राद्ध को ही पित्तरों का यज्ञ भी कहते हैं। श्राद्ध पर्व आने वाला है, इस बार 15 दिन के बजाय पित्तृपक्ष 14 दिनों का ही होगा। आश्विन कृष्ण पक्ष प्रतिपदा की शुरुआत सात सितम्बर से हो रही है। उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक पं। दिवाकर त्रिपाठी पूर्वाचली ने बताया कि पित्तृपक्ष छह सितम्बर को दोपहर 12.06 बजे से प्रारंभ हो रहा है। लेकिन उदया तिथि के कारण प्रतिपदा का श्राद्ध सात सितम्बर को होगा। षष्ठी तिथि का क्षय होने के कारण पूर्वजों को तर्पण करने का पित्तृपक्ष 14 दिनों का ही होगा।

चर्तुथी और पंचमी एक दिन

आश्विन माह का जो पहला पखवारा पूर्वजों को समर्पित किया जाता है वही पित्तृपक्ष कहलाता है। प्रतिपदा का मान उदया तिथि से अमावस्या तक होता है। लेकिन इस बार पित्तृपक्ष में षष्ठी तिथि का क्षय हो रहा है। पं। विद्याकांत पांडेय ने बताया कि चतुर्थी व पंचमी तिथि का श्राद्ध एक ही दिन दस सितम्बर को किया जाएगा। क्योंकि प्रतिपदा का मान उदया तिथि से माना जाएगा। अमावस्या दो दिन पड़ रही है। इसमें 19 श्राद्ध अमावस्या (सर्वपैत्री अमावस्या) यानी पितृ विसर्जन किया जाएगा तो 20 को स्नान-दान की अमावस्या मनाई जाएगी। अमावस्या तिथि 19 सितंबर को दिन में 11.16 बजे लग रही है जो 20 सितम्बर को प्रात: 10.22 बजे तक रहेगी।

हिन्दू धर्म में मनुष्य के तीन ऋण

पित्तृपक्ष में मनुष्य मात्र के तीन ऋण विशेष तौर से बताए गए हैं। आचार्य विनय कृष्ण तिवारी ने बताया कि हिन्दू धर्म में देव ऋण, ऋषि ऋण व पित्तृ ऋण का महत्व होता है। पित्तृपक्ष में माता पिता के प्रति श्रद्धा का समावेश किया गया है। उनके ऋण से मुक्त न होने पर जन्म निरर्थक माना जाता है। इसीलिए धर्म में पित्तरों के प्रति श्रद्धा अर्पित करने को पित्तृपक्ष महालयारंभ की व्यवस्था की गई है।

श्राद्ध की तिथियां

07 सितम्बर : प्रतिपदा का श्राद्ध

08 सितम्बर : द्वितीया का श्राद्ध

09 सितम्बर : तृतीया का श्राद्ध

10 सितम्बर : चतुर्थी व पंचमी का श्राद्ध

11 सितम्बर : षष्ठी का श्राद्ध

12 सितम्बर : सप्तमी का श्राद्ध

13 सितम्बर : महालक्ष्मी व्रत, जीवत्पिुत्रका व्रत व अष्टका व्रत

14 सितम्बर : मातृ नवमी श्राद्ध व सौभाग्यवती महिलाओं का श्राद्ध

15 सितम्बर : दशमी का श्राद्ध

16 सितम्बर : एकादशी श्राद्ध व इंदिरा एकादशी

17 सितम्बर : द्वादशी श्राद्ध संन्यासियों, यति वैष्णवों का श्राद्ध

18 सितम्बर : त्रयोदशी व मघा श्राद्ध

19 सितम्बर : चतुर्दशी का श्राद्ध व मास शिवरात्रि व्रत

20 सितम्बर : स्नान दान श्राद्ध की अमावस्या, पित्तृ विसर्जन व सर्वपैत्री महालया समाप्ता

पित्तृपक्ष छह सितम्बर को दोपहर 12.06 बजे से प्रारंभ हो रहा है। लेकिन उदया तिथि के कारण प्रतिपदा का श्राद्ध सात सितम्बर को होगा। षष्ठी तिथि का क्षय होने के कारण पूर्वजों को तर्पण करने का पित्तृपक्ष 14 दिनों का ही होगा।

-पं। दिवाकर त्रिपाठी पूर्वाचली, निदेशक उत्थान ज्योतिष संस्थान

Posted By: Inextlive