एक सामान्‍य सी बात है कि हम बाजार से कोई भी सेवा लेते हैं उसका एक मूल्‍य चुकाते हैं। जैसे किसी खास ब्रांड की चाय लेते हैं तो उसकी कीमत देते हैं। इसके साथ ही उस चाय को उपलब्‍ध कराने वाला चाय बनाने वाली कंपनी को पैसा देती है। ऐसे में कंपनी का मालिक उस ब्रांड का मालिक होता है। कभी आपने सोचा है कि आप जो इंटरनेट सुविधा प्रयोग करते हैं उसका मालिक कौन है। जैसे आपको अपने कंप्‍यूटर या मोबाइल पर इंटरनेट उपलब्‍ध कराता है आपका सर्विस प्रोवाइडर जो एक दुकानदार की तरह है जिससे आप एक मंथली या किसी और समयावधि का प्‍लान पैसे देकर खरीदते हैं पर वो उस प्‍लान के लिए इंटरनेट लेने की सुविधा का मूल्‍य किसे चुकाता है। यानि इंटरनेट का मालिक कौन है।


वर्ल्ड वाइड कंसोर्टियमइंटरनेट के विभिन्न क्षेत्रो के लिए गाइड लाइन, स्टैंडर्ड और रिसर्च करने वाला समूह वर्ल्ड वाइड कंसोर्टियम है जो W3C कहलाता है। इंटनेट पर किसी अकेली संस्था या संगठन का नियंत्रण और मालिकाना हक़ नहीं है। कैसे करता है इंटरनेट कामदुनिया में लगभग 900 मिलियन लोग विभिन्न हिस्सों में इंटनेट का इस्तेमाल करते हैं। पोस्टल सिस्टम की तरह ही इंटनेट में भी डाटा को किसी खास जगह भेजने के लिए एर्डेसिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है।तीन स्तरों पर सर्विस प्रोवाइडर
इसी तरह आपके सर्विस प्रोवाइडर भी तीन स्तरों पर, जिन्हें 3 टीयर कहते है जुड़ होते हैं। पहले स्तर पर वो कंपनीयां होती हैं जो समुद्र के नीचे केबल डाल कर सर्विस प्रोवाइडर्स को ग्लोबली जोड़ती हैं। दूसरी वो होती हैं जो इन प्रोवाइडर्स को नेशनली जोड़ती हैं और तीसरे नंबर स्थानीय प्रोवाइडर्स बड़े प्रोवाडर्स से जुर्ड कर सेवा उपलब्ध कराते हैं।सर्वर से जुड़ते हैं क्लाइंटइस प्रकार इंटरनेट से जुड़े कंप्यूटर क्लाइंट और सर्वरों का इस्तेमाल कर दुनिया भर में एक दूसरे को डाटा स्थानांतरित करते है।

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Posted By: Molly Seth